नारायण राणे का सफरनामा: कभी मुंबई की सड़कों पर फाइटर हुआ करते थे राणे, बाला साहब के निर्देश पर बने थे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

नारायण राणे का सफरनामा: कभी मुंबई की सड़कों पर फाइटर हुआ करते थे राणे, बाला साहब के निर्देश पर बने थे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

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मुंबई9 घंटे पहले

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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे का मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होना तय हो चुका है। शिवसेना से अपने सियासी करियर की शुरुआत करने वाले राणे कांग्रेस पार्टी में भी लंबे समय तक रह चुके हैं। 2018 में उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। राणे को कभी बाला साहब का बेहद करीबी माना जाता था। राणे के लिए कहा जाता है कि राजनीति में आने से पहले वे मुंबई में स्ट्रीट फाइटर हुआ करते थे।

60 के दशक में ‘हरया-नरया’ ग्रुप से जुड़े थे राणे
नारायण राणे का जन्म 10 अप्रैल, 1952 को महाराष्ट्र में हुआ था। अंग्रेजी अखबार ‘डीएनए’ के मुताबिक, 60 के दशक में नारायण राणे मुंबई के चेंबूर इलाके में सक्रिय ‘हरया-नरया’ गैंग से जुड़े थे। एक चिकन की दुकान चलाने वाले राणे एक ‘स्ट्रीट फाइटर’ भी थे। उनके खिलाफ मुंबई के घटला पुलिस थाने में हत्या का एक केस भी दर्ज हुआ था।

उस दौरान ‘हरया-नरया जिंदाबाद’ नाम से एक फिल्म भी बनी थी। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, नारायण राणे जब 14 साल के थे जब उनकी गिरोह से जुड़े एक अन्य सक्रिय सदस्य माधव ठाकुर ने बुरी तरह से पिटाई की थी। बालिग होने के बाद राणे ने शिवसेना ज्वाइन की और शाखा प्रमुख बन गए। उसके बाद राणे शिवसेना से पार्षद बने।

नारायण राणे का राजनीतिक सफर
नारायण राणे कांग्रेस में शामिल होने से पहले शिवसेना में थे। हाल ही मे उनके 65 साल पूरे होने पर उन्होंने कहा था कि बालासाहब ठाकरे की वजह से नारायण राणे को पहचान मिली।

  • 1968: 16 साल की उम्र में शिवसेना से जुड़े।
  • 1985 से 1990: शिवसेना के पार्षद बने इसके बाद BEST के अध्यक्ष बने।
  • 1990-95 : पहली बार विधायक बने। इसी बीच विधान परिषद के सदस्य भी बने।
  • 1996-99: शिवसेना-BJP की सत्ता में राजस्व मंत्री बने।
  • 1999: बाला साहब के निर्देश पर 7 महीने तक मुख्यमंत्री रहे।
  • 2005: उद्धव ठाकरे से मतभेद के बाद 3 जुलाई 2005 को शिवसेना छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए। इसके बाद कांग्रेस में राजस्व मंत्री बने।
  • 2007: कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को टक्कर दी।
  • 2009: महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री बने।
  • 2014: लोकसभा चुनाव में बेटे नीलेश की हार के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दिया।
  • 2017: कांग्रेस का दामन छोड़ अपनी पार्टी बनाई।
  • 2019: भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा।

इसलिए शिवसेना से हुए अलग
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि नारायण राणे और शिवसेना के बीच अलगाव परिवारवाद कि वजह से आया। बात 18 साल पहले की है जब नारायण राणे मुख्यमंत्री थे। करीब नौ महीने तक CM पद पर काबिज रहने के बाद राणे और बाल ठाकरे के बेटे उद्धव के बीच खींचतान होने लगी।

राणे को शिवसेना का रिमोट कंट्रोल से चलने वाला CM कहा जाता था। यह कहा जा रहा था कि असली बागड़ोर उस वक्त उद्धव संभालने लगे थे। इसके बाद भाजपा-शिवसेना गठबंधन चुनाव हार गया और राणे विपक्ष के नेता बन गए। 2005 में राणे को पार्टी से बाल ठाकरे ने यह कहते हुए निकाल दिया कि, ‘नेता हटाने और चुनने का अधिकार शिवसेना में मुझे ही है।’ उस वक्त यह कहा गया कि पुत्र मोह में बाला साहब ठाकरे ने नारायण राणे को पार्टी से अलग किया था।

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