फाइजर, एस्ट्रेजेनिका के सिंगल डोज डेल्टा वैरिएंट से लड़ने में कम असरदार – स्टडी में दावा

फाइजर, एस्ट्रेजेनिका के सिंगल डोज डेल्टा वैरिएंट से लड़ने में कम असरदार – स्टडी में दावा

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कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से बचाव में फाइजर या एस्ट्रेजेनिका के वैक्सीन कम प्रभावी है। एक अध्ययन में कहा गया है कि जिन्हें पहले कोरोना वायरस नहीं हुआ है और अगर वो कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होते हैं तो ऐसे लोगों के शरीर में एंटीबॉडी बनाने में यह वैक्सीन ज्यादा कारगर नहीं है। ‘Journal Nature’ में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि कोविड-19 का डेल्टा वैरिएंट दुनिया भर में सबसे ज्यादा प्रभावकारी संक्रमण साबित हुआ है। 

इस अध्ययन में कहा गया है कि वैक्सीन या पहले से पूर्व में कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों के शरीर में बने एंटीबॉडी से बच निकलने की क्षमता डेल्टा वैरिएंट में है। स्टडी में कहा गया है कि जिन लोगों ने फाइजर वैक्सीन या एस्ट्रेजेनिका के दोनों डोज लिये हैं वो इस वायरस से सुरक्षित बचे रह सकते हैं। हाल ही में किये गये इस अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि फाइजर या एस्ट्रेजेनिका के दोनों डोज लगवाना बहुत जरुरी है ताकि डेल्टा वैरिएंट के प्रभाव से बचा जा सके। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को सबसे ज्यादा खतरनाम माना है और भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इस वैरिएंट की आक्रमकता देखने को मिली थी। स्टडी में कहा गया है कि भारत में 5 प्रतिशत से कम आबादी ने वैक्सीन के दोनों डोज लिये हैं। इस वजह से इस वैरिएंट को लेकर खतरा अभी टला नहीं है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में देश में वैक्सीन ड्राइव में काफी तेजी आई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर तक देश में आ सकती है और इसके मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वैक्सीन को पहुंचाना बेहद जरुरी है। आपको बता दें कि कोरोना के केस में कमी आने की वजह से कई देशों ने अपना यहां लगे प्रतिबंधों में छूट देने की शुरुआत कर दी है। इस बीच बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के देशों से अपील की है कि वो छूट में बढ़ोतरी के वक्त जरुरी बातों का ख्याल जरुर रखें।

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