खेत में बकरियां चराने वाली अनीसा बनी फास्ट बॉलर: 4 साल पहले शुरू की प्रैक्टिस, खेत में रोजाना 2 घंटे प्रैक्टिस करती थीं, अब राजस्थान के लिए खेलेंगी

खेत में बकरियां चराने वाली अनीसा बनी फास्ट बॉलर: 4 साल पहले शुरू की प्रैक्टिस, खेत में रोजाना 2 घंटे प्रैक्टिस करती थीं, अब राजस्थान के लिए खेलेंगी

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बाड़मेरकुछ ही क्षण पहले

बाड़मेर जिले के छोटे से गांव कानासर की अनीसा बानो मेहत का चैलेंजर क्रिकेट ट्रॉफी-19 में चयन हुआ है। 27 अगस्त को जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में हुए ट्रायल में उनका सिलेक्शन बतौर गेंदबाज किया गया। अनीसा समाज और जिले की पहली बेटी होंगी, जो स्टेट टीम के लिए क्रिकेट खेलेंगी। अनीसा का यहां तक का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।

मैच होता तो वे बाउंड्री के पास बैठती थीं
अनीसा छोटे से गांव कानासार से हैं, यहां घरों में मवेशियों के अलावा भेड़-बकरियां भी होती हैं। अनीसा स्कूल से घर लौटते समय बकरियां चराने खेतों में निकल जाती थीं। उन्हें शुरू से ही क्रिकेट मैच देखने का शौक था। गांव में कोई मैच होता तो वे बाउंड्री के पास बैठती थीं। बकरियां चराने के दौरान वे दो घंटे प्रैक्टिस करती थीं। इसकी शुरुआत उन्होंने 8वीं कक्षा में की थी।

अनीसा को जब लगा कि वे अच्छी प्लेयर बन सकती हैं तो भाइयों और गांव के बच्चों के साथ प्रैक्टिस करने लगीं। 4 साल तक उन्होंने गांव के खेत में क्रिकेट की प्रैक्टिस की। जब उनके भाई को पता चला कि चैलेंजर ट्रॉफी-19 के लिए ट्रायल चल रहे हैं तो अनीसा का भी रजिस्ट्रेशन कर दिया। पहले उनका सिलेक्शन टॉप 30 प्लेयर में हुआ। इसके बाद दूसरे ट्रायल में उन्हें टॉप 15 खिलाड़ियों में बतौर बॉलर शामिल किया गया।

चैलेंजर क्रिकेट ट्रॉफी अंडर-19 में अनीसा का चयन होने के बाद उन्हें मिठाई खिलाते परिजन

चैलेंजर क्रिकेट ट्रॉफी अंडर-19 में अनीसा का चयन होने के बाद उन्हें मिठाई खिलाते परिजन

खुद के भरोसे ने मुझे ताकत दी- अनीसा
अनीसा बताती हैं कि बचपन में घर में भाई और पापा टीवी पर क्रिकेट देखते थे। मैं भी उनके पास मैच देखने बैठ जाती थी। इस बीच मैंने भी क्रिकेट की प्रैक्टिस शुरू की। विपरित परिस्थितियों में भी खुद पर भरोसा रखा और उसी को ताकत बनाया। अब राजस्थान क्रिकेट टीम में चयन होना किसी सपने से कम नहीं है।

अनीसा 4 साल तक गांव के खेत में क्रिकेट की प्रैक्टिस करती थीं।

अनीसा 4 साल तक गांव के खेत में क्रिकेट की प्रैक्टिस करती थीं।

गांव वाले भी ताने मारते थे
अनीसा के पिता याकूब खान पेशे से वकील हैं। वे बताते हैं कि अनीसा को कई बार समझाया कि पढ़ाई पर ध्यान दो, क्योंकि ग्राउंड था नहीं और सुविधाएं भी नहीं थीं। कई बार तो गांव के लोग भी ताने मारते थे। कहते थे- बेटी को लड़कों के साथ क्यों खिला रहे हो, लेकिन अनीसा की जिद थी। वह क्रिकेट छोड़ने को तैयार ही नहीं थी। इसी जुनून से वह स्टेट टीम तक पहुंची है।

घर में सबसे छोटी हैं अनीसा
अनीसा बानो (16) की तीन बहन विलायतो (21) , लीला (19), अमीना (16) और एक भाई साहिदाद खान (25) है। सभी बहन भाई अभी पढ़ाई कर रहे हैं। अनीसा बानो के परिवार में कोई भी जिले से बाहर जाकर क्रिकेट नहीं खेला है। अभी वह हायर सेकंडरी स्कूल कानासर में पढ़ती है। भाई रोशन ने बताया कि पढ़ाई और खेल दोनों का माहौल नहीं होने के बाद वह स्टेट टीम तक पहुंची है। खेत में प्रैक्टिस कर उसने यह मुकाम हासिल किया है। आठवीं कक्षा से ही उसने प्रैक्टिस शुरू कर दी थी।

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