पेगासस केस: राहुल गांधी का केंद्र पर हमला, पूछा- क्या PM को मिल रहा था जासूसी का डेटा; कर्नाटक में इसी के जरिए सरकार गिराई गई

पेगासस केस: राहुल गांधी का केंद्र पर हमला, पूछा- क्या PM को मिल रहा था जासूसी का डेटा; कर्नाटक में इसी के जरिए सरकार गिराई गई

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नई दिल्ली29 मिनट पहले

इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए जासूसी के मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। राहुल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बुधवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को निशाने पर लिया।

उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री को जासूसी का डेटा मुहैया करवाया जा रहा था। इसे कौन और किसके लिए करवा रहा था? यह जांच का विषय है। उम्मीद है सच्चाई जल्द सामने आएगी। हम इस मामले को संसद में फिर से उठाएंगे। कर्नाटक की सरकार पेगासस का इस्तेमाल कर गिराई गई।

सुप्रीम कोर्ट ने हमारे सवालों पर मुहर लगाई
राहुल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन की घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से हमारे सवालों पर मुहर लगाई है। हमने पिछले संसद सत्र में मामले को लेकर जोरदार आवाज उठाई थी। हमने संसद तक ठप करवा दी थी। देश के लोगों की जासूसी लोकतंत्र पर सीधा हमला है। इसकी जांच होनी ही चाहिए।

पेगासस का निजी इस्तेमाल अपराध है
राहुल ने आगे कहा कि अगर पेगासस का इस्तेमाल आतंक के खात्मे के लिए होता तो अलग बात थी, लेकिन प्रधानमंत्री अगर इसका इस्तेमाल निजी रूप से कर रहे हैं तो यह अपराध है। कर्नाटक की सरकार पेगासस का इस्तेमाल कर गिराई गई। सरकार जासूसी के जरिए लोकतंत्र और देश की सुरक्षा पर हमला कर रही है। सरकार से सवाल करने पर वह राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर छिपने का प्रयास कर रही है। क्या यही राष्ट्रीय सुरक्षा है?

गृह मंत्रालय को पूरी जानकारी
राहुल ने कहा- हमने संसद सत्र के दौरान 3 सवाल पूछे थे। पहला- पेगासस को किसने खरीदा?, दूसरा-इसे भारत कौन लाया?, तीसरा- क्या इसका डेटा किसी और देश के पास भी है? राहुल ने कहा कि पूरे मामले में केंद्र सरकार लोगों को धोखा दे रही है। गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी है, लेकिन सरकार कुछ भी बताना नहीं चाहती। इससे पहले राहुल जासूसी मामले में गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफा मांग चुके है।

सुप्रीम कोर्ट ने बताया मौलिक अधिकारों का हनन
इससे पहले बुधवार सुबह ही सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। CJI की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर नियमों के विरुद्ध जासूसी हुई है तो कोर्ट मूकदर्शक बनकर नहीं बैठ सकता। यह निजता और अभिव्यक्ति जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है। ऐसे में हम आंख नहीं बंद कर सकते।

कोर्ट ने जांच के लिए बनाई दो कमेटी
अदालत ने जांच के लिए तीन लोगों की एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है, जो सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आर वी रवींद्रन की अध्यक्षता में काम करेगी। जांच कमेटी में पूर्व IPS अफसर आलोक जोशी और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टैंडर्डाइजेशन सब-कमेटी के चेयरमैन डॉ. संदीप ओबेरॉय भी शामिल किए गए हैं।

इसके साथ ही तीन सदस्यीय टेक्निकल कमेटी भी बनाई गई है। इसमें साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल फोरेंसिंक के प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार चौधरी, इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. प्रभाकरन पी और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते के नाम हैं।

पेगासस विवाद क्या है?
खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय ग्रुप का दावा है कि इजराइली कंपनी NSO के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से 10 देशों में 50 हजार लोगों की जासूसी हुई। भारत में भी 300 नाम सामने आए हैं, जिनके फोन की निगरानी की गई। इनमें सरकार में शामिल मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, वकील, जज, कारोबारी, अफसर, वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट शामिल हैं।

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