कोविड टास्क फोर्स के चीफ की राय: देश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर, लेकिन कह नहीं सकते कि सबसे बुरा वक्त बीत गया

कोविड टास्क फोर्स के चीफ की राय: देश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर, लेकिन कह नहीं सकते कि सबसे बुरा वक्त बीत गया

[ad_1]

  • Hindi News
  • National
  • Corona Case Vaccination News And Updates | Covid Task Force Chief VK Paul On COVID Vaccination Of Children

नई दिल्ली6 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
कोविड टास्क फोर्स के चीफ की राय: देश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर, लेकिन कह नहीं सकते कि सबसे बुरा वक्त बीत गया

कोविड टास्क फोर्स के चीफ डॉ. वीके पॉल ने एक इंटरव्यू में बच्चों के वैक्सीनेशन और कोरोना के खतरे पर अपनी राय रखी।

कोविड टास्क फोर्स के चीफ डॉ. वीके पॉल ने रविवार को बच्चों के वैक्सीनेशन, वैक्सीन की सप्लाई और कोरोना के खतरे पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि सरकार वैज्ञानिक तर्क के साथ-साथ बच्चों के लिए उपलब्ध वैक्सीन की सप्लाई की स्थिति के आधार पर कोई फैसला लेगी।

पॉल ने न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में कहा कि हम जानते हैं कई देशों में किशोरों और बच्चों के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत हो गई है। उन्होंने आगाह किया कि भले ही कोरोना का संक्रमण कम हो रहा है और दूसरी लहर कम हो रही है, लेकिन अभी यह कहना सही नहीं होगा कि सबसे बुरा समय खत्म हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई देशों में दो से ज्यादा लहरें आ चुकी हैं।

कोरोना के मामले कम होने के साथ ही राज्यों में पाबंदियां कम कर दी गई हैं। फोटो मुंबई के दादर मार्केट की है। यहां दशहरा की खरीदारी के लिए भारी भीड़ उमड़ी।

कोरोना के मामले कम होने के साथ ही राज्यों में पाबंदियां कम कर दी गई हैं। फोटो मुंबई के दादर मार्केट की है। यहां दशहरा की खरीदारी के लिए भारी भीड़ उमड़ी।

बच्चों के वैक्सीनेशन की डेडलाइन बताना संभव नहीं
डॉ. पॉल के मुताबिक, कोवैक्सिन बड़ों के वैक्सीनेशन प्रोग्राम का हिस्सा है, इसलिए इस जरूरत को पूरा करते हुए बच्चों के वैक्सीनेशन का इंतजाम कैसे किया जाता है, यह भी देखना होगा। उन्होंने कहा कि इन सब को देखते हुए बच्चों का वैक्सीनेशन कब शुरू होगा, इसकी डेडलाइन देना मुमकिन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन प्रोग्राम में जायडस कैडिला के टीके को शामिल करने की तैयारी अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। इसके लिए पहले से ही ट्रेनिंग दी जा रही है। जल्द ही इसका इस्तेमाल शुरू किया जाएगा।

पॉल ने कहा कि बच्चे कोरोना के फैलने की चेन का अहम हिस्सा हो सकते हैं। वे बड़ी संख्या में संक्रमित होते हैं। दूसरा पहलू यह है कि बच्चों में कोरोना का संक्रमण बहुत हल्के या बिना लक्षण वाला होता है। एक बार बच्चों के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध हो जाएं तो उन्हें भी संक्रमण से बचाया जा सकता है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कई राज्यों में बड़े बच्चों के स्कूल फिर से खुल गए हैं।

त्योहारों की वजह से आने वाला वक्त मुश्किल
यह पूछे जाने पर कि क्या महामारी का सबसे बुरा दौर खत्म हो गया है, पॉल ने कहा कि कोरोना के मामलों की संख्या अब घट रही है और दूसरी लहर अब कम हो रही है, लेकिन यह कहना कि सबसे बुरा समय खत्म हो गया है, सही नहीं होगा, क्योंकि दूसरे देशों में देखा गया है कि वहां दो से ज्यादा लहरें भी आई हैं।

फोटो कन्याकुमारी की है। यहां के टूरिस्ट स्पॉट पर लोग बिना मास्क के दिखाई दे रहे हैं।

फोटो कन्याकुमारी की है। यहां के टूरिस्ट स्पॉट पर लोग बिना मास्क के दिखाई दे रहे हैं।

उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि देश ऐसे दौर से गुजर रहा है, जब त्योहार और लोगों का जमावड़ा होता है। यह बहुत मुश्किल वक्त है, क्योंकि वायरस फिर से फैल सकता है। हमने देखा है कि दूसरे देशों में भी जहां वैक्सीन कवरेज अच्छा है, मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है और हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसलिए निश्चित रूप से हमें यह नहीं मानना ​​चाहिए कि संक्रमण में गिरावट की यह स्थिति जारी रहेगी। इसलिए हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि सबसे बुरा समय खत्म हो गया है, हमें हमेशा अलर्ट रहना होगा।

वैक्सीनेशन में पिछड़े राज्यों को मेहनत करने की जरूरत
पॉल के मुताबिक, वैक्सीनेशन ने रफ्तार पकड़ी है। जो राज्य किसी भी कारण से पिछड़ रहे हैं, उन्हें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और वैक्सीनेशन को आगे बढ़ाना चाहिए। अब वैक्सीन की सप्लाई में कोई कमी नहीं है। राज्य सरकारों के पास वैक्सीन के 10 करोड़ डोज हैं। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उन लोगों तक पहुंचें जो वैक्सीनेशन ड्राइव में छूट गए हैं।

कुछ रिपोर्टों पर कि अगर साल के आखिर तक पूरी वयस्क आबादी को टीका लगाना है तो भारत के पास इसके लिए पर्याप्त सीरिंज नहीं होगी, इस पर पॉल ने कहा कि सीरिंज की उपलब्धता को लेकर कोई समस्या नहीं है।

भारत में वैक्सीन की अब तक की स्थिति
अभी देश में तीन टीके कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक-V लगाए जा रहे हैं। ये सिर्फ 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए हैं। ये सभी वैक्सीन दो डोज वाली हैं। जायडस कैडिला की स्वदेशी वैक्सीन जायकोव-डी भी लगभग तैयार है। बिना सीरिंज वाली यह वैक्सीन भारत में 12 से 18 साल की उम्र के लोगों के लिए होगी। इसे इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी मिल चुकी है। वैक्सीनेशन पर बनाया गया नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (NTAGI) यह देख रहा है कि जायकोव डी का कैसे बेहतर इस्तेमाल हो सकता है।

भारत की सेंट्रल ड्रग अथॉरिटी के एक एक्सपर्ट पैनल ने कुछ शर्तों के साथ 2 से 18 साल के बच्चों और किशोरों के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को इमरजेंसी यूज की मंजूरी देने की सिफारिश की है। यदि ड्रग कंट्रोलर (DCGI) से इसे मंजूरी मिल जाती है तो यह जायकोव डी के बाद 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस्तेमाल की इजाजत पाने वाली दूसरी वैक्सीन होगी।

देश में एक्टिव केस 2 लाख से कम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रविवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में एक दिन में कोरोना के 14,146 नए मामले सामने आए हैं। एक्टिव केस घटकर 1.95 लाख रह गए हैं। ये पिछले 220 दिनों में सबसे कम हैं।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *