छह साल पुराना है फायरिंग मामला: बहबल कलां फायरिंग मामले में आज सुनवाई, पूर्व पुलिस अफसरों पर तय हो सकते हैं आरोप

छह साल पुराना है फायरिंग मामला: बहबल कलां फायरिंग मामले में आज सुनवाई, पूर्व पुलिस अफसरों पर तय हो सकते हैं आरोप

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लुधियाना7 मिनट पहले

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छह साल पुराना है फायरिंग मामला: बहबल कलां फायरिंग मामले में आज सुनवाई, पूर्व पुलिस अफसरों पर तय हो सकते हैं आरोप

कोटकपूरा में धरने की फोटो

बहबल कलां में श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हुई बेअदबी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सिख संगठनों पर पुलिस द्वारा की फायरिंग के मामले की आज फरीदकोट की अदालत में सुनवाई है। इस फायरिंग गांव नियामीवाला के दो लोगों की मौत हो गई थी। उमीद जताई जा रही है कि इस मामले में अदालत पूर्व पुलिस अधिकारियों पर आरोप तय कर सकती है। इसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी परमराज सिंह उमरानंगल, पूर्व एसएसपी चरणजीत सिंह और अन्य पुलिस अधिकारी शामिल हैं। इस मामले में पुलिस एसएसपी मोगा चरणजीत सिंह शर्मा, उनके रीडर इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह, एसपी बिक्रमजीत सिंह और एसएचओ बाजाखाना अमरजीत सिंह कुलार को नामजद कर गिरफ़तार कर चुकी है। मामला 14 अक्टूबर 2015 का है, कोटकपूरा में प्रदर्शन कर रहे धरनाकारियों को लाठी बल और फायरिंग से कर उठाने के बाद पुलिस बहबल कलां में धरना दे रहे लोगों को उठाने पहुंची थी इसी दौरान हुए झगड़े के बाद पुलिस ने फायरिंग कर दी और इस दौरान वहां पर किशन भगवान सिंह और गुरजीत सिंह की मौत हो गई थी।
मुख्य गवाह की हो चुकी है मौत
बहबल कलां गोलीकांड के मुख्य गवाह और पूर्व सरपंच सुरजीत सिंह की रविवार को दिल का दौरा पड़ने से अचानक मौत हो गई थी। उसके परिवार ने सुरजीत सिंह की मौत का कारण सियासी दबाव बताया था। गवाही देने पर मृतक की पत्नी ने कहा कि उसके पति से जबरदस्ती बयान लिए गए और उसके पति को बलि का बकरा बनाया गया। उन्होंने अपने पति की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
कैप्टन ने आयोग से कराई जांच, फिर बनाई एसआईटी
हालांकि घटना के वक्त विपक्ष में बैठे कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह अकाली दल की सरकार की तरफ से इस मामले को सीबीआई को सौंपे जाने की बात कह रहे थे। फिर जब 2017 में जब कांग्रेस सत्ता में आई और कैप्टन मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने यह मामला सीबीआई के हाथ से वापस लेकर रिटायर्ड जज रणजीत सिंह की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन कर दिया। रणजीत सिंह आयोग की सिफारिश के बाद पंजाब सरकार ने एसआईटी से जांच कराने का फैसला लिया।
क्या है पूरा मामला और अहम पहलू
-12 अक्टूबर 2015 को फरीदकोट जिले के गांव बरगाड़ी में गुरु ग्रंथ साहिब के कुछ पन्ने फटे हुए मिले थे। इसके बाद रोषस्वरूप सिख संगठनों और समुदाय की संगत ने कोटकपूरा और बरगाड़ी से सटे गांव बहबल कलां में धरने दिया था। इसी दौरान मौके पर गई पुलिस पार्टी ने फायर कर दिए थे। जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन एसएसपी मोगा चरणजीत सिंह शर्मा, उनके रीडर इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह, एसपी बिक्रमजीत सिंह और एसएचओ बाजाखाना अमरजीत सिंह कुलार को नामजद किया गया था।
-चरणजीत सिंह शर्मा की गिरफ्तारी के बाद अदालत में चालान भी पेश किया गया। चारों अधिकारियों को हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत मिली हुई है।
-एसआईटी पहले फरवरी 2019 में भी पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी से पूछताछ कर चुकी है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली किसके आदेश पर और क्यों चलाई थी।
-चंडीगढ़ स्थित पंजाब पुलिस की 82वीं बटालियन के ऑफिस में दो घंटे चले सवाल-जवाबों की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी।
-एसआईटी ने फरीदकोट निवासी सुहेल सिंह बराड़, मोगा निवासी पंकज बांसल समेत तत्कालीन एसएचओ गुरदीप सिंह पंधेर को भी गिरफ्तार किया
-डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री परकश बादल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल और फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार से भी एसआईटी पूछताछ कर चुकी है।
-अक्षय कुमार पर आरोप था कि उन्होंने एसजीपीसी से चल रहे विवाद में माफी के लिए राम रहीम की मुलाकात बादल से करवाई थी।
-इतना ही नहीं, घटनाक्रम के दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने से नाराज लुधियाना के वरिष्ठ नेता आम आदमी पार्टी को छोड़कर सिख सेवक संगठन बना चुके हैं।

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