ताइवान को निगलने की कोशिश कर रहे ड्रैगन के सामने डटा अमेरिका तो नरम पड़ा चीन, कहा- शांति से होगा मिलन
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को कहा कि ताइवान के साथ फिर से एकीकरण शांतिपूर्वक होगा। इससे पहले चीन ने ताइवान पर हमला करने की धमकी दी थी। शी ने बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में एक आधिकारिक समारोह में कहा कि “एक शांतिपूर्ण तरीके से ताइवान का चीनी राष्ट्र के साथ पुनर्मिलन होगा, जो सभी के हित में है।”
इस वक्त चीन में अंतिम शाही वंश को समाप्त करने वाली क्रांति की 110वीं वर्षगांठ मनाई जा रही हैं। इस मौके पर राजधानी बीजिंग में ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में बोलते हुए जिनपिंग ने कहा, “चीन के साथ एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा ताइवान स्वतंत्रता बल थे। उन्होंने कहा, जो लोग अपनी विरासत को भूल जाते हैं, अपनी मातृभूमि के साथ विश्वासघात करते हैं और देश को विभाजित करने की कोशिश करते हैं। उनका कभी भला नहीं होगा।”
चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि ‘वन कंट्री टू सिस्टम’ पॉलिसी के तहत वे शांतिपूर्ण तरीके से ताइवान को अपने देश से मिलाएंगे। कहा कि ये बिल्कुल हांगकांग में इस्तेमाल होने वाली पॉलिसी की तरह है। इस सिस्टम का आमतौर पर ताइवान द्वारा विरोध किया जाता रहा है। जिनपिंग का ये बयान ऐसे समय पर आया है, जब ताइवान में सैन्य तनाव बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रपति ने पहले कहा था कि ताइवान का मुद्दा चीन के आंतरिक मामलों में से एक है और इस वजह से उनका देश बाहर से की जाने वाली हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा। लेकिन अब अमेरिका के बयान के बाद चीन के बर्ताव में नरमी आई है।
जिनपिंग ने कहा कि गृह युद्ध के दौरान 1949 में ताइवान और चीन अलग हो गए थे। कम्यूनिष्ट नेता माओत्से तुंग के सत्ता में आने से बाद से ताइवान एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में काम कर रहा है, लेकिन इसकी संप्रभुता को बीजिंग कई बार अस्वीकार कर चुका है। अब चीन ने बल प्रयोग का विकल्प अपनाने की बात कही। का उपयोग करने के विकल्प को त्यागने से इनकार कर दिया है। बीजिंग ने ताइवान को संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से प्रतिबंधित करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग करने की मांग की है। शी ने कहा, “ताइवान का अलगाववाद मातृभूमि के पुनर्मिलन में सबसे बड़ी बाधा है।” उन्होंने कहा कि आजादी की वकालत करने वालों की इतिहास निंदा करेगा।
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