किसान आंदोलन में बड़े विवाद: लाल किला घटना, निहंगे के हत्या करने और रेप के मामलों से संघर्ष के बीच बटोरीं सुर्खियां
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जालंधर22 मिनट पहले
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किसान आंदोलन ने बॉर्डरों पर कई पड़ाव पार किए हैं। कुछ विवाद भी उठे। 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली में लालकिला पर जो हुआ, उससे तो आंदोलन ही टूटता दिखाई दिया। किसान आंदोलन हर विवाद के बाद संभला और अब मुकाम पर पहुंचा है।
सिंघु बॉर्डर पर दशहरे की सुबह तरनतारन पंजाब के चीमा खुर्द निवासी लखबीर सिंह की निर्ममता से हत्या और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में पश्चिम बंगाल की युवती से हुए रेप की वारदात ने आंदोलन पर लांछन लगाए। आंदोलन की पवित्रता पर ही सवाल खड़े हुए। टिकरी बॉर्डर पर खराब पीने दौरान विवाद में एक को जिंदा जलाने का मामला भी सुर्खियों में रहा।
हरियाणा के करनाल के एक संत बाबा राम सिंह ने किसानों की दशा चिंतित होकर खुद को गोली मार ली। किसान आंदोलन मे विवाद तो कोई न कोई हर रेाज ही खड़ा हुआ, 5-6 घटनाएं किसान आंदोलन की सफलता के बाद भी जन मानस को टीस देती रहेंगी।
लखबीर मर्डर केस
पंजाब के तरनतारन के गांव चीमा खुर्द निवासी लखबीर सिंह दिल्ली के सिंघु बार्डर पर गया था। 15 अक्टूबर को दशहरे के दिन गुरुसाहिब की बेअदबी के आरोप में निहंग सिंहों ने उसके हाथ-पांव काट कर उसे मरने तक उलटा लटका दिया था। चार निहंगों ने मर्डर की बात स्वीकारी और वे अब जेल में है। वारदात ने लखबीर के परिजनों को तो टीस दी ही, साथ में जेल में बंद निहंगों के परिवार भी दुखी हैं। कुंडली पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी निहंग नारायण सिंह को अमृतसर के जंडियाला गुरु से हिरासत में लिया। वहीं सरबजीत सिंह, गोविंद प्रीत सिंह और निहंग भगवंत सिंह ने खुद अपराध कबूलते हुए आत्मसमर्पण किया था।
टिकरी बार्डर पर रेप
टिकरी बॉर्डर पर पश्चिम बंगाल की आंदोलनकारी 25 साल की युवती के साथ हुए दुष्कर्म की वारदात ने आंदोलन की साख पर बट्टा लगाया। युवती की 30 अप्रैल,2021 को मौत हो गई थी। इसी बीच खुलासा हुआ कि किसान आर्मी के तीन नेताओं ने उससे दुष्कर्म किया था। यहां सवाल उठे किसान आंदोलन की दशा और दिशा आखिर है क्या। मामला टिकरी बार्डर पर बैठे बड़े किसान नेताओं के संज्ञान में आया तो तीनों आरोपी लड़की को टिकरी बार्डर पर छोड़कर फरार हो गए। किसान नेताओं ने लड़की को शहीद करार दिया और जीप में डेडबॉडी रखकर शवयात्रा निकाली गई। मरहूम के पिता की शिकायत पर तीनों के खिलाफ रेप अपहरण और ब्लैकमेल करने का मामला दर्ज किया गया। भिवानी के झोझू कलां निवासी अनिल मलिक इसमें मुख्यारोपी था।
मामूली विवाद में जिंदा जलाया
झज्जर जिले में बहादुरगढ़ के कसरा गांव निवासी मुकेश (42) किसान आन्दोलन में भाग लेने के लिए टिकरी बॉर्डर पर थे। 18 जून को हरियाणा के कुछ साथियों के साथ खाते-पीते वक्त उसकी कहासुनी हो गई। इसके बाद जींद के कुछ युवकों ने मुकेश पर पेट्रोल छिड़क कर उसे जिंदा जला दिया। मुकेश की वहीं पर मौत हो गई। पुलिस ने इस विभत्स कृत्य को अंजाम देने वाले आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। घटना के वक्त चारों आरोपी नशे में पूरी तरह से धुत्त थे।
26 जनवरी को दिल्ली में बवाल
किसान आंदोलन ने 26 जनवरी, 202़ को ट्रैक्टर मार्च के दौरान जो बवाल हुआ, उससे एक बार तो किसान आंदोलन ही खत्म होते दिखा। 26 जनवरी को सिंघु और टिकरी बार्डर से कुछ युवक ट्रैक्टर लेकर बैरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली में घुस गए। भीड़ लाल किले में घुस गई और तोडफोड़ किया। लालकिले पर तिरंगे के बराबर निशान साहिब को फहरा दिया गया। सरकार इसको लेकर आक्रामक रही। पुलिस ने दीप सिद्धू समेत कई लोगों पर मामले दर्ज किए। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने हाथ पीछे खिंच लिए। आरोप लगाए कि ये केंद्र सरकार की साजिश का परिणाम था। सरकार आन्दोलन को बदनाम करना चाहती है। किसानों ने इसको भी झेला और आंदोलन को बचा ले गए।
टूलकिट मामला
गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी की हिंसा के तत्काल बाद जलवायु कार्यकर्ता थनबर्ग और पॉप स्टार रिहाना के साथ-साथ अमेरिका की पार्न स्टार मियां खलीफा ने आन्दोलन का समर्थन किया। भारत ने विदेशी हस्तियों और अन्य लोगों की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। थनबर्ग ने “उन लोगों के लिए एक टूलकिट” भी साझा किया था, जो “मदद करना चाहते थे।’’ जल्द ही “टूलकिट” मुद्दा बड़े पैमाने पर विवाद में बदल गया और दिल्ली पुलिस ने भारत की छवि खराब करने की कोशिश करने के आरोप में कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। इसी दौरान जलवायु सरंक्षण कार्यकर्ता दिशा रवि को किसानों के आंदोलन से जुड़े ‘टूलकिट’ को सोशल मीडिया पर साझा करने में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।
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