पेगासस मामले में थरूर का दावा: कांग्रेस सांसद बोले- IT कमेटी की मीटिंग में BJP सांसदों ने रुकावट डाली, लगता है अफसरों को गवाही के लिए न आने के निर्देश मिले
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नई दिल्ली30 मिनट पहले
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न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में थरूर ने उम्मीद जताई कि कमेटी आगे चलकर जासूसी का मुद्दा उठाएगी।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रविवार को पेगासस जासूसी मामले में कुछ खुलासे किए हैं। थरूर संसद की IT कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। उनका कहना है कि कमेटी में शामिल BJP सांसदों ने 28 जुलाई को बुलाई गई मीटिंग में रुकावट डाली, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि इस मुद्दे पर चर्चा हो।
न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में थरूर ने कहा कि जिन अधिकारियों को उन दिन कमेटी की मीटिंग में गवाही देनी थी, ऐसा लगता है कि उन्हें शामिल नहीं होने का निर्देश दिया गया है। हालांकि थरूर ने उम्मीद जताई कि कमेटी आगे चलकर पेगासस जासूसी का मुद्दा उठाएगी।
मीटिंग में न आने वाले अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश
थरूर ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर मंत्रालय के उन अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए कहा है, जो मीटिंग में शामिल नहीं हुए। उन्होंने यह भी कहा कि पैनल को गवाहों को बुलाने का विशेषाधिकार है। बैठक से दूरी बनाने के लिए तीन अधिकारियों का आखिरी समय में बहाने बनाना इस पर गंभीर हमला था।
कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर भी पलटवार किया। प्रधानमंत्री ने कहा था कि विपक्ष संसद का अपमान कर रहा है। इस पर थरूर ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर किसी भी तरह जवाबदेह होने से इनकार करती है। यह लोकतंत्र और उन आम भारतीयों का मजाक के साथ है, जिन्हें रिप्रजेंट करने का दावा सरकार करती है।
भविष्य में कमेटी इस मसले पर जरूर सवाल करेगी
यह पूछे जाने पर कि क्या IT कमेटी आगे जाकर पेगासस जासूसी के मुद्दे को उठा सकेगी। थरूर ने कहा कि कमेटी दो साल से नागरिकों की डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी के साथ साइबर सिक्योरिटी पर चर्चा कर रही है। उन्होंने कहा कि पेगासस मुद्दा साफ तौर से कमेटी के दायरे में आता है। इसलिए उम्मीद है कि जब ये विषय उठेंगे तो इसके सदस्य इसके बारे में सवाल पूछेंगे।
पेगासस कांड पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा
संसद के मानसून सत्र की ज्यादातर कार्यवाही हंगामेदार रही है। इसकी एक वजह पेगासस जासूसी कांड भी है। इसका असर लोकसभा और राज्यसभा दोनों पर पड़ा है। इस मामले में पूरा विपक्ष एकजुट है और संसद से बाहर बैठकें कर रहा है। वहीं सरकार विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगा रही है।
पेगासस मुद्दे पर कांग्रेस संसद में तो हमलावर है ही, सड़क पर भी अपना विरोध दर्ज करा रही है। 5 अगस्त को उसने इस मसले पर दिल्ली में बड़ा प्रदर्शन किया था।
300 भारतीयों की जासूसी का है मामला
न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीयों की जासूसी की है। इन लोगों में पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल हैं। सरकार ने इजराइली कंपनी के बनाए पेगासस स्पायवेयर के जरिए इन लोगों के फोन हैक किए थे। सरकार ने सभी आरोपों को निराधार बताया है।
पेरिस की एक संस्था फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास करीब 50 हजार फोन नंबर्स की एक लिस्ट है। इन संस्थानों का दावा है कि ये वही नंबर है, जिन्हें पेगासस स्पायवेयर के जरिए हैक किया गया है। दोनों संस्थानों ने यह लिस्ट दुनियाभर के 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर की है। हफ्तों के इन्वेस्टिगेशन के बाद खुलासा हुआ है कि कई देशों की सरकारें जासूसी करवा रही हैं।
जर्नलिस्ट की शिकायत पर फ्रांस में जांच शुरू
फ्रांस में इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म करने वाली संस्था मीडियापार के फाउंडर एडवी प्लेनेल और उनकी सहयोगी पत्रकार लीनाग ब्रेडॉ के नाम भी उस लिस्ट में हैं, जिनके फोन की पेगासस के जरिए जासूसी की गई। मीडियापार वही NGO है, जिसकी शिकायत पर फ्रांस में राफेल मामले में करप्शन की जांच शुरू हुई है। मीडियापार की ही खोजी पत्रकार लीनाग ब्रेडॉ ने पेगासस मामले में भी फ्रांस में शिकायत दर्ज कराई है। इसके बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
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