खर्च करने की क्षमता बढ़ी: कोरोना की दूसरी लहर के बावजूद राज्य सरकारों की आय 44.7% बढ़ी; सर्वाधिक कमाई प्रॉपर्टी खरीद के रजिस्ट्रेशन से
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- Despite The Second Wave Of Corona, The Income Of The State Governments Increased By 44.7%; Highest Earning From Property Purchase Registration
मुंबई10 मिनट पहले
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छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना ने पहली तिमाही में अपने पूरे साल के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य का एक चौथाई हासिल भी कर लिया है।
- राज्यों का कर राजस्व पहली तिमाही में डेढ़ गुना हुआ, पूंजीगत खर्च भी 133.4% बढ़ा
कोरोना की दूसरी लहर के बावजूद इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में न सिर्फ केंद्र सरकार की आय बढ़ी है, बल्कि राज्यों की आमदनी में भी खासा इजाफा नजर आ रहा है। राज्यों के कुल खर्च में 76% हिस्सेदारी रखने वाले देश के 16 प्रमुख राज्यों का कर राजस्व बीती तिमाही (अप्रैल-जून) में 44.7% बढ़ा है। राज्यों को सबसे बड़ा फायदा स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन से हुआ है।
वित्तीय सेवा कंपनी मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की ओर से किए गए एक विश्लेषण के मुताबिक, ओडिशा को छोड़कर सभी राज्यों में इस मद में इजाफा हुआ है। गुजरात और पंजाब में तो 200% बढ़ोतरी दर्ज की गई है। छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना ने पहली तिमाही में अपने पूरे साल के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य का एक चौथाई हासिल कर लिया है।
गुजरात-पंजाब की आय तिगुनी हुई, ओडिशा की घटी
विश्लेषण में शामिल राज्य
छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मप्र, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी व उत्तराखंड।
आय बढ़ी तो खर्च भी बढ़ा, यानी राज्यों में विकास कार्यों में तेजी आई
राजस्व बढ़ने के साथ ही राज्यों के खर्च में भी इजाफा हुआ है। राज्यों का कुल खर्च सालाना आधार पर 18% बढ़ा, जो पिछले साल इसी अवधि में 4.1% कम हुआ था। हालांकि, इस दौरान पूंजीगत खर्च में 133.4% की भारीभरकम बढ़ोतरी हुई। यानी राज्यों ने विकास के कामों में खासी पूंजी खर्च की है। इस खर्च का असर राज्यों के राजकोषीय घाटे के रूप में दिख रहा है। लेकिन, झारखंड और ओडिशा में यह ग्रोथ नहीं दिखी है।
केंद्र-राज्यों का राजस्व 39% घटा था, अब 115% ज्यादा
फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों की कुल प्राप्तियां पिछले साल 39% घटी थीं, अब सालाना आधार पर 115% अधिक हैं। हालांकि, केंद्र-राज्यों का साझा खर्च 9.4% ही बढ़ा है। प्राप्तियों की तुलना में कम खर्च की वजह से कुल सरकारी राजकोषीय घाटा बीती तिमाही 17.6% रह गया, जो कि पिछले तीन साल की औसत दर 44% से काफी कम है।
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