तीसरी लहर को लेकर बड़ी चेतावनी: वैक्सीन से बनी हर्ड इम्युनिटी भी डेल्टा वैरिएंट के सामने नाकाम; संक्रमण कब रुकेगा अंदाजा लगा पाना मुश्किल
[ad_1]
- Hindi News
- National
- Coronavirus Delta Variant Alert; UK Vaccine Expert On How Long Is The Infection Period For Covid
लंदन7 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
सबसे तेजी से फैलने वाला कोरोना का डेल्टा वैरिएंट और ज्यादा खतरनाक होता जा रहा है। एक्सपर्ट्स का दावा है कि वैक्सीनेशन के बाद हर्ड इम्युनिटी भी इस वैरिएंट को रोक पाने में असफल दिख रही है। ऐसे में संक्रमण कब तक रहेगा यह कह पाना मुश्किल है।
ऑक्सफॉर्ड वैक्सीन ग्रुप के प्रमुख प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने मंगलवार को ब्रिटेन के ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप की मीटिंग में ये बाते कहीं। पोलार्ड ने कहा कि महामारी तेजी से अपना स्वरूप बदल रहा है। डेल्टा वैरिएंट अभी के समय में सबसे ज्यादा संक्रामक बना हुआ है।
प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, ‘हमारे पास ऐसा कुछ नहीं है जो संक्रमण को फैलने से रोकेगा। इसलिए मुझे लगता है कि हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हर्ड इम्युनिटी संभव नहीं है। मुझे संदेह है कि यह वायरस ऐसा नया स्वरूप पैदा करेगा जो टीका लगवा चुके लोगों को भी संक्रमित करने में सक्षम होगा।’
बता दें कि डेल्टा वैरिएंट के केस सबसे पहले भारत में ही मिले थे। दूसरी लहर में खतरनाक हुए संक्रमण के बाद अगर तीसरी लहर आती है तो इसकी सबसे बड़ी वजह डेल्टा वैरिएंट को ही बताया जा रहा है। यह एक आदमी से दूसरे तक बहुत तेजी से फैलता है। यह दुनिया के 150 ज्यादा देशों में फैल चुका है।
वैक्सीन नहीं लगाने वाले कभी भी हो सकते हैं संक्रमित
प्रोफेसर पोलार्ड ने उन लोगों को सीधे तौर पर चेतावनी दे डाली जो अभी भी वैक्सीन को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं। पोलार्ड ने कहा कि जिन लोगों ने अभी भी वैक्सीन नहीं ली है, वे जल्दी से टीका ले लें। वर्ना वे कब संक्रमित होंगे उन्हें खुद पता नहीं चलेगा। पोलार्ड ने वैक्सीनेशन को लेकर सीधे तौर पर कहा कि यह जितनी जल्दी और जितनी ज्यादा हो जाए उतना अच्छा है।
प्रोफेसर पोलार्ड ने कहा, ‘इस संक्रमण के साथ दिक्कत यह है कि यह खसरा नहीं है। अगर 95% लोगों को खसरे का टीका लगा दिया जाता है तो यह वायरस फैल नहीं सकता। वहीं डेल्टा स्वरूप उन लोगों को संक्रमित करता है जो वैक्सीन ले चुके हैं। इसका मतलब है कि जिसने अभी तक टीका नहीं लगवाया है वह कभी न कभी संक्रमित हो सकता है।’
हर्ड इम्युनिटी को लेकर दूसरे एक्सपर्ट को भी संदेह
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंगलिया में मेडिसिन प्रोफेसर और संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ पॉल हंटर ने भी हर्ड इम्युनिटी को लेकर प्रोफेसर पोलार्ड के दावे का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ‘हर्ड इम्युनिटी की अवधारणा हासिल नहीं की जा सकती, क्योंकि हम जानते हैं कि यह संक्रमण वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों में फैलेगा। ताजा आंकड़ें यह दिखाते हैं कि वैक्सीन की दोनो डोज संक्रमण के खिलाफ संभवत: केवल 50% सुरक्षा देती हैं।’
4 पॉइंट : ऐसे समझें हर्ड इम्युनिटी का फंडा
- हर्ड इम्युनिटी में हर्ड शब्द का मतलब झुंड से है और इम्युनिटी यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता। इस तरह हर्ड इम्युनिटी का मतलब हुआ कि एक पूरे झुंड या आबादी की बीमारियों से लड़ने की सामूहिक रोग प्रतिरोधकता पैदा हो जाना।
- वैज्ञानिक सिद्धांत के मुताबिक, अगर कोई बीमारी किसी समूह के बड़े हिस्से में फैल जाती है तो इंसान की इम्युनिटी उस बीमारी से लड़ने में संक्रमित लोगों की मदद करती है। इस दौरान जो लोग बीमारी से लड़कर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, वो उस बीमारी से ‘इम्यून’ हो जाते हैं। यानी उनमें प्रतिरक्षा के गुण पैदा हो जाते हैं। इसके बाद झुंड के बीच मौजूद अन्य लोगों तक वायरस का पहुंचना बहुत मुश्किल होता है। एक सीमा के बाद इसका फैलाव रुक जाता है। इसे ही ‘हर्ड इम्यूनिटी’ कहा जा रहा है।
- हर्ड इम्युनिटी महामारियों के इलाज का एक पुराना तरीका है। व्यवहारिक तौर पर इसमें बड़ी आबादी का नियमित वैक्सिनेशन होता है, जिससे लोगों के शरीर में प्रतिरक्षी एंटीबॉडीज बन जाती हैं। जैसा चेचक, खसरा और पोलियो के साथ हुआ। दुनियाभर में लोगों को इनकी वैक्सीन दी गई और ये रोग अब लगभग खत्म हो गए हैं।
- वैज्ञानिकों का ही अनुमान है कि किसी देश की आबादी में कोविड-19 महामारी के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी तभी विकसित हो सकती है, जब कोरोनावायरस उसकी करीब 60 प्रतिशत आबादी को संक्रमित कर चुका हो। वे मरीज अपने शरीर में उसके खिलाफ एंटीबॉडीज बनाकर और उससे लड़कर इम्यून हो गए हों।
[ad_2]
Source link