प्रधानमंत्री को किसानों का लेटर: कृषि कानून वापस लेने का स्वागत, लेकिन अभी आंदोलन खत्म नहीं करेंगे; पढ़िए क्या-क्या है इस चिट्ठी में

प्रधानमंत्री को किसानों का लेटर: कृषि कानून वापस लेने का स्वागत, लेकिन अभी आंदोलन खत्म नहीं करेंगे; पढ़िए क्या-क्या है इस चिट्ठी में

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नई दिल्ली6 मिनट पहले

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प्रधानमंत्री को किसानों का लेटर: कृषि कानून वापस लेने का स्वागत, लेकिन अभी आंदोलन खत्म नहीं करेंगे; पढ़िए क्या-क्या है इस चिट्ठी में

कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लेटर लिखा है। ई-मेल से भेजे गए इस लेटर की शुरुआत में लिखा है कि देश के करोड़ों किसानों ने 19 नवंबर 2021 की सुबह राष्ट्र के नाम आपका संदेश सुना। हमने गौर किया कि 11 राउंड की बातचीत के बाद आपने द्विपक्षीय समाधान की बजाय एकतरफा घोषणा का रास्ता चुना, लेकिन हमें खुशी है कि आपने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। हम इसका स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपकी सरकार इस वचन को जल्द से जल्द और पूरी तरह निभाएगी।

आप भली-भांति जानते हैं कि तीन काले कानूनों को रद्द करना इस आंदोलन की एकमात्र मांग नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के साथ बातचीत की शुरुआत से ही तीन और मांगें उठाई थीं।

  1. खेती की पूरी लागत पर आधारित न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी फसलों के लिए किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए, ताकि देश के हर किसान को अपनी फसल पर कम से कम सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके। (खुद आपकी अध्यक्षता में बनी समिति ने 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को यह सिफारिश दी थी और आपकी सरकार ने संसद में भी इसके बारे में घोषणा की थी)
  2. सरकार की ओर से प्रस्तावित ‘विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020/2021’ का ड्राफ्ट वापस लिया जाए। (बातचीत के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था)
  3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इससे जुड़े इलाकों में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए आयोग अधिनियम, 2021 में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाएं (इस साल सरकार ने कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा दिए, लेकिन सेक्शन-15 के माध्यम से फिर किसान को सजा की गुंजाइश बना दी गई है)

आपके संबोधन में इन बड़ी मांगों पर ठोस घोषणा न होने से किसानों को निराशा हुई है। किसानों ने उम्मीद लगाई थी कि इस ऐतिहासिक आंदोलन से न सिर्फ तीन कानूनों की बला टलेगी, बल्कि उसे अपनी मेहनत के दाम की कानूनी गारंटी भी मिलेगी।

प्रधानमंत्री जी, पिछले एक साल में इस ऐतिहासिक आंदोलन के दौरान कुछ और मुद्दे भी उठे हैं, जिनका तत्काल निपटारा करना अनिवार्य है।

  1. दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है। इन केसों को तुरंत वापस लिया जाए।
  2. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी आज भी खुले में घूम रहे हैं और आपके मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं। वह आपके और दूसरे वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं। उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।
  3. इस आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं। उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। शहीद किसानों की स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर जमीन दी जाए।

प्रधानमंत्री जी, आपने किसानों से अपील की है कि अब हम घर वापस चले जाएं। हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं है। हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इन बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती-बाड़ी में लौटें। अगर आप भी यही चाहते हैं तो सरकार इन 6 मुद्दों पर बिना देर किए संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बातचीत शुरू करे। तब तक मोर्चा अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक आंदोलन जारी रखेगा।

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