ट्रेन या टेंशन: महाराष्ट्र, केरल और यूपी रूट महिलाओं के लिए सबसे अनसेफ; जानिए सफर में छेड़छाड़ होने पर तुरंत कैसे मिलेगी मदद
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8 घंटे पहलेलेखक: सुनाक्षी गुप्ता
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- गोवा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा और नगालैंड का सफर महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित
साल 2007 में एक फिल्म आई थी ‘जब वी मेट’ जिसमें फिल्म की मुख्य किरदार गीत रात को अकेले सफर करती है। इस दौरान वो एक स्टेशन पर फंस जाती है, जहां लोग उसे अजीब निगाहों से देखते हैं और वो किसी तरह उनसे बचती है। इसी फिल्म का एक डायलॉग बड़ा फेमस हुआ था ‘अकेली लड़की खुली तिजोरी की तरह होती है’। लोगों ने सिनेमा हॉल में पॉपकॉर्न खाते हुए ये सुना, लेकिन बात की गंभीरता को कम ही लोग समझ सके होंगे।
खैर ये बात तो आज से 13 साल पहले की है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि अब भी एक महिला के लिए ट्रेन का सफर किसी जंग से कम नहीं। ट्रेन में लोग अकेले सफर करने वाली लड़कियों को ऐसी नजरों से देखते हैं मानो वो सच में खुली तिजोरी हों। कुछ लोग लड़की को अकेला देख दर्जनों सवाल करते हैं तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो ट्रेन की भीड़-भाड़ में छेड़खानी का कोई भी मौका नहीं छोड़ते।
भास्कर वुमन की टीम ने भारतीय रेल में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर भारतीय रेलवे बोर्ड के उच्च अधिकारियों से बातचीत की। पढ़िए, देश के किस राज्य और रेल रूट में अकेले यात्रा करने में सबसे ज्यादा घबराती हैं महिलाएं…
भारत में हर दिन 53 लाख महिलाएं करती हैं ट्रेन में सफर, 6 हजार महिला पुलिसकर्मी करती हैं सुरक्षा
भारतीय रेल में रोजाना करीब 2.3 करोड़ लोग यात्रा करते हैं, जिसमें से 53 लाख महिला यात्री हैं। रेलवे में यात्रियों की सुरक्षा को दो भाग में बांटा गया है। रेल मंत्रालय के एडिशनल डायरेक्टर जनरल पब्लिक रिलेशन राजीव जैन बताते हैं कि भारतीय रेलों में पुलिस की व्यवस्था करना राज्य सरकार का कार्य होता है। चलती गाड़ियों में अपराधों को रोकना, मामला दर्ज करना और उसकी जांच करना साथ ही कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम राजकीय रेल पुलिस (जीआरपी) व जिला पुलिस करती है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) राज्य पुलिस की मदद करती है। इसके अलावा हर रेलवे स्टेशन पर भी रेलवे पुलिस कर्मचारी तैनात रहते हैं। इसमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल रहती हैं। महिला स्पेशल ट्रेन व महिला बोगी में यात्रियों की सुरक्षा के लिए महिला कॉन्स्टेबल की ड्यूटी लगाई जाती है। इस समय आरपीएफ में 6,000 महिला बलकर्मी तैनात हैं, जो कि कुल बलकर्मी के मुकाबले 9% हैं। इसे 10% तक लाने के लिए काम किया जा रहा है, ताकि महिला यात्रियों की सुरक्षा पर बेहतर काम किया जा सके।
कोरोना और लॉकडाउन के बाद भी 21 के साथ हुआ रेप, 113 के साथ छेड़खानी
रेल में महिला सुरक्षा पर बात करते हुए भारतीय रेल बोर्ड ने दैनिक भास्कर से 2019 से 2021 सितंबर तक महिला अपराध की घटनाओं के आंकड़े बताए। इसमें कुछ हैरान कर देने वाली बातें सामने आईं। 2019 में महिला के खिलाफ अपराध के 637 मामले दर्ज किए गए थे जो कि 2020 में घटकर आधे से भी कम 134 रह गए, यह अच्छी बात रही। हालांकि इसके पीछे एक कारण यह भी है कि 2020 में कोविड के कारण ज्यादातर ट्रेनें रद्द हुई, लॉकडाउन के कारण लोगों ने कम यात्रा की। वहीं एक बात ये भी सामने आई कि जहां लोग कोविड में यात्रा करने से डर रहे थे, यहां तक की एक- दूसरे को छूने से भी कतरा रहे थे। उस समय भी ट्रेन में महिला अपराध के 134 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 21 घटनाएं रेप की हैं। वहीं 2021 में सितंबर तक देशभर में महिला के खिलाफ अपराध के 178 मामले दर्ज हुए जिसमें से 22 घटनाएं रेप की हैं।
