पंजाब सरकार के सिर्फ ‘रोष’ प्रस्ताव: कृषि सुधार कानून, BSF, बिजली समझौतों और पंजाब कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट पर कोई जमीनी असर नहीं
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- This Is Only ‘rage’ Proposal Of Punjab Government, No Ground Effect On Agriculture Reform Act, BSF, Electricity Agreements And Punjab Contract Farming Act.
चंडीगढ़15 मिनट पहले
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पंजाब विधानसभा में डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने BSF के बढ़े अधिकार क्षेत्र के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई। – फाइल फोटो
पंजाब विधानसभा में सीमा सुरक्षा बल (BSF) और केंद्र के तीन कृषि कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिए गए हैं। पंजाब सरकार इसे ऐतिहासिक बता रही है। हालांकि एक्सपर्ट मानते हैं कि यह सिर्फ सरकार का रोष मात्र है। जमीनी स्तर पर इसका कोई फायदा नहीं होने वाला। यही बात पंजाब में 2013 के कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट को लेकर है। यह एक्ट पहले लागू नहीं था।
प्राइवेट थर्मल प्लांटों से बिजली समझौते में बिजली सस्ती मिली तो ही फायदा होगा। सरकार राजनीतिक तौर पर भले ही अपनी पीठ ठोके, लेकिन इन प्रस्तावों का केंद्र के फैसलों पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। खासकर अभी इन प्रस्तावों को गवर्नर के जरिए राष्ट्रपति तक पहुंचना है।
पंजाब विधानसभा में CM चन्नी की टिप्पणी के बाद नवजोत सिद्धू और पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया आमने-सामने हो गए।
ऐसे समझिए … क्यों जमीनी स्तर पर नहीं असर
BSF के अधिकार क्षेत्र विवाद : केंद्र ने नोटिफिकेशन जारी करके पंजाब में BSF का अधिकार क्षेत्र 15 से बढ़ा 50 किमी कर दिया। पंजाब विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव पास कर केंद्र का नोटिफिकेशन रद्द कर दिया गया। हालांकि यह सिर्फ विरोध मात्र है। राज्य सरकार केंद्र के कानूनों को इस तरह खारिज नहीं कर सकती। यही वजह है कि सीनियर एडवोकेट और कांग्रेसी सांसद मनीष तिवारी ने अपनी सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी है। डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने भी विधानसभा में कहा कि वह HC और SC जाएंगे।
केंद्रीय कृषि सुधार कानून : किसानों के विरोध का कारण बने कृषि सुधार कानूनों को विधानसभा में रद्द कर दिया गया। हालांकि इससे कानून रद्द नहीं होंगे। देश की संसद में पारित कानून विधानसभा रद्द नहीं कर सकती। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम रहते इन्हें संशोधित किया था, लेकिन वे गवर्नर ऑफिस तक ही पेंडिंग रह गए।
बिजली समझौते : प्राइवेट थर्मल प्लांटों से बिजली खरीद समझौते बिजली ट्रिब्यूनल में पहुंच चुके हैं। ऐसे में सरकार ने इसे रद्द नहीं किया। केंद्र के एक्ट के तहत यह समझौते हुए। उस वक्त केंद्र में PM डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली UPA सरकार थी। इसीलिए पंजाब सरकार ने बिजली रेटों पर पुनर्विचार का रास्ता पकड़ा है। ऐसा हुआ तो ही पंजाब सरकार को फायदा होगा। दबाव बनाने के लिए राज्य सरकार ने विजिलेंस जांच का भी दांव खेला है।
पंजाब कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट : अकाली-भाजपा सरकार ने यह एक्ट 2013 में बनाया था। इसमें जिला और राज्य स्तर पर कमेटी बननी थी। हालांकि यह एक्ट कभी लागू ही नहीं हुआ। ऐसे में इसे रद्द करना या न करना एक समान है। इसकी जगह पंजाब ने अपना एक्ट जरूर बना दिया, लेकिन केंद्र के कानूनों के समक्ष गवर्नर ऑफिस से आगे बढ़ना इसके लिए बड़ी चुनौती है।
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