खौफ में हैं अफगान खिलाड़ी: क्रिकेट पर गिर सकती है गाज, श्रीलंका टूर और वर्ल्ड कप में जाना भी तय नहीं; फुटबॉल और महिला खिलाड़ी अब दुआओं के भरोसे

खौफ में हैं अफगान खिलाड़ी: क्रिकेट पर गिर सकती है गाज, श्रीलंका टूर और वर्ल्ड कप में जाना भी तय नहीं; फुटबॉल और महिला खिलाड़ी अब दुआओं के भरोसे

[ad_1]

  • Hindi News
  • National
  • Cricket May Fall, It Is Not Even Decided To Go To Sri Lanka Tour And World Cup, Football And Women Players Are Now Dependent On Prayers

मुंबई17 घंटे पहलेलेखक: भास्कर के लिए चंद्रेश नारायणन

  • कॉपी लिंक
खौफ में हैं अफगान खिलाड़ी: क्रिकेट पर गिर सकती है गाज, श्रीलंका टूर और वर्ल्ड कप में जाना भी तय नहीं; फुटबॉल और महिला खिलाड़ी अब दुआओं के भरोसे

2010 में अफगानिस्तान ने टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई किया। कई अफगान क्रिकेटर्स ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया।

  • पैरालिंपिक से बाहर हो चुके हैं दो अफगानी एथलीट, महिला फुटबॉल को बढ़ावा देने वाले खतरों को लेकर आशंकित

अफगानिस्तान में तालिबान के दोबारा काबिज होने के बाद खेल जगत और खिलाड़ी भी तनाव में हैं। पिछले तालिबान शासन का 2001 में अंत होने के बाद अफगानिस्तान में खेल और खिलाड़ियों को पर लग गए थे। इन दो दशकों में अफगानी खिलाड़ियों की प्रगति का जश्न सभी ने मनाया। सबसे बड़ा उदाहरण क्रिकेट है। 2010 में अफगानिस्तान ने टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई किया।

इसलिए बड़ी चिंता भी यही है कि सत्ता परिवर्तन के बाद कहीं पहला निशाना क्रिकेट तो नहीं बनेगा? दरअसल, अफगान टीम को पाक के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज के लिए श्रीलंका जाना है, पर अब यह अनिश्चितता के घेरे में है। टीम के कोच और पूर्व दक्षिण अफ्रीकी ऑलराउंडर लांस क्लूजनर 10 दिन पहले देश से जा चुके हैं। उन्होंने कहा,‘हम नहीं जानते आगे क्या होगा, बस इंतजार कर सकते हैं।’

राशिद खान और मोहम्मद नबी लंदन में हैं
वहीं, दोहा में बैठे तालिबान के प्रवक्ता सोहेल शाहीन कहते हैं कि खेल पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा। देश के दो स्टार खिलाड़ी राशिद खान और मोहम्मद नबी लंदन में हैं। क्रिकेटरों के स्पोर्ट्स एजेंट चिंतित हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट और लीग का क्या होगा? हालांकि अफगान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) के पूर्व सीईओ शफीक स्टानिकजई कहते हैं, ‘क्रिकेट पर खतरा नहीं है। हम अपना काम जारी रखेंगे।’

बात सिर्फ क्रिकेट की नहीं है, अन्य खेलों पर भी इस बदलाव का असर लंबे समय तक दिखेगा। हफ्तेभर में शुरू होने वाले टोक्यो पैरालिंपिक से दो अफगानी खिलाड़ियों के बाहर होने की खबरें आ ही चुकी हैं। इनमें से एक ताइक्वांडो एथलीट जकिया खुदादादी हैं, जो पैरालिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला होतीं। दूसरे हैं ट्रैक एथलीट हुसैन रसौली।

एयरलिफ्ट करने की गुजारिश
फुटबॉल बिरादरी तो ज्यादा डरी हुई है, खासकर वे लोग, जिन्होंने महिला फुटबॉल को बढ़ावा दिया। फीफा के पूर्व क्षेत्रीय विकास अधिकारी शाजी प्रभाकरन ने सोशल मीडिया के जरिए इन लोगों को एयरलिफ्ट करने की गुजारिश की थी। प्रभाकरन नियमित रूप से अफगानिस्तान जाते रहे हैं और फुटबॉल में प्रगति से खासे प्रभावित हैं। 2019 में वे आखरी मर्तबा गए थे, तब उन्होंने देखा कि फुटबॉल फेडरेशन के मुख्यालय का 50% हिस्सा धमाकों से तबाह हो चुका था। उनके पास देश में फंसे साथियों के पासपोर्ट की फोटो कॉपी और जानकारियां हैं, फिलहाल वो बेबस हैं।

प्रभाकरन कहते हैं, ‘ये अनिश्चितता भरा वक्त है। अफगानिस्तान को एकजुट करने में फुटबॉल की बड़ी भूमिका थी। क्या पता अब महिला फुटबॉल या महिलाओं के अन्य खेलों का क्या हश्र होगा। पूरी व्यवस्था बदल सकती है, पर खेल को अकेला छोड़ देना चाहिए। पर हम नहीं जानते कि कभी ऐसा होगा। मैं दोस्तों के लिए सिर्फ प्रार्थना कर सकता हूं।’

अफगान क्रिकेट बोर्ड ने तो महिला क्रिकेटरों को कॉन्ट्रेक्ट भी दे दिए थे
पुरुष क्रिकेट तो खतरे से बच सकता है, पर महिला खिलाड़ियों का नुकसान तय माना जा रहा है। एसीबी के सीईओ हामिद शिनवारी ने क्रिकेट के प्रभावित होने की खबरें खारिज कर दी थीं। पर महिला क्रिकेट पर असर को लेकर एक शब्द नहीं कहा। देश में महिला क्रिकेट धीरे-धीरे बढ़ रहा था, एसीबी ने तो महिला खिलाड़ियों को कॉन्ट्रेक्ट भी दे दिए थे। आईसीसी में पूर्ण सदस्यता के लिए देश में महिला क्रिकेट जरूरी है। आईसीसी ने टी-20 वर्ल्ड कप में अफगान को विशेष रूप से रखा है, पर टूर्नामेंट में उनकी भागीदारी को लेकर अनिश्चितता है।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *