ड्रोन की नजर से देखें गोरखपुर में बाढ़ की तबाही: 23 साल की सबसे भीषण बाढ़ से 354 गांव 15 दिन से पानी में डूबे हैं, ढाई लाख लोगों ने छोड़ा घर

ड्रोन की नजर से देखें गोरखपुर में बाढ़ की तबाही: 23 साल की सबसे भीषण बाढ़ से 354 गांव 15 दिन से पानी में डूबे हैं, ढाई लाख लोगों ने छोड़ा घर

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गोरखपुरएक घंटा पहलेलेखक: उत्कर्ष श्रीवास्तव

गोरखपुर में बाढ़ कहर बरपा रही है। यहां 15 दिन से 7 तहसीलों के 354 गांव बाढ़ में डूबे हुए हैं। इससे ढाई लाख की आबादी पलायन करने को मजबूर हो गए। सबसे ज्यादा तबाही सदर तहसील में है। यहां 76 मोहल्ले बाढ़ से घिरे हुए हैं। करीब 50 हजार हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई है।

झंगहा और चौरीचौरा में दो रिंग बांध और दो तटबंध टूट चुके हैं। इससे गोरखपुर-सोनौली हाईवे, गोरखपुर-वाराणसी हाईवे, गोरखपुर-खजनी हाईवे बंद है। हाईवे पर पानी भरा हुआ है। वाहनों को दूसरे रास्तों से भेजा जा रहा है।35 गांवों की बिजली काट दी गई है।

यहां प्रशासन ने बाढ़ में फंसे 72 लोगों को रेस्क्यू किया है। हालात बहुत ज्यादा भयावह हैं। लोगों का कहना है कि बाढ़ से ऐसी बर्बादी 23 साल पहले 1998 में देखने को मिली थी। तब 14 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे। दैनिक भास्कर ने गोरखपुर में बाढ़ की विभीषिका को ड्रोन से कैद किया, हर तरफ सैलाब नजर आया।

10 ड्रोन तस्वीरों में देखें गोरखपुर का हाल-

गोरखपुर में राप्ती और रोहिन नदियों का जलस्तर घट रहा है। हालांकि, अब भी ये नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 3 मीटर ऊपर है। वहीं, रोहिन नदी भी खतरे के निशान 82 मीटर से करीब 3 मीटर ऊपर 85 मीटर पर बह रही है।

गोरखपुर में राप्ती और रोहिन नदियों का जलस्तर घट रहा है। हालांकि, अब भी ये नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 3 मीटर ऊपर है। वहीं, रोहिन नदी भी खतरे के निशान 82 मीटर से करीब 3 मीटर ऊपर 85 मीटर पर बह रही है।

गोर्रा, घाघरा भी उफान पर हैं। प्रशासन और सिंचाई विभाग तटबंधों पर नजर बनाए हुए हैं। कुछ जगह रिसाव के मामले सामने आए। जिला प्रशासन का दावा है कि रिसाव वाले बांधों को ठीक कर लिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि 48 से 72 घंटों के बाद बाढ़ की भयावह स्थिति से कुछ और राहत मिलेगी।

गोर्रा, घाघरा भी उफान पर हैं। प्रशासन और सिंचाई विभाग तटबंधों पर नजर बनाए हुए हैं। कुछ जगह रिसाव के मामले सामने आए। जिला प्रशासन का दावा है कि रिसाव वाले बांधों को ठीक कर लिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि 48 से 72 घंटों के बाद बाढ़ की भयावह स्थिति से कुछ और राहत मिलेगी।

सदर तहसील में शहर के ज्यादातर मोहल्ले पानी से घिरे हैं। लोगों के घर पूरी तरह से डूब चुके हैं। ऐसे में किसी ने गांव की सड़कों पर तो किसी ने ट्रैक्टर-ट्रॉली में और किसी ने ठेले पर अपना आशियाना बनाया है।

सदर तहसील में शहर के ज्यादातर मोहल्ले पानी से घिरे हैं। लोगों के घर पूरी तरह से डूब चुके हैं। ऐसे में किसी ने गांव की सड़कों पर तो किसी ने ट्रैक्टर-ट्रॉली में और किसी ने ठेले पर अपना आशियाना बनाया है।

बाढ़ से हालत इतने खराब हैं कि किसी तरह खुद को जिंदा रखे लोग इस आपदा में जान गंवाने वाले अपनों का दाह संस्कार भी मुश्किल से कर पा रहे हैं। दाह संस्कार बांध पर करना पड़ रहा है।

बाढ़ से हालत इतने खराब हैं कि किसी तरह खुद को जिंदा रखे लोग इस आपदा में जान गंवाने वाले अपनों का दाह संस्कार भी मुश्किल से कर पा रहे हैं। दाह संस्कार बांध पर करना पड़ रहा है।