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और केरल की ट्रेन महिलाओं के लिए सबसे अनसेफ
ट्रेन में महिला अपराध की बात करें तो साउथ के कई राज्यों में यात्रा करना महिलाएं सबसे ज्यादा अनसेफ मानती हैं। इसकी झलक भारतीय रेल बोर्ड के क्राइम रिकॉर्ड में भी साफ दिखाई देती है। राज्यों के जीआरपी रिकॉर्ड के मुताबिक 2019 में ट्रेन में और रेलवे स्टेशन पर महिलाओं के विरुद्ध अपराध के सबसे ज्यादा 194 मामले महाराष्ट्र में दर्ज हुए। इसके बाद अनसेफ राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश 80 मामलों के साथ दूसरे और 73 मामलों के साथ केरल तीसरे नंबर पर आता है। वहीं 2021 की बात करें तो हालात ज्यादा बदलते नजर नहीं आ रहे। सितंबर तक महाराष्ट्र और केरल में ट्रेन में महिला अपराध के 34-34 केस दर्ज हुए हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 28 मामले दर्ज हुए हैं।
23% महिलाओं ने माना पब्लिक प्लेस में सबसे असुरक्षित हैं रेलवे स्टेशन
इसी साल मार्च में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर लोकल सर्कल्स संस्था ने भारतीय महिलाओं के बीच सर्वे कर उनसे महिला सुरक्षा से जुड़े कुछ सवाल किए। सर्वे में देशभर के 319 जिलों से 24 हजार महिलाओं ने हिस्सा लिया था। इसमें महिलाओं ने खुलकर कहा कि पब्लिक प्लेस में भी वे खुद को सबसे ज्यादा असुरक्षित ट्रेन में मानती हैं। करीब 23% महिलाओं का कहना था कि उनके साथ ट्रेन और रेलवे स्टेशन में छेड़खानी हुई है, जबकि 17% महिलाओं ने लोकल ट्रेन और मेट्रो को असुरक्षित बताया।
ट्रेन में हो छेड़खानी तो ऐसे करें अपनी सुरक्षा, अपने फोन में सेव रखें ये हेल्पलाइन नंबर
अगर आप ट्रेन में अकेले सफर कर रही हैं और कोई छेड़खानी की कोशिश करे तो बिल्कुल भी न घबराएं। आप तुरंत सिक्योरिटी हेल्पलाइन नंबर 139 पर संपर्क कर सकती हैं, ये नंबर 24×7 चालू रहता है।
ये तो रही नंबर की बात, अब मान लीजिए कि आप ऐसी स्थिति में फंस गईं जहां कॉल कर मदद मांगना मुश्किल है। या ये कहें कि आप कॉल पर मदद मांगने से घबरा रही हैं, तो इस मुश्किल को दूर करने का एक डिजिटल तरीका भी है। महिलाएं भारतीय रेलवे के ‘रेल मदद’ पोर्टल https://railmadad.indianrailways.gov.in/madad/final/home.jsp पर जाकर भी सीधे शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इसके लिए उन्हें अपना पीएनआर नंबर बताना होगा और घटना की जानकारी लिखकर देनी होगी। शिकायत करने के 10 से 15 मिनट में रेलवे पुलिस फोर्स पहुंच जाती है।
सोशल मीडिया पर भी मांग सकती हैं मदद
आप भारतीय रेल सेवा के सोशल मीडिया अकाउंट पर जाकर भी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। ट्विटर पर शिकायत करने के लिए Indian railways seva के पेज पर जाएं। यहां #OneRailOneHelpline139 @IRCTCofficial @RailMinIndia को टैग कर अपना ट्रेन नंबर या पीएनआर नंबर बताकर शिकायत लिखें। कुछ ही देर में आपके पास मदद पहुंच जाएगी।
शिकायत के बाद ऐसे होती है कार्रवाई
भारतीय रेल को 18 जोन में बांटा गया है। एक जोन में करीब 4 से 5 राज्य आते हैं। उस रूट की ट्रेन और यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी जोन की होती है। ट्रेन में यात्रा करते हुए अगर महिला यात्री के साथ कोई छेड़खानी या बदतमीजी करता है तो जिस राज्य में उसके साथ घटना हुई है, एफआईआर भी उसी जिले में दर्ज कराई जाती है। चलती गाड़ी में अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए महिला यात्री ट्रेन में ही एफआईआर दर्ज करा सकती हैं। ट्रेन में टीटीई, गार्ड और कैरेज एस्कॉर्ट (गाड़ी मार्गरक्षी दल) के पास एफआईआर फॉर्म होता है। जिसे भरने के बाद अगले पुलिस स्टेशन पर मामला दर्ज कराने के लिए एफआईआर फॉर्म उस थाने के अधिकारी को दे दिया जाता है। अगर कोई अधिकारी स्टेशन पर नहीं मिलता है तो जीरो एफआईआर दर्ज की जाती है। जिसके बाद इसे जीआरपी यानी रेलवे पुलिस को दिया जाता है, जहां से वे आगे की कार्रवाई करते हैं।
महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे ये कदम
महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 10 अक्टूबर 2020 में भारतीय रेल सेवा ने ‘मेरी सहेली’ सुरक्षा योजना की शुरुआत की थी। इसमें लेडी आरपीएफ स्टाफ (एक महिला सब इंस्पेक्टर और 2/3 महिला कांस्टेबल) की दो टीमें बनाई गई हैं, जो लंबी दूरी की ट्रेनों में ड्यूटी करती हैं और महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए काम करती हैं। फिलहाल ये सेवा सिर्फ कुछ ही ट्रेनों में चल रही है। जिसमें 02809 (मुंबई-हावड़ा स्पेशल वाया नागपुर), 02189 (मुंबई-नागपुर स्पेशल) और 06345 (एलटीटी-एर्नाकुलम स्पेशल), 01071 (एलटीटी-वाराणसी स्पेशल) आदि ट्रेन शामिल हैं।
क्या है ‘मेरी सहेली’ – जो महिलाएं अकेले यात्रा करती हैं, यात्रा की शुरुआत में महिला सुरक्षा अधिकारी उनकी सीट पर आकर उन्हें ट्रेन सुरक्षा से जुड़ी पूरी जानकारी देती हैं। महिलाओं को एक कागज भी दिया जाता है जिसमें इमरजेंसी में यूज होने वाले सभी जरूरी नंबर लिखे होते हैं।
सीसीटीवी कैमरे से रेलवे स्टेशन और ट्रेन की कर रहे निगरानी – भारतीय रेलवे अब यात्रियों की सुरक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाने पर जोर दे रही है। महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए 4010 सवारी डिब्बों और 829 रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगवाएं गए हैं।
मुंबई में वॉट्सऐप ग्रुप पर जुड़कर महिलाएं ‘स्मार्ट सहेली’ से ले रहीं मदद
सेंट्रल रेलवे जोन के सीनियर पब्लिक रिलेशन ऑफिसर अनिल जैन ने भास्कर वुमन से बातचीत में बताया कि महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मुंबई में कई पहल की गई हैं। जिसमें महिला यात्री वॉट्सऐप से जुड़कर भी बड़ी आसानी से मदद मांग सकती हैं।
क्या है स्मार्ट सहेली – मुंबई की लोकल ट्रेन में रोजाना सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए डिजिटल प्रोग्राम ‘स्मार्ट सहेली’ चलाया जा रहा है। इसमें महिलाओं की शिकायतों पर तुरंत ध्यान देने के लिए 85 वॉट्सऐप ग्रुप बनाए गए हैं। इन ग्रुपों में आरपीएफ मेंटर (महिला आरपीएफ स्टाफ) उन महिला यात्रियों को जोड़ते हैं जो रोजाना मुंबई लोकल ट्रेन में सफर करती हैं। वॉट्सऐप से जुड़कर महिला यात्री तुरंत अपनी समस्या सीधे महिला अधिकारी तक पहुंचा देती है जिस पर तुरंत एक्शन लिया जाता है। इस काम में सेक्टर सहेली, स्टेशन सहेली और ट्रेन सहेली के ग्रुप बनाए गए हैं।
ट्रेनों और प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा
प्लेटफॉर्म पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए मुंबई में महिला आरपीएफ कर्मियों की दो टीमों को स्टेशनों पर तैनात किया गया है। हर टीम में एक महिला सब इंस्पेक्टर और 8 महिला कॉन्स्टेबल शामिल है। जो रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए तैनात रहती है और पूरी रात चलने वाली ट्रेनों में सफर कर रही महिला यात्रियों पर नजर रखती हैं।
अकेले महिला यात्रियों के लिए सबसे सेफ माना गया गोवा, जम्मू, हिमाचल, त्रिपुरा और नगालैंड
भारतीय रेल में महिलाओं के सफर की मुश्किलों पर हम बात कर चुके हैं, अब जानते हैं कि महिलाओं के लिए किस राज्य का सफर सबसे सुखद और सुरक्षित होता है। भारतीय रेलवे के क्राइम रिकॉर्ड को देखा जाए तो 2019 से 2021 तक गोवा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा और नगालैंड सभी को मिलाकर ट्रेन में महिला अपराध का सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया है। वहीं 2021 में सितंबर तक उत्तराखंड और तेलंगना में सिर्फ एक मामला दर्ज हुआ है।
महिलाओं के लिए सुरक्षित रेलवे
2021 के मामले सितंबर तक
राज्य | 2019 | 2020 | 2021 |
कर्नाटक | 0 | 6 | 2 |
पंजाब | 3 | 2 | 2 |
उत्तराखंड | 4 | 0 | 1 |
छत्तीसगढ़ | 8 | 2 | 3 |
तेलंगाना | 8 | 1 |
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