पाक में दिलीप कुमार के गांव से रिपोर्ट: न दिलीप साहब आबाई पेशावर को भूले, न पेशावर उन्हें; इंतकाल की खबर के बाद लोग उनकी हवेली देखने आने लगे

पाक में दिलीप कुमार के गांव से रिपोर्ट: न दिलीप साहब आबाई पेशावर को भूले, न पेशावर उन्हें; इंतकाल की खबर के बाद लोग उनकी हवेली देखने आने लगे

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कुछ ही क्षण पहलेलेखक: हफ़ीज़ चाचड़, इस्लामाबाद

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पाकिस्तान में पेशावर का हर घर गमज़दा है। उनके फरज़ंद दिलीप साहब चले गए। लोग कामकाज छोड़कर टीवी पर सारा मंज़र देख रहे हैं। दोनों मुल्कों के बीच तक्सीम की लकीर खिंच गई, लेकिन न तो पेशावर अपने फरज़ंद दिलीप साहब को भूला और न दिलीप साहब अपनी जाय पैदाइश पेशावर भूले सके।

दिलीप साहब चले गए लेकिन आखिरी दम तक उनका आबाई शहर पेशावर उनके दिल से नहीं निकल सका। वह मुख़्तलिफ ज़रिए से अपने शहर के लोगों से लगातार राबते में रहे। यही वजह है कि उनकी मौत की ख़बर सुनते ही उनके लाखों मदाह (प्रशंसक) सोशल मीडिया पर मुख़्तलिफ तरीकों से अपनी मोहब्बत का इज़हार कर रहे हैं। उनके गलियां मोहल्ले और शहर पेशावर उन्हें अपने तरीके से याद कर रहा है।

मैं जो देख पा रहा हूं कि हिंदोस्तान के मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार की अचानक मौत से जहां पूरी दुनिया में उनके लाखों मदाह ग़म का इज़हार कर रहे हैं, वहीं उनते पुश्तैनी शहर पेशावर के लोग भी गम में डूबे हैं।

बताना चाहूंगा कि दिलीप कुमार पेशावर के पुराने मोहल्ले ख़िसा ख़्वानी बाज़ार में 11 दिसंबर 1922 को पैदा हुए थे और चंद सालों के बाद उनका परिवार यहां से मुंबई चला गया था। पेशावर और मुंबई के बीच इस ख़ित्ते का बंटवारा हो चुका है और सरहद की लकीर खिंच चुकी है, लेकिन वह अपनी आख़री वक्त तक अपने शहर पेशावर को याद करते रहे। जब भी वह सोशल मीडिया पर पेशावर के बारे में ख़बर देखते थे तो उनका इज़हार ज़रूर करते थे।

पाकिस्तान के पेशावर में दिलीप कुमार की हवेली। दिलीप कुमार ने एक बार पेशावर के लोगों से अपील की थी कि उनकी हवेली की तस्वीरें शेयर करें।

पाकिस्तान के पेशावर में दिलीप कुमार की हवेली। दिलीप कुमार ने एक बार पेशावर के लोगों से अपील की थी कि उनकी हवेली की तस्वीरें शेयर करें।

पेशावरियों को याद है कि उन्होंने एक दफा अपने ट्विटर अकाउंट पर पेशावर के बाशिंदों से कहा था कि वह उनके आबाई घर की तस्वीरें उनके साथ शेयर करें। ऐसा कहने की देर थी कि लाखों लोगों ने उनके घर की तस्वीरें शेयर कीं। पेशावर के चंद पत्रकार भी उनसे लगातार राबते में रहते थे और उनको पेशावर के ताज़ा हालात की जानकारी देते रहते थे।

पाकिस्तान सरकार ने बॉलीवुड में उनकी ख़िदमतों को सरहाते हुए 1997 में उन्हें निशान-ए-पाकिस्तान के अवाॅर्ड से नवाज़ा था और 1998 में जब वह अवाॅर्ड लेने पाकिस्तान आए थे तो उन्हों ने पेशावर में अपने आबाई घर का दौरा किया। हुकूमत ने 2017 में उनके घर को क़ौमी विरसा क़रार दिया है और वहां म्यूज़ियम बनाने के एलान भी किया है। यह एक हवेली है।

घर के मालिक ने दिलीप कुमार के घर को गिरा कर प्लाज़ा बनाने की कोशिश की लेकिन सरकार ने उनको ऐसा करने से रोक दिया और घर अपने कब्ज़े में ले लिया।

दिलीप कुमार 1998 में जब अवाॅर्ड लेने पाकिस्तान गए थे तो उन्होंने पेशावर में अपने आबाई घर का दौरा किया था।

दिलीप कुमार 1998 में जब अवाॅर्ड लेने पाकिस्तान गए थे तो उन्होंने पेशावर में अपने आबाई घर का दौरा किया था।

दिलीप साहब तो पाकिस्तान में लड़कियों की ज़िंदगी तबाह कर आए हैं…
लाहौर में पाकिस्तानी फिल्म एक्ट्रेस आसमा अब्बास ने जब अपनी 90 साल की बेड रिडन अम्मी महूमदा अहमद बाशीर को बताया कि दिलीप साहब नहीं रहे, तो वे अपने होंठ भींच कर रोने लगीं। बोलीं- ‘वो भी चले गए, हम ही लेट हो गए हैं, अब हमारी बारी है।’

आसमा अब्बास बताती हैं कि दिलीप साहब हमारे दिल में बसे हुए थे, हर दिन उनके बारे में डर लगता था और आज वह मनहूस खबर आ ही गई।

आसमा अब्बास बताती हैं कि दिलीप साहब हमारे दिल में बसे हुए थे, हर दिन उनके बारे में डर लगता था और आज वह मनहूस खबर आ ही गई।

महमूदा 50 की उम्र में बड़ी बहन के साथ जब हिंदोस्तान आईं थीं तो दिलीप साहब से मिली थीं। दोनों बहनों ने दिलीप साहब से कहा था कि पाकिस्तान में तो वह लड़कियों की ज़िंदगी तबाह कर आए हैं। क्योंकि लड़कियां उनके नाम पर ज़हर खाने को तैयार हैं। इस पर दिलीप साहब शर्मा गए थे। फिर कहा था कि मैं माज़रत चाहूंगा मेरी वजह से पाकिस्तान में ऐसा हुआ है तो।

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