दहशतगर्दों का ट्रेनर पाकिस्तानी फौजी!: कश्मीर में आतंकियों को लड़ना सिखा रहा रिटायर्ड अफसर, पुंछ में 16 दिन से जूझ रही सेना
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श्रीनगर3 घंटे पहले
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भारतीय सुरक्षाबल के जवान जम्मू-कश्मीर में पुंछ के भट्टा दुर्रियां जंगल में आतंकियों को ढेर करने में लगे हुए हैं। माना जा रहा है कि ये वेल-ट्रेन्ड आतंकी पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड अधिकारी की लीडरशिप में लड़ रहे हैं। वही इन्हें गाइड कर रहा है और लड़ना सिखा रहा है।
यह ऑपरेशन 11 अक्टूबर को शुरू हुआ। आज 16वें दिन भी सुरक्षाबलों और आतंकियों के फायरिंग हुई। यह लगातार चलने वाला सबसे लंबा एंटी-टेरर ऑपरेशन है। इससे पहले दिसंबर 2008 और जनवरी 2009 के बीच लगातार 9 दिन तक एंटी-टेरर ऑपरेशन चला था। सेना के मुंहतोड़ जवाब के चलते आतंकी भागने को मजबूर हो गए थे।
सेना के 9 जवान इस ऑपरेशन में शहीद
सुरक्षाबलों ने ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अपनाई हुई है। जवानों ने अब तक 4 आतंकियों को मार गिराया है। सेना के 9 जवान इस ऑपरेशन में शहीद हुए हैं, जिनमें 2 JCO भी शामिल हैं। 11 अक्टूबर को आतंकवादियों ने एक तलाशी दल पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें पुंछ के सुरनकोट जंगल में एक JCO समेत 5 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद सुरक्षाबलों के भाग रहे आतंकवादियों को मार गिराने के लिए घेराबंदी और तलाशी अभियान बढ़ा दिया। 14 अक्टूबर को आतंकवादियों ने फिर से हमला किया और मेंढर के नर खास जंगल में आतंकवादियों के हमले में एक JCO सहित 4 सैनिक शहीद हो गए।
गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकी एनकाउंटर में मारा गया
रविवार को 2 पुलिस अधिकारी और एक जवान घायल हो गए। भाटा धूरियां इलाके में हुई मुठभेड़ में लश्कर ए तैयबा (LeT) के पाकिस्तानी आतंकी की मौत हुई। उसकी पहचान जिया मुस्तफा के तौर पर हुई। वह 2003 से कोर्ट बहलावल जेल में बंद था। जिया को एक ठिकाने की पहचान करने ले जाया गया था। जिया के पहुंचने पर भी आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। मुस्तफा भी इस हमले में घायल हो गया था। फायरिंग के कारण उसे समय पर अस्पताल नहीं ले जाया जा सका और उसकी मौत हो गई।
सैनिकों की सहायता के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल
अधिकारियों ने बताया कि LOC से चार किलोमीटर की दूरी पर जंगल में पैरा-कमांडो समेत मार्च कर रहे सैनिकों की सहायता के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टरों को सेवा में लगाया गया है। उन्होंने बताया कि जंगल का एक बड़ा हिस्सा साफ कर दिया गया है और अब तलाशी गुफाओं वाली जगहों तक सीमित है। 11 अक्टूबर और 14 अक्टूबर को शुरुआती मुठभेड़ों के बाद आतंकवादियों का कोई सुराग नहीं मिला।
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