जालंधर में सुखबीर बादल की रैली का विरोध: किसान काली झंडियां लेकर डटे; भड़के प्रदर्शनकारी बोले- लखीमपुर हिंसा पीड़ितों की आंखों के आंसू तो सूखने देते
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जालंधर27 मिनट पहले
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बैरिकेड लगा किसानों को रैली की जगह पर जाने से रोकती पुलिस।
जालंधर में अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल की रैली का विरोध हो गया है। सुखबीर को अभी रैली में पहुंचना है, लेकिन किसान पहले ही काली झंडियां लेकर इकट्ठा हो गए हैं। कुछ वक्त पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने राजनीतिक दलों से बैठक की थी, जिसमें अकाली दल को रैलियां न करने को कहा था तो सुखबीर ने अपनी ‘गल पंजाब दी’ के तहत 100 दिन की रैलियों को रोक दिया था। भड़के किसानों ने कहा कि राजनीतिक दलों को कम से कम लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों के आंखों के आंसू तो सूखने देने चाहिए थे।
जालंधर में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने डीएवी यूनिवर्सिटी के नजदीक रैली रखी है। विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बसपा के साथ अकाली दल ने गठजोड़ किया है। इसलिए सुखबीर बादल भी रैली को संबोधित करेंगे। इसे देखते हुए किसान विरोध करने पहुंच गए हैं। किसानों ने कहा कि नेता उत्तर प्रदेश जाकर राजनीति कर रहे हैं। अगर अकाली दल को किसानों की इतनी चिंता होती तो राजनीतिक रैलियां न करते।
सुखबीर बादल के खिलाफ रोष प्रदर्शन करते किसान।
नशा और बेअदबी पर सुखबीर को देना होगा जवाब
उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा में मरे किसानों के परिवार की आंख के आंसू भी नहीं सूखे और यह राजनीतिक रैलियां करने पर आ गए। अकाली दल को भी उनकी सरकार में नशा और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी का जवाब देना होगा। उस वक्त सुखबीर बादल के पास ही गृह विभाग था। फिर उनके राज में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
चुनाव की अभी घोषणा भी नहीं हुई, जिद न करें नेता : जंडियाला
भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रवक्ता कश्मीर सिंह जंडियाला ने कहा कि जब संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने पार्टियों को रैली करने से रोका है तो फिर उन्हें जिद नहीं करनी चाहिए। इसके बावजूद सुखबीर बादल चुनावी रैली करने आ रहे हैं। चुनाव में अभी काफी वक्त बचा है। इसकी घोषणा तक नहीं हुई। ऐसे में दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों का साथ देने के बजाय नेता रैलियां कर रहे हैं।
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