दो मंत्री-दो विचार: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- किसानों से बातचीत के लिए तैयार; मीनाक्षी लेखी बोलीं- उन्हें किसान मत कहिए, वे मवाली हैं
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नई दिल्ली29 मिनट पहलेलेखक: संध्या द्विवेदी
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आखिर किसान किसकी बात पर भरोसा करें? केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर या फिर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के बयान पर? एक तरफ कृषि मंत्री किसानों को खुले मन से चर्चा के लिए दावत देते हैं तो दूसरी तरफ उन्हीं की सरकार में मंत्री मीनाक्षी लेखी, किसानों को मवाली और षड्यंत्रकारी ठहराती हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ खुले मन से चर्चा के लिए तैयार है। किसान संगठनों को कृषि सुधार कानूनों के जिन प्रावधानों पर आपत्ति है उसे बताएं, सरकार उसका समाधान करेगी।
इस दिन BJP हेडक्वार्टर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने किसानों के धरने पर किए गए सवाल पर दो टूक कहा कि उन्हें किसान मत कहिए, वे मवाली हैं, षड्यंत्रकारी हैं। किसानों के पास इतना वक्त नहीं होता कि वह कामकाज छोड़कर धरने और विरोध प्रदर्शन पर बैठें।’
प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मीनाक्षी लेखी से पूछा गया कि सरकार ने ही तो उन्हें जंतर-मंतर पर किसान संसद लगाने की अनुमति दी है, अगर वे मवाली हैं तो उन्हें अनुमति क्यों मिली? इस पर लेखी ने कहा- ‘लोकतंत्र हैं, यहां धरने और विरोध करने का सबको अधिकार है, लेकिन उनकी इस संसद से कोई फर्क नहीं पड़ता।’
फोन जासूसी मामला कांग्रेस और TMC की मनगढ़ंत कहानी
पेगासस जासूसी मामले में लेखी ने कहा कि इस पूरी कहानी में डायरेक्टरी के यलो पेजेस में दर्ज फोन नंबरों की एक लिस्ट क्राफ्ट की गई, क्रिएट की गई, सर्कुलेट की गई और इस स्टोरी को फैला दिया गया। यह एक बिना प्रमाण और तथ्यों के फैब्रिकेशन से बनी कहानी है।
यह स्टोरी खुद कहती है- लीक डेटा। लीक डेटा अपराध है। यह जालसाजी है, मानहानि है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और TMC ने इस पूरी स्टोरी को गढ़वाया। हैरी पॉटर में जैसे दो मिथिकल यानी मनगढ़ंत कैरेक्टर थे। ठीक वैसे ही इस स्टोरी को भी गढ़ा गया। यह एक मनगढ़ंत कहानी है। एमनेस्टी इंटरनेशनल खुद इस पर बयान दे चुका है।
‘पेगासस मामले में सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं’
मीनाक्षी लेखी से दैनिक भास्कर ने पूछा कि अन्य नामों को छोड़ दें, लेकिन जिन 10 लोगों के फोन की फोरेंसिक एनालिसिस के बाद फोन जासूसी होने का दावा एक मीडिया हाउस ने किया है, वे तो सरकार से सवाल पूछेंगे ही। यही नहीं मामला उठा है तो जांच तो होनी ही चाहिए? इस पर उनका जवाब था कि किससे सवाल पूछेंगे। आपको पता ही नहीं कि दुनिया में क्या चल रहा है? आपके डेटा के साथ क्या कुछ खेल कौन-कौन लोग कर रहे हैं? पेगासस वगैरह सब बचकानी हरकतें हैं।
आप जो फोन खरीदते हैं, उसके अंदर जो माइक्रोचिप है, उन सब चीजों से जासूसी होती है। कौन लोग कर रहे हैं, उसके बारे में आप बात ही नहीं कर रहे। असल बात न हो, इसके लिए यह सब कांड हो रहा है। सरकार के ऊपर जासूसी मामले का कोई भार नहीं है। यानी सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद दैनिक भास्कर और भारत समाचार पर हुई रेड के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने जवाब देने से साफ मना कर दिया।
डेटा प्रोटेक्शन पर 7 महीने पहले ही बन चुकी है JPC
डेटा प्रोटेक्शन के सवाल पर मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 7 महीने पहले ही मेरी ही अध्यक्षता में इस मामले की जांच-पड़ताल और रिपोर्ट बनाने के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बन चुकी है। रिपोर्ट बनकर काफी पहले ही तैयार हो गई थी। उस पर हस्ताक्षर भी किए जा चुके हैं। लेकिन कोरोना, चुनाव और कैबिनेट रिशफल की वजह से अब तक पब्लिश नहीं हुई। जल्द ही वह रिपोर्ट पब्लिक होगी।
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