चीन की बातचीत बस दिखावा: लद्दाख, अरुणाचल और सिक्किम में LAC के पास फिर पक्की सड़कें और इमारतें बना रहा है चीन

चीन की बातचीत बस दिखावा: लद्दाख, अरुणाचल और सिक्किम में LAC के पास फिर पक्की सड़कें और इमारतें बना रहा है चीन

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नई दिल्ली11 घंटे पहले

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चीन की बातचीत बस दिखावा: लद्दाख, अरुणाचल और सिक्किम में LAC के पास फिर पक्की सड़कें और इमारतें बना रहा है चीन

चीन पूर्वी लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश में भी स्थायी इमारतें बना रहा है। इससे सर्दियों में उसके सैनिकों को यहां रुकने की समस्या दूर हो जाएगी।

भारत के साथ जारी सीमा विवाद के बीच चीन LAC पर स्थायी निर्माण कार्य में जुटा हुआ है। इसके पूरा होते ही हिंदुस्तान से लगे विवादित इलाकों में उसकी पहुंच आसान हो जाएगी। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि यहां बनाई जा रही सड़क से सीमावर्ती इलाकों में चीनी सैनिक काफी कम समय में पहुंच जाएंगे।

सूत्रों ने कहा- ऐसा ही एक कैंप सिक्किम में नाकु ला के पास चीनी सीमा के अंदर तक जाता है। यह उस इलाके से कुछ ही मिनटों की दूरी पर है, जहां पिछले साल भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव शुरू हुआ था, जो कि इस साल जनवरी में भी देखने को मिला।

लद्दाख के अलावा अरुणाचल में भी चीन इमारतें बना रहा
चीन पूर्वी लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश में भी स्थायी इमारतें बना रहा है। इससे सर्दियों में उसके सैनिकों को यहां रुकने की समस्या दूर हो जाएगी। दरअसल, भारत से बढ़ी तनातनी के दौरान भीषण सर्दियों में चीनी सैनिकों की तैनाती पूर्वी लद्दाख में हुई थी। सर्दी के चलते उन्हें अपने 90% सैनिकों को रोटेट करने पर मजबूर होना पड़ा था।

सर्दियों में पूर्वी लद्दाख में जाना बेहद मुश्किल
हर साल हम देखते हैं कि हमेशा गर्मियों में ही एलएसी के विवादित हिस्से पर दोनों सेनाओं के बीच झड़प या टकराव होता है। दरअसल, सर्दियों में ये इलाके पूरी तरह से बर्फ से ढंके होते हैं। इससे इन इलाकों में पहुंच पाना नामुमकिन तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर हो जाता है।

ऐसे हुई थी विवाद की शुरुआत

  • 5 मई को पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के 200 सैनिक आमने-सामने आ गए थे।
  • 9 मई को उत्तरी सिक्किम में 150 सैनिकों के बीच भिड़ंत हुई थी।
  • 9 मई को लद्दाख में चीन ने एलएसी पर हेलिकॉप्टर भेजे।
  • भारत-चीन के सैनिकों के बीच 15 जून को गलवान में झड़प हुई।
  • चीनी हथियार से लैस थे और भारतीय सेना पुरानी प्रैक्टिस के तहत वहां पहुंची थी।

10 फरवरी को डिसइंगेजमेंट शुरू हुआ
करीब 10 महीने के तनाव के बाद यहां इसी साल 10 फरवरी को डिसइंगेजमेंट शुरू हुआ था। फरवरी में इस डिसइंगेजमेंट यानी ऑपरेशन स्नो लेपर्ड का पहला फेज पूरा हो गया था। पैंगॉन्ग झील के उत्तरी और दक्षिण छोर से भारत-चीन की सेनाएं वापसी कर चुकी थीं। यही फेज सबसे अहम था, क्योंकि यहां वे पॉइंट्स थे, जहां दोनों सेनाएं आमने-सामने खड़ी थीं।

चीन बातचीत से सीमा विवाद सुलझाने के मूड में नहीं दिखता
चीनी पैंगॉन्ग झील इलाके से पीछे चले गए हैं और अपने कब्जे वाले तिब्बत के रुतोग शहर में सैनिकों को वापस भेज दिया है। सूत्रों ने कहा कि चीनी वहां भी बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं। इससे साफ होता है कि चीन सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने के मूड में नहीं है। बल्कि वो विवाद को लंबा खींचना चाहता है। दोनों देशों के बीच मिलिट्री लेवल पर 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सीमा विवाद बरकरार है।

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