चलो कुछ तो अच्छा कहा… इमरान खान बोले – महिलाओं को शिक्षा तक पहुंचने से रोकना गैर-इस्लामी
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का तालिबानी प्रेम किसी से छुपा नहीं है। तालिबान की नई सरकार के गठन से लेकर अब तक कई मुद्दों पर अपनी राय दे चुके हैं। इमरान ने बुधवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तालिबान नेतृत्व जल्द ही महिलाओं को पढ़ाई फिर से शुरू करने की अनुमति देगा। पाकिस्तानी पीएम की यह टिप्पणी उनके उस बयान के बाद आई जिसमें उन्होंने बार-बार कहा था कि दुनिया को तालिबान को और समय देना चाहिए।
बीबीसी को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के पीएम ने कहा कि यह विचार कि महिलाओं को शिक्षित नहीं किया जाना चाहिए, इस्लामी नहीं है। इमरान खान ने कहा, ‘मुझे लगता है कि वे महिलाओं को स्कूलों में जाने देंगे। इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।’ दरअसल, अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान महिलाओं पर कई सारे प्रतिबंध लगा चुका है। तालिबान ने हाल ही में पुरुष छात्रों को स्कूल जाने के लिए कहा, लेकिन छात्राओं पर चुप्पी साध रखी थी। इसके साथ-साथ तालिबान ने महिलाओं के लिए बनाए गए मंत्रालय को खत्म कर दिया।
तालिबान की पूरी सरकार में एक भी महिला नहीं
तालिबान का महिला विरोधी चेहरा उस समय भी सामने आ गया था जब उसने अपनी सरकार में एक महिला को मंत्री नहीं बनाया। पूरी तालिबान सरकार में एक भी महिला मंत्री शामिल नहीं है। तालिबान के इस कदम के बाद यह साफ हो गया था कि वो महिलाओं को समान अधिकार के अपने वादे से मुकर गया है।
अफगानिस्तान की महिलाओं को बताया था मजबूत
तालिबान की ओर से अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद सीएनएन के को दिए अपने पहले इंटरव्यू में इमरान खान ने कहा था कि अफगानिस्तान की महिलाएं मजबूत हैं और वे अपने अधिकारों का दावा कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह सोचना गलत है कि उन्हें बाहर से मदद मिल सकती है। पाकिस्तान द्वारा तालिबान सरकार को मान्यता देने पर, इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान व्यक्तिगत रूप से निर्णय नहीं लेगा। अन्य पड़ोसियों से सलाह मशविरा करने के बाद ही फैसला लिया जाएगा। इमरान खान ने कहा, ‘सभी पड़ोसी एक साथ आएंगे और देखेंगे कि वे कैसे आगे बढ़ते हैं। उन्हें मान्यता देना है या नहीं यह एक सामूहिक निर्णय होगा।
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