डीआरडीओ के कामकाज पर कैग का खुलासा: रिसर्च के लिए कमी, फिर भी रक्षा वैज्ञानिकों से करा रहे कंस्ट्रक्शन का काम

डीआरडीओ के कामकाज पर कैग का खुलासा: रिसर्च के लिए कमी, फिर भी रक्षा वैज्ञानिकों से करा रहे कंस्ट्रक्शन का काम

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नई दिल्ली8 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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डीआरडीओ के कामकाज पर कैग का खुलासा: रिसर्च के लिए कमी, फिर भी रक्षा वैज्ञानिकों से करा रहे कंस्ट्रक्शन का काम

दूसरे काम में लगाने के लिए रक्षा मंत्रालय से अनुमति भी नहीं ली।

सैन्यबलों के लिए टेक्नोलाॅजी का विकास करने वाले संगठन डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के बारे में राष्ट्रीय लेखा जांच से हैरतंगेज तथ्य सामने आया है। संसद में पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के मुताबिक एक तरफ तो डीआरडीओ सैन्यबलों के लिए रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की कमी झेल रहा था, दूसरी ओर वैज्ञानिकों को कंस्ट्रक्शन वर्क में तैनात किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, डीआरडीओ के पास जरूरत से 180 वैज्ञानिक कम थे। इसके बावजूद कोर रिसर्च एरिया से हटते हुए डीआरडीओ ने 38 वैज्ञानिकों को सिविल वर्क्स में लगाया। संगठन में सिविल वर्क्स के लिए 53 अधिकारियों की जरूरत थी, लेकिन संख्या 76 थी। सिविल वर्क्स कैडर जरूरत से ज्यादा होने के बावजूद वैज्ञानिकों को कंस्ट्रक्शन वर्क्स में लगाया गया।

अहम बात यह है कि इसके लिए डीआरडीओ ने रक्षा मंत्रालय से मंजूरी भी नहीं ली। डीआरडीओ की ओर से कैग को बताया गया कि सिविल वर्क्स में वर्कलोड बढ़ने के कारण ऐसा किया गया। साथ ही सरकार सिविल के लिए 14 और पद सृजित किए थे। हालांकि, कैग की पड़ताल के दौरान ही डीआरडीओ ने माना कि वह वैज्ञानिकों के रिसर्च के काम में लगा देगा।

देश में रिसर्च लैब 52, जबकि गेस्ट हाउस 128 बना दिए गए हैं
कैग ने बताया कि डीआरडीओ ने जरूरत का आकलन किए बिना देशभर में गेस्ट हाउस बनवाए हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक गेस्ट हाउस की संख्या 128 है, जबकि देशभर में लैब केवल 52 हैं। रिपोर्ट बताती है कि इनमें से 53 गेस्ट हाउस में 2014 से 2019 तक 20 प्रतिशत कमरे भी इस्तेमाल नहीं हुए। इसके बावजूद डीआरडीओ ने एक स्टेशन पर 2 गेस्ट हाउस होने के बाद भी तीसरा गेस्ट हाउस बनवाया। पहले के 2 गेस्ट हाउस साल में 11 से 41 प्रतिशत ही भरे थे।

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