देवभूमि के राजा का स्वर्गवास: लाेगाें के अंतिम दर्शन के लिए आज सुबह 9 बजे से 11.30 बजे तक रिज पर रखा जाएगा पार्थिक शरीर

देवभूमि के राजा का स्वर्गवास: लाेगाें के अंतिम दर्शन के लिए आज सुबह 9 बजे से 11.30 बजे तक रिज पर रखा जाएगा पार्थिक शरीर

[ad_1]

शिमला2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
अंतिम संस्कार से पहले बेटे विक्रमादित्य सिंह का होगा राजतिलक। - Dainik Bhaskar

अंतिम संस्कार से पहले बेटे विक्रमादित्य सिंह का होगा राजतिलक।

  • शिमला के आईजीएमसी में सुबह 3.40 बजे हुआ निधन
  • 87 वर्षीय वीरभद्र सिंह ने दो बार कोरोना को दी थी मात

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का वीरवार तड़के आईजीएमसी शिमला में निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे। आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज ने बताया कि सुबह 3 बजकर 40 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। दूसरी बार कोरोना से जंग जीतने के बाद वीरभद्र सिंह की हालत नाजुक बनी हुई थी। पिछले तीन दिन से वह वेंटिलेटर पर थे। वीरभद्र सिंह पिछले करीब दो महीने से अस्पताल में भर्ती थे।

उन्होंने पहली बार 1962 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे। वे 1983 में पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय मंत्री के रूप में भी लंबे समय तक देश की सेवा की है। माैजूदा समय में वे अर्की विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक थे। वीरभद्र सिंह की पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान होलीलॉज में रखा गया है।

वीरभद्र सिंह के निधन पर 15 दिनों के शोक की घोषणा की है। इस दौरान पार्टी के कोई भी राजनैतिक कार्यक्रम आयोजित नही होंगे। पार्टी महासचिव रजनीश किमटा ने बताया कि वीरभद्र सिंह का पार्थिव शरीर पार्टी मुख्यालय राजीव भवन में शुक्रवार सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर लाया जाएगा।

इससे पहले उनका पार्थिव शरीर लाेगाें के अंतिम दर्शन के लिए सुबह 9 बजे से साढ़े ग्यारह बजे तक रिज पर रखा जाएगा। एक बजे तक पार्टी कार्यकर्ता और आम लोग उनके अंतिम दर्शन कर करेंगे। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर उनके राजमहल रामपुर के लिए रवाना किया जाएगा। यहां पर 10 जुलाई को पदम पैलेस में उनके पार्थिक शरीर काे सुबह आठ बजे से 2 बजे तक लाेगाें के दर्शन के लिए रखा जाएगा। तीन बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

अंतिम संस्कार से पहले बेटे विक्रमादित्य सिंह का होगा राजतिलक

बुशहर रियासत के राजा पदमदेव सिंह के देहांत के बाद 1947 में 13 वर्ष की आयु में वीरभद्र सिंह ने राजगद्दी हासिल की थी। इतनी कम उम्र में राजगद्दी पर बैठने वाले वे पहले राजा थे। आजाद भारत में राजशाही प्रथा समाप्त होने के बाद वीरभद्र सिंह ने लोगाें के दिलों पर राज किया और वे उनके लिए राजा ही रहे।

शनिवार को रामपुर में वीरभद्र सिंह के वारिस विक्रमादित्य सिंह का राजतिलक किया जाएगा। उन्हें राजगद्दी पर बिठाने के बाद वीरभद्र सिंह का रामपुर में अंतिम संस्कार किया जाएगा। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा शुक्रवार को उन्हें श्रद्धांजलि देने रिज पर पहुंचेंगे।

पिता जी कहते थे- मेरी तरह जमीन से जुड़कर लाेगाें की सेवा करना, साथ देना

पिता जी अपने आप में एक इंस्टीट्यूट थे और उनका मार्गदर्शन हमेशा मुझे मिलता रहा।

पिता जी अपने आप में एक इंस्टीट्यूट थे और उनका मार्गदर्शन हमेशा मुझे मिलता रहा।

वीरभद्र सिंह के पुत्र और विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि पिता जी हमेशा कहते थे- जिस तरह मैंने जमीन से जुड़ कर लाेगाें की सेवा की व उनके काम किए, उसी तरह तुम भी जमीन से जुड़ कर लाेगाें काे सुनना और उनके दुख तकलीफ में भागीदार बनना।

पिता जी हमेशा मुझे खुद से आगे देखना चाहते थे। पिता जी ने अपने अंतिम समय से पहले मुझे सीख दी कि पूरी ईमानदारी और सच्ची निष्ठा से काम करना। वे हमेशा ही मेरे लिए मार्गदर्शक और गुरु रहे हैं। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि पिता जी अपने आप में एक इंस्टीट्यूट थे और उनका मार्गदर्शन हमेशा मुझे मिलता रहा। वे हमेशा मेरे साथ रहेंगे। मैं उनके दिखाए मार्ग पर चल कर उनके सपनाें काे साकार करूंगा। उनकी विरासत आगे बढ़ाऊंगा।

उन्होंने समृद्ध अनुभव से लोगों की सेवा की : मोदी

वीरभद्र सिंह जी का लंबा राजनीतिक जीवन था, उनके पास समृद्ध अनुभव था। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और राज्य के लोगों की सेवा की। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। शांति। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

नेहरू की सरकार में भी मंत्री रहे थे : सोनिया गांधी

वीरभद्र सिंह हमारे देश के सबसे लंबे, सबसे अनुभवी और सबसे जानकार नेताओं में से एक थे। उन्होंने केंद्र में जवाहर लाल नेहरू की सरकार में मंत्री के रूप में भी सेवाएं दीं। मैं उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करती हूं। -सोनिया गांधी, कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष

अब हिमाचल प्रदेश में कौन संभालेगा कांग्रेस की कमान

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद सूबे की राजनीति, खासकर कांग्रेस में अब सर्वमान्य नेता कौन होगा? प्रदेश की राजनीति में हलचल शुरू हो गई है। वीरभद्र सिंह जातीय समीकरणों में भी ऐसे चेहरे उभार कर चले गए हैं।

जो निश्चित रूप में आने वाले समय में कांग्रेस की कमान हो सकते हैं, क्योंकि सर्वमान्य नेता फिलहाल उसके पास कोई दिखता नहीं है। चंबा से आशा कुमारी हों, ऊना से मुकेश अग्निहोत्री हों, कांगड़ा से जीएस बाली, मंडी से कौल सिंह ठाकुर, हमीरपुर से राजेंद्र राणा या फ

उनका दृढ़ संकल्प, उत्कृष्ठ कार्य प्रेरणादायक : जयराम

वीरभद्र सिंह का निधन राज्य के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। प्रदेश के विकास में उनका योगदान अनुकरणीय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका मजबूत मनोबल, दृढ़ संकल्प और उत्कृष्ठ कार्य हम सबके लिए सदैव प्रेरणादायक रहेगा। -जयराम ठाकुर, सीएम, हिमाचल

पहले और आखिरी ऐसे नेता जिनका सभी प्रधानमंत्रियों के साथ रहा वास्ता

वीरभद्र सिंह पहले और आखिरी ऐसे नेता रहे जिनका अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों से किसी न किसी रूप में वास्ता रहा। देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू 1947 से 1964 तक इस पद पर रहे। वहीं वीरभद्र िसंह 1962 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद वे 15 प्रधानमंत्रियों से किसी न किसी तरह से संपर्क में रहे। इस समय भी वे अर्की (सोलन) से विधायक थे।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *