पंजाब कांग्रेस में फिर भड़की कलह: 40 कांग्रेसी MLA का हाईकमान को पत्र- विधायक दल की बैठक बुलाएं; 18 सूत्रीय फार्मूले पर हो चर्चा, संगठन व सरकार की तालमेल कमेटी की तीसरी बैठक भी टाली

पंजाब कांग्रेस में फिर भड़की कलह: 40 कांग्रेसी MLA का हाईकमान को पत्र- विधायक दल की बैठक बुलाएं; 18 सूत्रीय फार्मूले पर हो चर्चा, संगठन व सरकार की तालमेल कमेटी की तीसरी बैठक भी टाली

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जालंधर8 मिनट पहले

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पंजाब कांग्रेस में फिर भड़की कलह: 40 कांग्रेसी MLA का हाईकमान को पत्र- विधायक दल की बैठक बुलाएं; 18 सूत्रीय फार्मूले पर हो चर्चा, संगठन व सरकार की तालमेल कमेटी की तीसरी बैठक भी टाली

पंजाब कांग्रेस में कलह फिर बढ़ गई है। अब कांग्रेस के 40 MLA ने कांग्रेस हाईकमान को पत्र लिखा है। जिसमें पंजाब कांग्रेस की विधायक दल (CLP) की बैठक बुलाने की मांग की गई है। इसमें बहाना तो कांग्रेस हाईकमान के 18 सूत्रीय फार्मूले पर चर्चा की है लेकिन पूरी कवायद CM कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रति अविश्वास का है। यही वजह है कि विधायकों ने पत्र में विधायक दल की बैठक के दौरान केंद्रीय पर्यवेक्षक भी तैनात करने को कहा है।

इससे पहले सिद्धू के विवादित सलाहकार रहे मालविंदर माली ने भी बागियों को यही राय दी थी। पत्र लिखने के पीछे कैप्टन से नाराज मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा व सुखजिंदर रंधावा व विधायक परगट सिंह के अलावा सिद्धू खेमे के दूसरे विधायक हैं। पत्र में बाद में सभी विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए हैं।

इसी बीच खास बात यह है कि कैप्टन सरकार व नवजोत सिद्धू की अगुवाई वाले पंजाब कांग्रेस संगठन के लिए 13 मेंबरी कमेटी बनी थी। जिसमें 3 मंत्री भी शामिल हैं। इसकी बैठक भी लगातार तीसरी बार टाल दी गई है। सिद्धू खेमा इस बैठक के मूड़ में नहीं है। खासकर, वो कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रधानगी में ऐसी कोई बैठक नहीं करना चाहते।

सिद्धू के सलाहकार माली ने उसी वक्त पहली बगावत फेल होने की संभावना जताई थी।

सिद्धू के सलाहकार माली ने उसी वक्त पहली बगावत फेल होने की संभावना जताई थी।

सिद्धू के पूर्व सलाहकार माली ने भी दिया था ऐसा ही सुझाव

अगस्त महीने के अंत में मंत्रियों ने ऐसे ही कैप्टन के खिलाफ बगावत करते हुए उन्हें CM की कुर्सी से हटाने की मांग की थी। तब सिद्धू के पूर्व विवादित सलाहकार रहे मालविंदर माली ने उनके तरीके पर सवाल उठाया था। माली ने सुझाव दिया था कि इसकी जगह उन्हें विधायक दल की बैठक बुलाकर मुद्दे उठाते। अगर कैप्टन नहीं बुलाते तो फिर सिद्धू को कहा जाता। इसका अंत भी कैप्टन को कुर्सी से हटाने की मुहिम ही होनी थी।

पहले हाईकमान ने दबा दी थी बगावत

इससे पहले भी मंत्री बाजवा, रंधावा, चरणजीत चन्नी व सुख सरकारिया की अगुवाई में करीब 30 विधायकों की बैठक हुई। जिसके बाद कैप्टन को CM की कुर्सी से हटाने की मांग की गई। इसके बाद विधायक तीन मंत्री चन्नी, बाजवा व रंधावा और विधायक सुरजीत धीमान व वरिंदरमीत पहाड़ा देहरादून में पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से भी मिले। इसके बाद वो दिल्ली भी गए लेकिन हाईकमान ने मिलने का वक्त नहीं दिया। इस बगावत को हाईकमान ने वहीं दबा दिया। इसके बाद कैप्टन ने खेल मंत्री राणा गुरमीत सोढ़ी के घर 58 विधायक व सभी सांसदों को इकट्‌ठा कर अपनी ताकत दिखाई थी।

मंत्री सुखजिंदर रंधावा व तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा।

मंत्री सुखजिंदर रंधावा व तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा।

बाजवा व रंधावा की सुलह की कोशिश नाकाम

पंजाब कांग्रेस में कैप्टन के दबदबे को देख मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा व सुखजिंदर रंधावा ने सुलह की कोशिश की। वो बटाला को जिला बनाने के बहाने कैप्टन से मिलकर गिले-शिकवे दूर करना चाहते थे। हालांकि कैप्टन ने यह कहकर सुलह की कोशिश पर पानी फेर दिया कि इसकी मांग तो सांसद प्रताप सिंह बाजवा पहले ही कर चुके। उस पर सरकार विचार भी कर रही है। कैप्टन ने यह भी कहा कि वो मिलते तो इसके बारे में पत्र लिखने से पहले उन्हें बता देते। दोनों मंत्रियों ने इसके जवाब में कटाक्ष कसा था कि वो कैप्टन मिलते ही कहां हैं?।

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