देशमुख की गिरफ्तारी के बाद नया ट्विस्ट: मुंबई के भगोड़े पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह का जांच आयोग को एफिडेविट, कहा- मेरे पास और सबूत नहीं
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मुंबई6 घंटे पहले
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ED की तरफ से महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की गिरफ्तारी के दो दिन बाद अचानक मामले में एक नया मोड़ आ गया। देशमुख के खिलाफ 100 करोड़ की वसूली के आरोप की जांच कर रहे चांदीवाल आयोग के सामने एक एफिडेविट आया है।
दावा किया जा रहा है कि यह एफिडेविट पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की ओर से भेजा गया है, जो इस समय भगोड़े घोषित हैं। एफिडेविट में परमबीर की तरफ से लिखा गया है कि उनके पास अनिल देशमुख के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। यह भी कहा है कि उनके पास देशमुख के खिलाफ और कोई सबूत ही नहीं है।
चांदीवाल आयोग के विशेष लोक अभियोजक के मुताबिक, पिछली सुनवाई में चांदीवाल आयोग को यह हलफनामा सौंपा गया था। सिंह के वकीलों ने भी इसकी पुष्टि की है। इससे पहले कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने रविवार को आरोप लगाया कि फरार चल रहे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह बेल्जियम में हैं।
परमबीर ने ही लगाया था आरोप, अब चल रही जांच
राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह ने 100 करोड़ रुपये की वसूली के आरोप लगाए थे। इस आरोप की न्यायिक जांच करने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक सदस्यीय जांच कमेटी का गठन 30 मार्च को किया था। इसी मामले में तीन मई को जारी एक अधिसूचना में राज्य सरकार ने जांच कमेटी को सिविल कोर्ट की शक्तियां प्रदान की हैं।
जांच टीम के बुलावे पर एक बार भी नहीं आए परमबीर
परमबीर सिंह के आरोप की जांच पूर्व जस्टिस कैलास उत्तमचंद चांदीवाल की एक सदस्यीय जांच टीम कर रही है। यह कमेटी परमबीर का बयान दर्ज करने के लिए कई बार उन्हें बुला चुकी है। लेकिन वे एक बार भी हाजिर नहीं हुए। इसके बाद पहली बार उन पर 5 हजार, फिर 25 और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। इसके बावजूद जब सिंह हाजिर नहीं हुए तो उनके खिलाफ दो बार वारंट भी जारी किया गया।
कमेटी के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गए हैं परमबीर
परमबीर सिंह की ओर से कमेटी के सामने 25 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान अधिवक्ता संजय जैन और अनुकुल सेठ पेश हुए थे। उन्होंने आयोग को सूचित किया था कि परमबीर सिंह ने कमेटी के अस्तित्व और समिति द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी है। इस मामले की अगली सुनवाई अभी लंबित है। इसलिए सुनवाई पूरी होने तक परमबीर की पेशी को टाल देना चाहिए।
कमेटी के पास सिर्फ कार्रवाई की सिफारिश की पावर
इससे पहले जुलाई 2021 में परमबीर सिंह ने कमेटी की स्थापना के तरीके पर सवाल उठाया था। इसे जस्टिस चांदीवाल ने खारिज करते हुए कहा था कि जांच कमेटी ठीक वही कर रही है, जो सीबीआई परमबीर सिंह और बर्खास्त एपीआई सचिन वझे द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के संदर्भ में कर रही है। जस्टिस चांदीवाल ने कहा, “आयोग सिर्फ एक वैधानिक प्राधिकरण (statutory authority) है और यह कोई निर्णय नहीं सुनाने जा रहा है। हम सिर्फ सिफारिश कर सकते हैं।”
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