खीवा दयालपुरा से ग्राउंड रिपोर्ट: बहादुरगढ़ हादसे का शिकार महिलाओं के परिवारों पर लाखों कर्ज, पोती की शादी देखने का सपना साथ ले गई अमरजीत
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- Amarjeet Kaur Took Away Her Granddaughter’s Wedding Dreams, The Burden Of Debt On The Family, The Help Of Five Lakhs Against The Debt Of Lakhs Is Insufficient
मानसा6 मिनट पहलेलेखक: दिलबाग दानिश
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टीकरी बॉर्डर पर हुए हादसे के बाद इस त्योहारी सीजन में गांव खीवा दयालुवाला की गलियों में मातम पसरा है। गांव के लोगों ने इस बार दीपावली नहीं मनाने की बात कही है।
टीकरी बॉर्डर पर हादसे का शिकार हुई 65 साल की अमरजीत कौर का घर गांव के बीचोबीच है। आधे कच्चे और पक्के मकान में लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। सभी लोग टीकरी बॉर्डर से अमरजीत कौर का शव यहां आने का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही अमरजीत की 28 साल की पोती लखविंदर कौर को सांत्वना दे रहे हैं, जिसकी 23 जनवरी को शादी है। अमरजीत कौर अपनी पोती की शादी देखने का सपना अपने साथ ही ले गई। लखविंदर रोते हुए दादी को याद करते कह रही थी कि ऐसे जाना था तो दिल्ली गई ही क्यों। मुझे पता होता कि ऐसा होगा तो मैं रोक लेती।
अमरजीत कौर के पति हरजीत सिंह की 18 साल पहले खेत में ही काम करते समय सांप के डंसने से मौत हो गई थी। इकलौता बेटा फौज में हैं। एक्सीडेंट होने के कारण अब वह फौज में ही क्लेरिकल जॉब में शिफ्ट हो चुके हैं। परिवार के पास 5 एकड़ जमीन है और सिर पर प्राइवेट और सरकारी 30 लाख रुपए का कर्ज है। 10 लाख रुपए बैंक और 20 लाख रुपए निजी देनदारी है।
गांव खीवा दियालुवाला में किसान परिवारों के साथ दुख सांझा करते गांव के लोग।
सुखविंदर के पति की 5 साल पहले हो चुकी मौत, गुरमेल के परिवार पर 25 लाख का कर्ज
हादसे का शिकार हुई दूसरी महिला सुखविंदर कौर (57) के घर के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं। सुखविंदर के पति 2016 में अधरंग से जान गंवा चुके हैं। परिवार के पास मात्र 2 एकड़ जमीन है और 15 लाख रुपए का कर्ज है। वहीं तीसरी महिला गुरमेल कौर के परिवार के पास भी मात्र 5 एकड़ ही जमीन है। परिवार पर 25 लाख रुपए का कर्ज है। घायल हरमीत कौर के पास 8 एकड़ जमीन और 16 लाख रुपए का कर्ज है। गुरमेल कौर के परिवार के पास 4 एकड़ जमीन है और 28 लाख रुपए का कर्ज है।
हर 10 दिन बाद दिल्ली बॉर्डर जाता है नया जत्था
गांव की आबादी 1500 है और यहां पर करीब 1200 मतदाता हैं। गांव के लोग पिछले 11 महीने से किसान आंदोलन से जुड़े हुए हैं। संघर्ष लंबा चलने के कारण ही गांव के लोगों ने फैसला लिया था कि हर 10 दिन बाद यहां से एक ग्रुप दिल्ली बॉर्डर पर जाएगा और पहले गए लोग वापस आ जाएंगे। इन महिलाओं का ग्रुप 10 दिन पहले ही बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने गया था। गुरुवार को वापस आ रहा था, लेकिन इस दौरान हादसा हो गया है। ग्रामीणों के अनुसार महिलाएं बेहद दिलचस्पी के साथ संघर्ष में हिस्सा लेती थीं और कई बार संघर्ष में शामिल होने के लिए यहां से जा चुकी थीं।
हादसे के बाद मौके पर पड़े महिलाओं के शव।
मुख्यमंत्री के 5 लाख को बताया नाकाफी
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने हादसे का शिकार हुईं महिलाओं के परिवार के लिए पांच लाख रुपए मुआवजे का एलान किया है। किसान परिवारों और संविधान मंच के नेता एडवोकेट गुरलाभ सिंह माहल, पंजाब किसान यूनियन सचिव बलकरण सिंह बल्ली और डॉ. धन्ना मल गोयल ने इस राशि के संबंध में कहा कि यह बहुत कम है। परिवारों के सिर चढ़े कर्ज के सामने यह मुआवजा कुछ भी नहीं है। जब लखीमपुर खीरी में शहीद किसानों को सरकार 50-50 लाख रुपए का मुआवजा दे सकती है तो पंजाब के किसानों के परिजनों के लिए सरकार हाथ क्यों बंद कर रही है।
सोशल मीडिया पर ही जता रहे संवेदना
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिंगला समेत कई नेताओं ने इस हादसे पर संवेदना जताई। हालांकि ये संवेदना सोशल मीडिया तक ही सीमित रही, हादसे के बाद न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी गांव में आया और न ही कोई अन्य नेता पहुंचा। शिअद के प्रत्याशी जगमीत सिंह बराड़ जरूर परिवार के साथ दुख सांझा करने पहुंचे।
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