कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंची ‘माझा ब्रिगेड’: वर्चुअली मीटिंग में नहीं दिखे बाजवा, रंधावा और सरकारिया, तीनों मंत्री सिद्धू खेमे से; रंधावा खुलकर कर चुके कैबिनेट की मीटिंग वर्चुअली बुलाए जाने का विरोध

कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंची ‘माझा ब्रिगेड’: वर्चुअली मीटिंग में नहीं दिखे बाजवा, रंधावा और सरकारिया, तीनों मंत्री सिद्धू खेमे से; रंधावा खुलकर कर चुके कैबिनेट की मीटिंग वर्चुअली बुलाए जाने का विरोध

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लुधियानाएक मिनट पहले

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कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंची ‘माझा ब्रिगेड’: वर्चुअली मीटिंग में नहीं दिखे बाजवा, रंधावा और सरकारिया, तीनों मंत्री सिद्धू खेमे से; रंधावा खुलकर कर चुके कैबिनेट की मीटिंग वर्चुअली बुलाए जाने का विरोध

पंजाब कैबिनेट की वर्चुअल मीटिंग में कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रिंसिपल सेक्रेटरी विन्नी महाजन।

पंजाब कांग्रेस में ‘माझा ब्रिगेड’ के नाम से चर्चित तीनों मंत्री-तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा और सुखविंदर सिंह सुख सरकारिया गुरुवार को कैबिनेट की वर्चुअल मीटिंग में शामिल नहीं हुए। ये तीनों पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू खेमे से हैं और इन्होंने ही 2 दिन पहले CM कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था। उसके बाद देहरादून जाकर पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से मिलने वाले नेताओं में भी ये तीनों शामिल थे।

गुरुवार को पंजाब कैबिनेट की मीटिंग वर्चुअली हुई। गौरतलब है कि सुखजिंदर रंधावा तो खुलकर कैबिनेट की मीटिंग वर्चुअली बुलाए जाने का विरोध कर चुके हैं। मंगलवार को चंडीगढ़ में तृप्त राजिंदर बाजवा के घर हुई मीटिंग, जहां से कैप्टन को CM की कुर्सी से हटाने की मुहिम की शुरुआत हुई, से निकलने के बाद रंधावा ने खुलेआम कहा था कि CM अमृतसर जाकर 1 हजार लोगों के साथ बैठक करते हैं, विधायकों से भी मिलते हैं मगर वह कैबिनेट की मीटिंग वर्चुअली करते हैं क्योंकि वह मंत्रियों का सामना करने और उनके सवालों से बचना चाहते हैं। शायद यही वजह रही कि रंधावा गुरुवार को वर्चुअली बुलाई गई कैबिनेट की मीटिंग में ही नहीं पहुंचे।

पंजाब भवन भी नहीं पहुंचे बाजवा
उधर तृप्त राजिंदर बाजवा गुरुवार को चंडीगढ़ में पंजाब कांग्रेस भवन भी नहीं पहुंचे जहां उन्हें सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक आम लोगों, वर्करों और विधायकों की बात सुनकर उन्हें पेश आ रही दिक्कतों का निराकरण करना था। गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनते ही ऐलान किया था कि अब राज्य सरकार का हर मंत्री पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठेगा और वर्करों की समस्याए सुनेगा। बीती 20 अगस्त को ही सिद्धू ने अपनी टीम के साथ जाकर CM कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस मसले पर मीटिंग की थी जिसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बाकायदा रोस्टर जारी कर मंत्रियों की पंजाब कांग्रेस भवन में बैठने की ड्यूटी लगा दी थी। तब CM ने यह भी कहा था कि अगर कोई मंत्री अपनी ड्यूटी वाले दिन किसी वजह से कांग्रेस भवन नहीं जा पाता है तो वह किसी दूसरे मंत्री से टाइअप कर उसे वहां डिप्यूट करेगा। इस रोस्टर के अनुसार, तृप्त राजिंदर बाजवा को गुरुवार को पहली बार पंजाब कांग्रेस भवन में जाना था मगर वह नहीं पहुंचे। उनकी जगह कोई दूसरा कैबिनेट मंत्री भी कांग्रेस भवन नहीं पहुंचा।

मंत्रियों की गैरहाजिरी में कैबिनेट मीटिंग से अहम फैसले

उधर पंजाब सरकार का कार्यकाल तकरीबन 5 महीने का बचा है और विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल की बैठक से मंत्रियों के गैरहाजिर रहने को पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं समझा जा रहा। गुरुवार को हुइ कैबिनेट की मीटिंग का महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि इसमें सूबे के बेरोजगार नौजवानों को रोजगार में मदद देने के लिए ‘मेरा काम मेरा मान’ स्कीम शुरू की गई। मौजूदा वित्त वर्ष से निर्माण श्रमिकों और उनके बच्चों को 12 महीने की ट्रेनिंग के दौरान 2500 रुपए प्रति महीना देने का फैसला भी लिया गया। इस मीटिंग में पंजाब अनुसूचित जाति भूमि विकास एवं वित्त निगम (पीएससीएफसी) और पंजाब पिछड़ा वर्ग भूमि विकास एवं वित्त निगम (बैकफिनको) के कर्ज में से प्रत्येक में 50 हजार रुपए तक की कर्ज माफी का फैसला भी लिया गया। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के प्रवक्ता ने बताया कि इस योजना के तहत पीएससीएफसी के 10151 और बैकफिनको के 4702 यानि कुल 14853 कर्जदारों को फायदा मिलेगा।

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