नीति आयोग-दिल्ली एम्स का अध्ययन: देश में समय पर इलाज न मिलने से 30 फीसदी मरीजों की असमय मौत

नीति आयोग-दिल्ली एम्स का अध्ययन: देश में समय पर इलाज न मिलने से 30 फीसदी मरीजों की असमय मौत

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नई दिल्ली8 मिनट पहलेलेखक: पवन कुमार

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नीति आयोग-दिल्ली एम्स का अध्ययन: देश में समय पर इलाज न मिलने से 30 फीसदी मरीजों की असमय मौत

नीति आयोग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर आपातकालीन विभाग रेजिडेंट डॉक्टर्स के भरोसे चलते हैं और इनकी भी रोटेशन में ड्यूटी लगती है।

किसी भी देश के किसी भी अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड वो जगह होती है जहां डॉक्टर को सबसे मुश्किल परिस्थितियों और सबसे कम समय में मरीज की जान बचानी होती है। मगर भारत के अस्पतालों में इमरजेंसी वार्ड्स का हाल ये है कि यहां आने वाले 30% मरीजों की मौत समय पर इलाज न मिलने की वजह से हो जाती है।

नीति आयोग और दिल्ली एम्स के ट्रॉमा सेंटर चिकित्सकों ने मिलकर देश के 29 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 100 बड़े और जिला अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड में उपलब्ध सुविधाओं पर अध्ययन किया है। अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक देश में आपातकालीन विभाग और यहां चिकित्सीय सुविधाओं का जबरदस्त अभाव है। देश के अस्पतलों में ट्राॅमा सेंटर और ट्राॅमा सर्जन के अलावा विशेषज्ञ डॉक्टर्स के अभाव से इलाज में देरी होती है।

नीति आयोग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर आपातकालीन विभाग रेजिडेंट डॉक्टर्स के भरोसे चलते हैं और इनकी भी रोटेशन में ड्यूटी लगती है। आपात विभाग में इलाज में कई कारणों से देरी होती है। यदि व्यवस्था में सुधार कर देरी को कम किया जाए और गोल्डन ऑवर (मरीज को अस्पताल लाए जाने के बाद का एक घंटा) में इलाज उपलब्ध करा दिया जाए तो बड़ी संख्या में मौत काे टाला जा सकता है।

इमरजेंसी में 50% को ऑर्थोपेडिक देखते हैं
देश में आपातकालीन विभाग में गंभीर हालात में पहुंचने वाले 50% मरीजों का इलाज ऑर्थोपेडिक सर्जन के भरोसे रहता है। दरअसल आपातकालीन विभाग में यह व्यवस्था नहीं बनाई गई है कि यदि चोट और बीमारी के अनुसार विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं तो इस तरह के मरीजों का इलाज कौन करेगा। यदि मरीज को एक से अधिक तरह की दिक्कत है तो इलाज कौन करेगा। इसकी वजह से इलाज में देरी हो जाती है।

सिफारिश: इमरजेंसी मेडिसिन विभाग बने

  • इमरजेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट स्थापित करना होगा क्योंकि ऐसे ट्राॅमा सर्जन नहीं हैं जिन्हें ऐसा प्रशिक्षण मिला हो।
  • 91% अस्पतालों में एंबुलेंस, लेकिन प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ सिर्फ 34% एंबुलेंस में ही। सुधार जरूरी।
  • 9 फीसदी अस्पतालों के आपात विभाग में ही जरूरी दवाएं 24 घंटे उपलब्ध रहती है।

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