पाई-पाई को मोहताज तालिबान, महीनों से लड़ाकों को नहीं दिए पैसे, चंदे पर जीने को मजबूर: रिपोर्ट
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तालिबान के कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान में आर्थिक संकट पैदा हो गया है, क्योंकि देश को मिलने वाले वैश्विक वित्तीय मदद पर रोक लगा दई गई है। तंगहाली से जूझ रहे तालिबान ने आम जनता के लिए भी बैंक से पैसे निकालने की सीमा तय कर दी है। हालांकि, अब तालिबान के पास खुद इतने पैसे भी नहीं बचे कि वह अपने लड़ाकों को दे सके। न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि तालिबानी लड़ाकों को बीते कई महीनों से एक भी रुपया नहीं मिला है।
अधिकतर देशों ने तालिबानी सरकार को मान्यता देने से भी मना कर दिया है, जिसके बाद देश में पैसों की किल्लत और बढ़ गई है। तालिबानी कब्जे के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने अफगानिस्तान को मिलने वाले कर्ज तक पर रोक लगा दी। अमेरिका ने भी अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक की 9.4 अरब डॉलर की संपत्ति को फ्रीज कर दिया। वहीं, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने भी अपने 39 सदस्यों से तालिबानी संपत्तियों को फ्रीज करने के लिए कहा है।
इन हालात में अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पस्त हो रही है और वहां महंगाई आसमान छूती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र ने इसी हफ्ते चेताया था कि जल्द ही अफगानिस्तान की 97 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे चली जाएगी। तालिबान के कब्जे से पहले यह आंकड़ा 72 फीसदी था।
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे तालिबानी लड़ाकों की बड़ी तादाद है जो थोड़े से खाने और बेहद कम नींद के साथ ट्रंकों या फिर कहीं भी जीवन गुजार रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है स्थानीय लोग तालिबानियों को खाना और अन्य जरूरी सामान मुहैया करवा रहे हैं।
तालिबान ने पहले ही देश के नागरिकों के लिए बैंक से सिर्फ 200 डॉलर निकालने की सीमा तय कर दी है। इसके लिए भी लोगों को मीलों चलकर शहर पहुंचना पड़ता है और लंबी कतारों में घंटों इंतजार करना पड़ता है। तालिबानी कब्जे के बाद से कई बैंकों पर ताला लग गया है और जो बैंक खुले हैं उनसे पैसे निकालने की सीमा बहुत कम है।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को यह चेताया कि करीब 40 लाख अफगानी खाद्य संकट से जूझ रहे हैं और इनमें से अधिकांश ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा कि आने वाले महीनों में इन लोगों को मदद के लिए तुरंद 3.6 करोड़ डॉलर की आवश्यकता है।
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