पंच तत्वों में भारत की गूंज: पृथ्वी पर कोई जगह नहीं जहां न पहुंचे हमारी मिसाइल, कीमती धातु खोद लाने से रोक नहीं पाया समुद्र जल; अग्नि, वायु और आकाश भी नतमस्तक
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17 घंटे पहले
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पूरा भारत आज स्वतंत्रता का 75वां पर्व मना रहा है। यूं तो स्वतंत्र भारत के इन 74 सालों की सैकड़ों-हजारों कहानियां हैं, लेकिन इसकी कामयाबी के कुछ ऐसे पायदान हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। पंचशील के सिद्धांत मानने वाले इस देश का नाम आज पंचतत्वों में गूंज रहा है। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश में आज भारत को चुनौती देने वाला कोई नहीं।
कभी साइकिल पर रखकर लाए गए पुर्जों को जोड़कर पहला रॉकेट छोड़ने वाले तीसरी दुनिया के इस देश ने पहली ही कोशिश में मंगल ग्रह की कक्षा तक मंगलयान पहुंचा दिया।
कभी फूंकनी से फूंक-फूंककर घर का चूल्हा गर्म करने वाला भारत आज ‘कल्याणी’ और ‘दुर्गा’ नाम की दहकती ब्लास्ट फर्नेस में रो75ज हजारों टन इस्पात को पिघला देता है। कभी बिजली के बिना खुले आसमान के नीचे हवा में सोने वाला भारत आज उसी पवन की ऊर्जा से हजारों मेगावॉट बिजली बना रहा है।
कभी लकड़ी के जहाजों पर आए अंग्रेजों की तोपों से मात खाने वाला हमारा भारत आज अपनी मिसाइलों से पृथ्वी के किसी भी कोने में मौजूद किसी भी दुश्मन पर परमाणु बम से कहर बरपा सकता है।
तो आइए पांच ग्राफिक्स के जरिए जानते हैं कैसे पंचतत्वों में भारत की पताका लहरा रही है…
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