फिरोजाबाद… बुखार से 12 घंटे में 7 बच्चों की मौत: 15 दिन में अनजान बुखार से 52 मौतें, जिस बच्ची से सीएम योगी मिले थे उसकी भी मौत; 185 बच्चों की हालत गंभीर

फिरोजाबाद… बुखार से 12 घंटे में 7 बच्चों की मौत: 15 दिन में अनजान बुखार से 52 मौतें, जिस बच्ची से सीएम योगी मिले थे उसकी भी मौत; 185 बच्चों की हालत गंभीर

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फिरोजाबाद7 मिनट पहले

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फिरोजाबाद… बुखार से 12 घंटे में 7 बच्चों की मौत: 15 दिन में अनजान बुखार से 52 मौतें, जिस बच्ची से सीएम योगी मिले थे उसकी भी मौत; 185 बच्चों की हालत गंभीर

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में अनजान बुखार का कहर बढ़ता ही जा रहा है। पिछले 12 घंटे के अंदर सात और बच्चों की मौत हो गई। सोमवार को मेडिकल कॉलेज फिरोजाबाद में निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस बच्ची कोमल से मुलाकात की थी, उसकी भी मौत हो गई है।

इस अनजान बुखार से 15 दिन के अंदर मरने वालों का आंकड़ा 52 हो गया है। 185 बच्चे अभी भी अस्पताल में मौत से जंग लड़ रहे हैं। अस्पतालों में हालात भयावह होते जा रहे हैं। अभी तक इन मौतों का कारण नहीं पता चल पाया है। मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. संगीता अनेजा ने बताया कि कॉलेज में करीब 185 बच्चे भर्ती हैं। सभी का इलाज कराया जा रहा है।

हर घंटे 8 से 10 बीमार बच्चे पहुंच रहे अस्पताल

बुखार से पीड़ित युवक को अस्पताल लेकर पहुंचे परिजन।

बुखार से पीड़ित युवक को अस्पताल लेकर पहुंचे परिजन।

फिरोजाबाद के जिला अस्पताल में हालात दिनों दिन खराब होते जा रहे हैं। यहां बेड का संकट भी होने लगा है। सत्य नगर टापा कला के रहने वाले राजीव की 12 साल की बेटी नंदनी की इस अनजान बुखार से मौत हो गई। राजीव ने बताया कि दो दिन पहले उनकी बेटी को बुखार आया और फिर उसे वार्ड में भर्ती कराया। जहां उसकी मौत हो गई।

इसी तरह इंद्रा नगर से अपने बच्चे को अस्पताल लेकर पहुंचे दिनेश डॉक्टर से बच्चे का इलाज शुरू करने के लिए गिड़गिड़ाते नजर आए। उनकी पत्नी 5 साल के बेटे निशांत को गोद में लेकर खड़ी थी। निशांत को तेज बुखार था। एक घंटे तक ‘दैनिक भास्कर’ के रिपोर्टर ने अस्पताल का जायजा लिया और इस दौरान 10 लोग अपने बीमार बच्चे को लेकर पहुंचे।

गांव-गांव जाकर मेडिकल कैंप लगाया जा रहा है।

गांव-गांव जाकर मेडिकल कैंप लगाया जा रहा है।

कॉलोनियों में पसरा सन्नाटा
दैनिक भास्कर की टीम ने इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित ऐलान नगर का जायजा भी लिया। यहां पूरे कॉलोनी में सन्नाटा पसरा था। कॉलोनी की रहने वाली सरोज ने बताया कि इस गांव में सबसे अधिक बीमारी फैली है। बीमारी का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर देखने को मिल रहा है। बच्चों को बुखार आता है और पूरा शरीर कमजोर हो जाता है। लोग अस्पताल ले जाते हैं और एक या दो दिन में ही उनकी मौत हो जा रही है। 10 दिन के अंदर इसी कॉलोनी से 7 बच्चों की मौत हो चुकी है।

इन बच्चों ने दम तोड़ा
1-
नंदिनी (12) पुत्री राजीव निवासी सत्य नगर टापा।
2- उदित (6) पुत्र जय सिंह निवासी नगला कदम टूंडला
3- राज (10) पुत्र किशन प्रजापति निवासी झलकारी नगर।
4- आकाश (19) पुत्र सुंदर सिंह दिवाकर निवासी न्यू ओझा नगर
5- लकी शर्मा (8) पुत्र संजय शर्मा निवासी इंद्रपुरी सुदामा नगर।
6- हिमांशी शंखवार (8) पुत्री पंकज शंखवार निवासी मोहल्ला झलकारी नगर
7- कोमल (14) पुत्री राजकुमार निवासी आनंद नगर की मौत

मथुरा : 10 की मौत हो चुकी है, 60 अभी भी इलाज करा रहे
कान्हा की नगरी फरह ब्लॉक के कोंह और पिपरौठ गांव में अभी 60 से ज्यादा लोग बीमार हैं। पिछले 15 दिनों में 10 लोग जान गवां चुके हैं। इसमें हरीशंकर का बेटा पिंकू (9) और दुलिया की बेटी हनी (5) की सोमवार को अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई। इससे पहले सौरभ (10), अवनीश (12), रुचि (14), रांची (18) और रंजीत (19) की जान जा चुकी है। पिपरौठ व रैपुराजाट गांव में भी मरीजों की संख्या बढ़ी है।

पिपरौठ गांव में वायरल से करीब 20 से 25 लोग बीमार हैं। जबकि पिछले 4 दिनों में होती (65) व मंशो (60) की मौत हो गई। ऐसा ही कुछ हाल रैपुराजाट का है। यहां भी इस बीमारी की चपेट में आकर 12 से ज्यादा लोग बीमार हैं। अच्छी बात ये है कि पिछले तीन दिनों से यहां मौत का कोई नया मामला सामने नहीं आया है।

सहारनपुर : शनिवार को एक दिन में चार मौतें, 100 से ज्यादा बीमार

गांव-गांव में मेडिकल कैंप लगाया गया है। यहां बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है।

गांव-गांव में मेडिकल कैंप लगाया गया है। यहां बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है।

सहारनपुर में भी अनजान बीमारी का कहर कायम है। यहां के टपरी कला गांव के हर घर में एक शख्स बुखार से पीड़ित है। पिछले शनिवार को एक दिन के अंदर चार लोगों ने यहां दम तोड़ दिया था। 100 से ज्यादा लोग अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती है। 12 लोग हायर सेंटर पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज करा रहे हैं।

गांव के ही जावेद (25) को कुछ दिन पहले हल्का बुखार और सिर दर्द था। जिस कारण उसने गांव के ही एक छोलाछाप डॉक्टर से दवाई ली थी। बुखार तो कुछ समय के लिए उतर गया। लेकिन अगले दिन फिर से हो गया। पिता अकरम का कहना है कि बेटे जावेद को बुखार आने पर निजी अस्पताल में इलाज के लिए ले गए। लेकिन चिकित्सक ने कुछ दिन रखने के बाद हॉयर सेंटर रेफर कर दिया।

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