पंजाब में सड़कों पर दौड़ने लगी सरकारी बसें: कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने के बाद चलने लगीं पंजाब रोडवेज, पनबस व पीआरटीसी बसें; 29 के बाद फिर चक्काजाम की चेतावनी

पंजाब में सड़कों पर दौड़ने लगी सरकारी बसें: कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने के बाद चलने लगीं पंजाब रोडवेज, पनबस व पीआरटीसी बसें; 29 के बाद फिर चक्काजाम की चेतावनी

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जालंधर31 मिनट पहले

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पंजाब में सड़कों पर दौड़ने लगी सरकारी बसें: कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने के बाद चलने लगीं पंजाब रोडवेज, पनबस व पीआरटीसी बसें; 29 के बाद फिर चक्काजाम की चेतावनी

पंजाब में बसों से सफर करने वाले यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। पीआरटीसी, पनबस व पंजाब रोडवेज के कर्मचारियों ने 9 दिन बाद हड़ताल खत्म कर दी है। जिससे अब बुधवार से राज्य व उससे बाहर रूटों पर सरकारी बसें दौड़ने लगी हैं। पंजाब से प्रदेश के भीतर के अलावा हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व जम्मू के लिए बसों की आवाजाही है। इससे मुफ्त बस सफर स्कीम का लाभ उठाने वाली महिलाओं को भी सुविधा मिलने लगी है। हालांकि कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर 29 सितंबर तक उनकी मांग नहीं पूरी हुई तो फिर बेमियादी चक्काजाम कर देंगे।

30% वेतन बढ़ोतरी के बाद काम पर लौटे, पक्का करने के लिए 8 दिन में फैसला
कॉन्ट्रैक्ट बस कर्मचारियों ने पिछले हफ्ते सोमवार को बेमियादी हड़ताल करते हुए सरकारी बसों का चक्काजाम कर दिया था। जिसके बाद पंजाब में 8 हजार सरकारी बसें 29 डिपुओं में खड़ी होकर रह गई। इसके बाद कर्मचारियों से दूसरी बार की बातचीत के बाद इसका समाधान निकला। सरकार ने उनके वेतन में 30% बढ़ोतरी कर दी और हर साल 5% वेतन बढ़ाने का भरोसा दिया। इसके अलावा उन्हें पक्का करने के फैसले के लिए 8 दिन का वक्त मांगा। जिसके बदले कर्मचारियों ने उन्हें 14 दिन का वक्त दिया। इसके बाद सोमवार से हड़ताल खोल दी गई है।

जालंधर बस स्टैंड में सवारियों का इंतजार करती पंजाब रोडवेज की बसें।

जालंधर बस स्टैंड में सवारियों का इंतजार करती पंजाब रोडवेज की बसें।

20 हजार से ज्यादा रूट बंद, 20 करोड़ से अधिक नुकसान
कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी 9 दिन हड़ताल पर रहे। जिसकी वजह से करीब 2 हजार से ज्यादा बसें नहीं चली। इससे पंजाब रोडवेज, पनबस व पीआरटीसी के 20 हजार से ज्यादा रूट बंद रहे। इसे ट्रांसपोर्ट विभाग को 20 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि यह बात सरकार को सोचनी चाहिए थी कि बार-बार टालमटोल न करें। इसके अलावा पहले ही कर्मचारियों से पुख्ता ढंग से बात करे ताकि न सरकार का नुकसान हो और न आम लोगों को किसी तरह की परेशानी हो।

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