मोहरीपुर में रामपुर के रहने वाले रामदेव पांडेय ने परिवार संग सड़क पर आसरा लिया है। वे कहते हैं कि अचानक आई बाढ़ में उनके 70 साल के भाई अशरफी की घर में ही पानी में डूबकर मौत हो गई। पूरा इलाका पानी में डूबा हुआ है। किसी तरह से बांध पर ही भाई का अंतिम संस्कार कर दिया।

मोहरीपुर में रामपुर के रहने वाले रामदेव पांडेय ने परिवार संग सड़क पर आसरा लिया है। वे कहते हैं कि अचानक आई बाढ़ में उनके 70 साल के भाई अशरफी की घर में ही पानी में डूबकर मौत हो गई। पूरा इलाका पानी में डूबा हुआ है। किसी तरह से बांध पर ही भाई का अंतिम संस्कार कर दिया।

शहर के मोहरीपुर से लेकर राजेंद्रनगर पश्चिमी, ग्रीन सिटी, अंधियारीबाग, नेताजी सुभाषचंद्र बोस नगर, तिवारीपुर, डोमिनगढ़, बहरामपुर, लालडिग्गी, महेवा, बड़गों, नौसड़ तक शहर पानी से घिरे हुए हैं।

शहर के मोहरीपुर से लेकर राजेंद्रनगर पश्चिमी, ग्रीन सिटी, अंधियारीबाग, नेताजी सुभाषचंद्र बोस नगर, तिवारीपुर, डोमिनगढ़, बहरामपुर, लालडिग्गी, महेवा, बड़गों, नौसड़ तक शहर पानी से घिरे हुए हैं।

बाढ़ प्रभावित तमाम लोगों ने घर की छतों पर पनाह ले रखी है तो कोई घर छोड़कर पलायन कर चुका है। इतना ही नहीं, तमाम लोगों ने दूसरी जगहों पर किराए का मकान ले लिया, जबकि कुछ लोगों ने रिश्तेदारों के घर में शरण ले रखी है।

बाढ़ प्रभावित तमाम लोगों ने घर की छतों पर पनाह ले रखी है तो कोई घर छोड़कर पलायन कर चुका है। इतना ही नहीं, तमाम लोगों ने दूसरी जगहों पर किराए का मकान ले लिया, जबकि कुछ लोगों ने रिश्तेदारों के घर में शरण ले रखी है।

एक ट्रॉली के नीचे बैठी बुजुर्ग इंद्रासना ने बताया कि उनका घर पानी में पूरी तरह से डूबा हुआ है। बच्चों और मवेशियों को लेकर उन्होंने 15 दिनों से बांध पर शरण ले रखा है। किसी तरह से दो वक्त का भोजन मिल रहा है, यही काफी है।

एक ट्रॉली के नीचे बैठी बुजुर्ग इंद्रासना ने बताया कि उनका घर पानी में पूरी तरह से डूबा हुआ है। बच्चों और मवेशियों को लेकर उन्होंने 15 दिनों से बांध पर शरण ले रखा है। किसी तरह से दो वक्त का भोजन मिल रहा है, यही काफी है।

बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि पशुओं के लिए चारा तक नहीं मिल रहा है। बताया कि सरकार की ओर से अब तक किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली। किसी तरह गुजर-बसर हो रहा है।

बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि पशुओं के लिए चारा तक नहीं मिल रहा है। बताया कि सरकार की ओर से अब तक किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली। किसी तरह गुजर-बसर हो रहा है।

प्रशासन ने लगाई 466 नावें
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित लोगों के आने-जाने के लिए 466 नावें और मोटरबोट लगाई हैं। बाढ़ से कुल 2,50,733 लोग प्रभावित हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में पीने के पानी की सबसे बड़ी समस्या है। लोगों को क्लोरीन की गोलियां बांटी जा रही हैं।

1998 में टूटे थे 13 बांध, डूब गया था आधा शहर
साल 1998 में 23 अगस्त को महज 24 घंटे में गोरखपुर में 64 में से 13 बांधों के टूट जाने से गोरखपुर टापू बन गया था। इस साल भी एक हफ्ते के भीतर लगातार कई बांध टूट रहे हैं। तब गोरखपुर का राजधानियों से सड़क और रेलमार्ग से संपर्क 72 घंटे से ज्यादा समय के लिए टूट गया था। अगस्त 2017 में भी गोरखपुर रोहणी नदी पर बना बांध 5 जगहों पर टूट गया था।

इस दौरान 700 गांव बाढ़ के पानी की चपेट में आ गए थे। गोरखपुर के पीपीगंज इलाके में मानीराम-कुदरिहा और अलगटपुर बांध टूटने से गोरखपुर-सोनौली राष्ट्रीय राजमार्ग-29 पर आवागमन दो जगहों पर बंद हुआ था। चिलुआताल की जीतपुर में एक किमी सड़क ताल बन गई थी।

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