किसानों पर कर्ज: सरकार ने संसद में बताया- कृषि कर्ज माफ करने की योजना नहीं, देश में किसानों पर 16.80 लाख करोड़ रुपए का कृषि कर्ज बकाया
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- Government Told In Parliament – There Is No Plan To Waive Agricultural Loans, Farmers In The Country Owe Agricultural Loans Of Rs 16.80 Lakh Crore
नई दिल्लीएक घंटा पहले
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‘किसान संसद’ के बाद टी ब्रेक।
- सबसे ज्यादा कृषि कर्ज तमिलनाडु के किसानों पर
देश के किसानों पर 16.80 लाख करोड़ रुपए का कृषि कर्ज बकाया है। लोकसभा में वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में करीब 1.64 करोड़ किसानों के खातों पर 1.89 लाख करोड़ का कृषि कर्ज बकाया है।
सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह कृषि ऋण माफ करने नहीं जा रही। कराड ने बताया कि सरकार के पास कृषि ऋण माफ करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। दरअसल, तमिलनाडु के करूर से सांसद एस जोतिमणि ने राज्यवार किसानों पर बकाया कृषि ऋण की जानकारी मांगी थी।
इसके लिखित जवाब में साेमवार काे वित्त राज्यमंत्री कराड ने नाबार्ड के आंकड़ों के हवाले से जानकारी दी। इसके मुताबिक इस 31 मार्च तक कृषि ऋण मामले में आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर है। वहां 1.69 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं। कर्ज के मामले में तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है। वहां किसानों पर 1.55 लाख करोड़ का कर्ज बाकी है।
किसान संसद: जरूरी वस्तु अधिनियम पर चर्चा, इसे रद्द करने का प्रस्ताव
किसानों ने मंगलवार को जंतर मंतर पर ‘किसान संसद’ जारी रखी। इसमें केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों में से एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम पर चर्चा की गई। किसानों ने कहा कि वे इसे निरस्त करने के लिए प्रस्ताव पारित करेंगे। ‘किसान संसद’ में हर दिन 200 किसान भाग ले रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा, ‘कालाबाजारी रोकने के लिए 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम पारित किया गया था। तब से किसी ने संशोधन की मांग नहीं की है। देश का हर नागरिक किसानों के समर्थन में आवाज उठा रहा है।’ संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा, ‘सरकारों को फसलों के लिए विपणन, परिवहन, भंडारण सुविधा मजबूत करना चाहिए।
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