केंद्र सरकार का वेस्ट टू वेल्थ मिशन: आज 3 बजे वेस्ट मैनेजमेंट के वैज्ञानिक तरीकों पर होगी वर्चुअल डिबेट, देशभर से चुने जाएंगे 379 फेलो
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- Today At 3 Pm, There Will Be A Virtual Debate On Scientific Methods Of Waste Management, 379 Fellows Will Be Selected From Across The Country
नई दिल्ली15 मिनट पहले
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केंद्र सरकार के वेस्ट टू वेल्थ मिशन के तहत शनिवार को दोपहर दोपहर 3 बजे स्वच्छता सारथी संवाद का आयोजन किया गया है। इसमें वेस्ट मैनेजमेंट के वैज्ञानिक तरीकों पर चर्चा होगी। यह कार्यक्रम स्वच्छता सारथी फैलोशिप का विस्तार है।
इसका उद्देश्य उन छात्रों, स्वयं सहायता समूहों, सफाई कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना है जो अपने प्रयासों से शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे को कम करने की चुनौतियों से निपटने में लगे हुए हैं।
बता दें कि 1999 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में इस मिशन की शुरुआत की थी। तब देश के मिसाइल मैन और मशहूर साइंटिस्ट अब्दुल कलाम आजाद को इसकी कमान सौंपी गई थी।
27 राज्यों, 6 केंद्र शासित प्रदेशों से चुने जाएंगे 379 फेलो
यह कार्यक्रम भारत के 27 राज्यों, 6 केंद्र शासित प्रदेशों से चुने गए 379 फेलो को स्वच्छता सारथी फेलोशिप के तहत एक मंच प्रदान करेगा ताकि वे प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर (PSA) के साथ अपना विजन रख सकें। साथ ही वे शहरों और ग्रामीण इलाकों में कचरे को कम करने के लिए इनोवेटिव सोल्यूशन पर काम कर सकें।
2021 का स्वच्छता सारथी समूह अपने विजन से देशभर के लोगों को मजबूत करेगा। यह हरित, स्वच्छ और उन्नत भारत के लिए मिल का पत्थर साबित होगा।
प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुजरात में निवेशक शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज पॉलिसी का भी शुभारंभ किया। उन्होंने कहा, यह पॉलिसी आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मील का पत्थर है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘स्क्रैपेज पॉलिसी देश के ऑटो सेक्टर को एक नई पहचान देगा। यह सड़कों से अनुपयुक्त वाहनों को हटाने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। यह न कि केवल ऑटो क्षेत्र में बल्कि सभी क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाएगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि 21वीं सदी में देश को स्वच्छ, भीड़-भाड़ मुक्त और सुविधाजनक गतिशीलता की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने इसे ‘वेस्ट टू वेल्थ मिशन’ के रूप में देश के लिए महत्वपूर्ण बताया।
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