पंजाब विधानसभा चुनाव 2022: 6 साल बाद बेअदबी फिर राजनीति के केंद्र में; 2017 में अकाली-BJP गठजोड़ को मिली थी शर्मनाक हार
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चंडीगढ़21 मिनट पहलेलेखक: मनीष शर्मा
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विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 6 साल बाद पंजाब में बेअदबी फिर से राजनीति के केंद्र में आ गई है। साल 2015 में फरीदकोट जिले में बेअदबी और उसके विरोध में गोलीकांड की घटनाएं हुई थी। जिसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में अकाली-भाजपा गठबंधन को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी।
10 साल तक सरकार चलाने वाला गठबंधन साल 2017 में 18 सीटों पर सिमटकर रह गया। इससे पहले गठजोड़ ने 2 बार लगातार चुनाव जीता। लेकिन बेअदबी की वजह से वह विपक्षी दल के लायक तक नहीं रहे। इस वजह से अब हुई बेअदबी की घटना पर हर राजनीतिक दल की तीखी प्रतिक्रिया आ रही है।
शनिवार शाम को जिस स्वर्ण मंदिर श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी की कोशिश और आरोपी की भीड़ ने हत्या की, वह सिखों का सर्वोच्च धार्मिक स्थल है। यहां सिर्फ सिख ही नहीं बल्कि हर धर्म के लोग श्रद्धा से शीश झुकाते हैं।
कैप्टन के CM रहते भी इसकी जांच चलती रही लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला
6 साल में 3 SIT, 2 कमीशन और CBI जांच के बाद भी नतीजा जीरो
पंजाब के फरीदकोट जिले में 2015 में बेअदबी की घटना हुई थी। उस वक्त पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार थी। उस वक्त तत्कालीन CM प्रकाश सिंह बादल ने जांच के लिए तत्कालीन ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन के डायरेक्टर इकबालप्रीत सहोता की अगुवाई में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की।
इसके बाद यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के पास चला गया। लंबी छानबीन के बावजूद सीबीआई के हाथ भी खाली रहे। इसी दौरान अकाली-भाजपा सरकार ने जस्टिस जोरा सिंह कमीशन भी गठित किया था। उनकी रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं हुई।
2017 में विस चुनाव के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह सीएम बने। उन्होंने चुनावी वादे के मुताबिक सेवामुक्त जस्टिस रणजीत सिंह की अगुवाई में कमीशन गठित किया। इसके बाद 4 पुलिस अफसरों को केस में नामजद भी किया गया। इसी कमीशन की सिफारिश पर कैप्टन सरकार ने एक और SIT गठित की। जिसमें अफसरों की रिपोर्ट को हाईकोर्ट ने खारिज कर नई एसआईटी जांच के आदेश दिए। इसके बाद फिर से नई SIT बनाई गई।
पंजाब पुलिस की नई SIT की अभी तक मामले में जांच जारी है
नई SIT की जांच अभी तक जारी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने IG एसपीएस परमार की अगुवाई में नई एसआईटी बनाई। जिसने रोहतक की सुनारिया जेल जाकर डेरा सच्चा सौदा के मुखी राम रहीम से पूछताछ की। इसके बाद डेरे के सिरसा स्थित हेडक्वार्टर जाकर वाइस चेयरमैन डॉ. पीआर नैन से भी पूछताछ की। इसके बावजूद अभी तक एसआईटी की जांच पूरी नहीं हुई है।
कुछ दिन पहले हाईकोर्ट में सौंपी रिपोर्ट में एसआईटी ने कहा कि डेरा मुखी राम रहीम जांच में सहयोग नहीं कर रहा। उसे गिरफ्तार कर पूछताछ करने की इजाजत दी जाए। हालांकि इसके बावजूद अभी तक बेअदबी करने वालों के बारे में पंजाब सरकार कुछ भी पता नहीं लगा सकी।
जिस वक्त बेअदबी की घटना हुई, प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे
लगातार चल रही राजनीतिक लड़ाई
पंजाब में श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर राजनीतिक लड़ाई लगातार चल रही है। कांग्रेस लगातार इसके लिए अकाली दल को जिम्मेदार ठहराता रहा है। हालांकि अकाली दल भी सवाल पूछ रहा कि अगर ऐसा था तो पिछले 5 साल में उन्होंने अभी तक किसी पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। इसके उलट बेअदबी और उसके बाद हुई गोलीकांड की घटनाओं के पीड़ितों के जख्म आज तक नहीं भरे हैं।
कांग्रेस को घेरने में जुटे अकाली दल और भाजपा नेता
पंजाब में अब कांग्रेस सरकार के वक्त स्वर्ण मंदिर में बेअदबी की यह घटना हुई। जिसके बाद अकाली दल के सरपरस्त और पंजाब के पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल ने इसकी केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग की। अकाली प्रधान सुखबीर बादल ने भी कांग्रेस सरकार से मांग की कि उन्हें इसकी तह तक जाकर पूरा मामला बेनकाब करना चाहिए। पूर्व SGPC प्रधान जगीर कौर ने भी इसके पीछे साजिश की बात कही। BJP एक कदम आगे बढ़ी और पंजाब प्रधान अश्वनी शर्मा ने कांग्रेस सरकार ने पिछले समय में हुई बेअदबी की घटनाओं में कोई कार्रवाई नहीं की। जिस वजह से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।
बेअदबी पर कार्रवाई को लेकर CM चन्नी और डिप्टी सीएम रंधावा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं
सरकार की सफाई, जांच करेंगे
विपक्षियों के हमले को देखते हुए CM चरणजीत चन्नी ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच की जाएगी। पंजाब पुलिस इसकी तह तक जाकर पूरी साजिश को बेनकाब करेगी। वहीं, गृह मंत्रालय देख रहे सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि अगर बेअदबी की कोशिश करने वाला मारा नहीं जाता तो उससे पूरी साजिश उगलवा ली जाती। इससे पूरी सच्चाई सामने आती। हालांकि उन्होंने हत्या करने वाली भीड़ का बचाव करते हुए कहा कि भावनाओं में आकर उन्होंने यह कदम उठाया। विरोधियों के आरोप पर रंधावा ने कहा कि शनिवार को जहां पर यह घटना हुई, वहां पुलिस को जाने की इजाजत नहीं है।
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