नए खतरे की आहट: खतरनाक चक्रवातों के लिए हॉटबेड में बदल रहा अरब सागर, 2001 के बाद डेवलप हुए स्टॉर्म में 52% की बढ़ोतरी, तूफानों की स्टडी से बड़ा खुलासा

नए खतरे की आहट: खतरनाक चक्रवातों के लिए हॉटबेड में बदल रहा अरब सागर, 2001 के बाद डेवलप हुए स्टॉर्म में 52% की बढ़ोतरी, तूफानों की स्टडी से बड़ा खुलासा

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नई दिल्ली7 घंटे पहले

अरब सागर साइक्लोन के डेवलप होने के लिए हॉटबेड बनता जा रहा है। इसका मतलब है कि यहां इस तरह की परिस्थितियां बन रही हैं जिनसे आने वाले दिनों में खतरनाक तूफान आ सकते हैं। ​​​भारत में हुई स्टडी में ​​​​रिसर्चर्स ने इसका खुलासा किया है। रिसर्चर्स ने 2001 के बाद अरब सागर में डेवलप हुए स्टॉर्म में 52% की बढ़ोतरी दर्ज की है। उन्होंने पाया है कि समुद्र की एनर्जी को आकर्षित करते हुए साइक्लोन धीरे-धीरे खतरनाक हो रहे हैं।

सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-राउरकेला और KBC उत्तर महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स इस स्टडी में शामिल थे। स्प्रिंगर की क्लाइमेट डायनेमिक्स जर्नल में यह स्टडी पब्लिश हुई है।

जलवायु विज्ञान के हिसाब से उत्तर हिंद महासागर इलाका अरब सागर और बंगाल की खाड़ी को कवर करता है। एक साल में पांच साइक्लोन दर्ज होते हैं, जो कि मई और नवंबर अधिक एक्टिव रहते हैं। वैज्ञानिकों ने अब इस पैटर्न में बदलाव पाया है। खास तौर से अरब सागर के ऊपर बने तूफान की तीव्रता में बदलाव दिखा है।

अरब सागर के ऊपर समुद्र की सतह के तापमान में बड़ा बदलाव
IITM पुणे के सीनियर साइंटिस्ट रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर का इलाका सामान्य तौर पर ठंडा रहता है, लेकिन अरब सागर के ऊपर समुद्र की सतह के तापमान में बड़ा बदलाव देखा गया है। अरब सागर में नमी बहुत अधिक हो गई है, जबकि बंगाल की खाड़ी में इसमें कमी पाई गई है।

ताउते तूफान के समय गेटवे ऑफ इंडिया का नजारा कुछ ऐसा हो गया था। यह तस्वीर देखकर लोग हैरान रह गए थे।

ताउते तूफान के समय गेटवे ऑफ इंडिया का नजारा कुछ ऐसा हो गया था। यह तस्वीर देखकर लोग हैरान रह गए थे।

अरब सागर में आए चक्रवात का समय 80% बढ़ा
अरब सागर में 2001-2019 के बीच आए अधिकतर तूफानों में चक्रवात का समय 80% तक बढ़ गया है। रिसर्च में पाया गया कि नवंबर 2020 दोनों समुद्रों में साइक्लोजेनेसिस और इंटेंसिफिकेशन के लिहाज से परफेक्ट था।

ताउते तूफान काफी देर तक दिखाता रहा अपना असर
इसी साल मई में लक्षद्वीप के पास डेवलप हुआ ताउते तूफान गुजरात के तट से टकराया था। यह इतना ताकतवर था कि लैंडफॉल के 24 घंटे बाद तक इसका असर दिखता रहा। इससे राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश हुई, जबकि आमतौर पर साइक्लोन जमीन से टकराने के बाद जल्द ही थम जाते हैं।

ताउते ने गुजरात में काफी तबाही मचाई थी। कई पेड़ उखड़ गए। सड़कें टूट-फूट गईं।

ताउते ने गुजरात में काफी तबाही मचाई थी। कई पेड़ उखड़ गए। सड़कें टूट-फूट गईं।

पिछले 4 साल में अरब सागर के ऊपर बने चक्रवातों की तीव्रता अधिक रही
पिछले चार साल में अरब सागर के ऊपर बने चक्रवातों की तीव्रता अधिक रही है। इनमें हवा की गति 89-117 किमी/घंटा या उससे अधिक दर्ज की गई। इनमें अत्यंत गंभीर चक्रवात मेकानू (2018), बहुत गंभीर तूफान वायु (2019), गंभीर चक्रवाती तूफान निसर्ग (2020) और अति गंभीर चक्रवाती तूफान ताउते (2021) शामिल हैं। इनमें से तीन या तो गुजरात या महाराष्ट्र से टकराए, जो भारत के पश्चिमी तट की संवेदनशीलता को दर्शाता है। अकेले 2019 में चार चक्रवात- वायु, हिक्का, क्यार और महा अरब सागर में डेवलप हुए। ये साल साइक्लोन के लिए सबसे एक्टिव रहा।

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