कोरोना काल में संकट में घिरे ये 5 मंत्रालय: रविशंकर, हर्षवर्धन और निशंक के इस्तीफे क्यों? जानिए इनके मंत्रालय संभालने वालों के सामने क्या चुनौतियां
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नई दिल्ली11 मिनट पहले
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में बुधवार को पहली बार मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ। इस फेरबदल में जहां कुछ पुराने मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई, वहीं कई नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है।
मंत्रिमंडल में कुछ बदलाव तो ऐसे भी हुए, जिनसे हर कोई चौंक गया। स्वास्थ्य संभालने वाले हर्षवर्धन, IT मंत्रालय के रविशंकर प्रसाद और शिक्षा मंत्रालय के निशंक ने इस्तीफा दे दिया और इनके मंत्रालय नए चेहरों को सौंप दिए गए। जानिए, ये इस्तीफे क्यों हुए और जो नए चेहरे आए हैं, उनके सामने क्या चुनौतिया हैं…
1. स्वास्थ्य मंत्रालय
कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे देश में स्वास्थ्य मंत्रालय का सबसे अहम रोल रहा है। डॉक्टर हर्षवर्धन से स्वास्थ्य मंत्रालय का पदभार छीन लिया गया है। स्थास्थ्य मंत्रालय अब मनसुख मंडाविया संभालेंगे। कोरोना काल में मनसुख मंडाविया ने मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर अहम रोल निभाया। उनके नेतृत्व में देश के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन की तुरंत सप्लाई पर जोर रहा।
हर्षवर्धन से मंत्रालय क्यों छीना गया?
- पिछले डेढ़ साल से कोरोना मैनेजमेंट को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय पर लगातार सवाल उठते रहे।
- सवालों के चलते विदेशों में भी मोदी सरकार की छवि खराब हुई।
- कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान को लेकर हर्षवर्धन लोगों की शंकाएं दूर नहीं कर पाए।
मनसुख मंडाविया के सामने चुनौतियां क्या हैं?
- देश के सामने कोरोना की तीसरी लहर की चुनौती खड़ी है, जिसका दबाव मनसुख मंडाविया पर होगा।
- कोरोना को लेकर मंडाविया को फौरन तैयारियों में जुटना होगा, क्योंकि दवाई की जिम्मेदारी भी उनके पास है।
- कोरोना टीकाकरण अभियान की रफ्तार तेज करने की चुनौती रहेगी।
2. शिक्षा मंत्रालय
कोरोना काल में शिक्षा मंत्रालय की भूमिका भी काफी अहम रही है। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की छुट्टी कर दी गई। धर्मेंद्र प्रधान देश के नए शिक्षा मंत्री बनाए गए हैं।
रमेश पोखरियाल निशंक की कुर्सी क्यों गई?
- कोरोना काल में स्कूल लगभग बंद ही रहे। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर सबसे ज्यादा असर पड़ा, जिससे पेरेंट्स में नाराजगी बढ़ी।
- घर पर रहकर ही ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दिया गया लेकिन हर किसी के लिए यह संभव नहीं था। बच्चों की पढ़ाई छूटने से लोग परेशान हुए।
- बोर्ड की परीक्षाओं और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन को लेकर भी लगातार सवाल खड़े हुए।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सामने चुनौतियां क्या हैं?
- कोरोना काल में मुश्किल में आए शिक्षा क्षेत्र को फिर से खड़ा करने की चुनौती है।
- बच्चों की पढ़ाई शुरू कराने और प्रतियागी परीक्षाओं को लेकर उठे सवालों का सामना करने की चुनौती है।
- नई शिक्षा नीति को लागू करने की जिम्मेदारी भी धर्मेंद्र प्रधान के कंधों है।
3. श्रम मंत्रालय
मोदी सरकार ने संतोष गंगवार को श्रम-रोजगार मंत्रालय से हटा दिया है। भूपेंद्र यादव देश के नए श्रम-रोजगार मंत्री बनाए गए हैं। भूपेंद्र यादव की पहचान एक कुशल चुनावी रणनीतिकार के तौर पर है। साथ ही वो मोदी और शाह के करीबी भी माने जाते हैं।
संतोष गंगवार को क्यों हटाया गया?
- कोरोना काल में देश भर के प्रवासी मजदूरों ने काफी दिक्कतों का सामना किया, जिससे सरकार के प्रति नाराजगी का भाव पैदा हुआ।
- लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूर पलायन को मजबूर हुए। मजदूरों के पलायन से सरकार की साख को धक्का लगा।
- मजदूरों के पलायन पर केंद्र से कड़े सवाल पूछे जाते रहे। संतोष गंगवार इस हालात को संभाल नहीं पाए।
भूपेंद्र यादव के सामने क्या हैं चुनौतियां?
- कोरोना संकट खत्म नहीं हुआ है। मजदूरों के पलायन को लेकर ठोस तैयारी करनी होगी।
- कोरोना काल में सबसे ज्यादा चिंता रोजगार को लेकर ही है। रोजगार के अवसर मुहैया कराने की चुनौती रहेगी।
- प्रवासी संकट की वजह से वैश्विक स्तर पर भारत की ब्रैंड इमेज को जो धक्का लगा है, उसे ठीक करना होगा।
4. पेट्रोलियम मंत्रालय
देश में पिछले कुछ दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। कोरोना काल में आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे लोगों पर इसकी गहरी मार पड़ी है। धर्मेंद्र प्रधान से पेट्रोलियम मंत्रालय वापस ले लिया गया है। हरदीप सिंह पुरी देश के नए पेट्रोलियम मंत्री बने हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय से क्यों हटाए गए धर्मेंद्र प्रधान?
- पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत के लेकर सरकार के प्रति लोगों में गहरी नाराजगी है।
- करीब 100 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत को लेकर धर्मेंद्र प्रधान पर लगातार निशाना साधा गया।
- धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत की वजह जनता को समझा पाने में नाकाम रहे।
हरदीप पुरी के सामने क्या होंगी चुनौतियां
- हरदीप पुरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाना है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की घटती-बढ़ती कीमत को लेकर संतुलन बैठाने की चुनौती रहेगी।
- नए पेट्रोलियम मंत्री को सौर-प्राकृतिक ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की चुनौती होगी।
5. रेल मंत्रालय
कैबिनेट फेरबदल में पीयूष गोयल से रेल मंत्रालय छीन लिया गया है। पूर्व अफसर अश्विनी वैष्णव रेल मंत्री बनाए गए हैं। मूल रूप से राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले अश्विनी वैष्णव 1994 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं। अश्विनी वैष्णव ने आईएएस अधिकारी रहते हुए कई शानदार काम किए।
पीयूष गोयल को रेल मंत्री पद से क्यों हटाया गया?
- कोरोना काल में रेलवे का रोल काफी अहम रहा, लेकिन लॉकडाउन के समय संतोषजनक काम नहीं हुआ।
- पलायन करते प्रवासी मजदूरों की तस्वीरों ने भी रेलवे की छवि को धक्का पहुंचाया।
- पीयूष गोयल रेलवे की आमदनी को बढ़ाने की दिशा में काम नहीं कर पाए।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के क्या हैं चुनौतियां
- अश्विनी वैष्णव के सामने रेलवे की आमदनी बढ़ाने की बड़ी चुनौती है।
- रेलवे के विकास के लिए पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप मॉडल को सफल बनाने की जिम्मेदारी वैष्णव पर होगी।
- रेलवे कई चरणों में निजी ट्रेनें लॉन्च करने की तैयारी में है। नए रेल मंत्री को इस दिशा में काम करना होगा।
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