नौकरी की आस लेकर सीएम चन्नी से मिलने पहुंची एथलीट,: बोली हरियाणा के खिलाड़ी को देने लिए पैसे हैं पंजाब की बेटी को नहीं
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लुधियाना41 मिनट पहलेलेखक: दिलबाग दानिश
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अपने मेडल दिखाते हुए रमनदीप कौर।
भट्टियां की रहने वाली पोलियो ग्रस्त वेट लिफटर रमनदीप कौर ने बेंच प्रेस करती हैं इसमें उनके दो दर्जन से भी ज्यादा सोने के तगमे हैं। 75 फीसद पोलियो से ग्रस्त रमन असंभव को संभव करने का दम रखती हैं मगर अब गरीबी और लाचारी से हार गई हैं। वह लुधियाना पहुंचे मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से नौकरी की आस लेकर मिलने लिए सर्किट हाउस पहुंची थीं मगर उसे मिलने नहीं दिया गया। राजनीतिक सिस्टम और सरकार को तंज मारते हुए कहती हैं सरकार के पास हरियाणा के खिलाड़ी नीरज चोपड़ा को देने के लिए पैसे और नौकरी तो है मगर उसके लिए कुछ नहीं है। जबकि उसने तंगी में अपना जीवन जापन करते हुए इतने मैडल जीते हैं। वह कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी मुख्यंत्री रहते हुए मिली थी मगर नौकरी नहीं मिली है। वह कहती हैं कि जो भारत का जो नीला बलेजर और मेडल कभी उसके लिए शान और इज्जत देते थे आज कल अभिशाप बन गए लगते हैं। जैसे ही वह किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को मिलने जाती है तो उसका यह ब्लेजर और मेडल देखकर उसे पीछे ही रोक दिया जाता है।
अपने मैडल दिखाते हुए रमनदीप कौर, वह चनणजीत सिंह चन्नी से मिलने आई थी मगर निराश होकर वापिस लौटना पड़ा।
काॅमन वेल्थ गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट हैं रमन
रमनदीप कौर पोलियो से पीड़ित होने के बावजूद ग्रेजूएशन कर चुकी हैं। वह कहती हैं कि प्राईमरी स्कूल में वह जमीन पर घिसड़ कर जाती थीं और उसी मेहनत और तप ने उनहें मजबूत बनाया है। वह अब तक दो दर्जन के करीब मेडल जीत चुकी हैं। 2017 में साउथ अफ्रीका में हुईं कॉमनवेल्थ गेम के दौरान उन्हें गोल्ड मेडल मिला था। इसके अलावा नेशनल में गोल्ड और नेशनल गेम में रिकार्ड होल्डर हैं। नेशनल और प्रदेश स्तर की गेमों में तो उन्हें खुद नहीं पता है कि उनके कितने मैडल हैं। उनके पति आटो ड्राइवर हैं और कहती हैं कि इससे काम चलाना मुश्किल हुआ पड़ा है। इसी लिए वह अब नौकरी के लिए भटक रही है।
कभी श्रंगार लगते थे मैडल अब आने लगी घृणा
वह कहती हैं कि देश के लिए खेलते समय जो मेडल उसे मिले कभी वह उसे गहनों से भी अच्छे लगते थे। उसे ज्यादा सजने संवरने का शौक नहीं है मगर मेडल पहन उन्हें बेहद अच्छा अहसास होता है। मगर इन्हीं मेडलों से उसे घृणा होती है। वह कहती हैं कि अब जब वह यह मेडल लेकर चलती हैं तो उन्हें पीछे ही रोक दिया जाता है। जिस कारण उसे परेशानी खुद से भी घृणा होती है। टांग के दस ऑप्रेशन हो चुके हैं और वह फिर भी जरनल में खेलती हैं।
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