किसानों को लेकर पंजाब सरकार का बड़ा फैसला: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में जान गंवाने वालों के 104 वारिसों को कैप्टन सरकार देगी नौकरी

किसानों को लेकर पंजाब सरकार का बड़ा फैसला: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में जान गंवाने वालों के 104 वारिसों को कैप्टन सरकार देगी नौकरी

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लुधियाना20 मिनट पहले

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किसानों को लेकर पंजाब सरकार का बड़ा फैसला: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में जान गंवाने वालों के 104 वारिसों को कैप्टन सरकार देगी नौकरी

कैप्टन अमरिंदर सिंह। फाइल फोटो

गन्ना उत्पादकों की मांग मानते हुए गन्ने का रेट 360 रुपए करने के बाद पंजाब सरकार ने किसानों को लेकर एक और बड़ा फैसला लिया है। गुरुवार को प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के 104 वारिसों को नौकरी देने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा अन्य किसानों के परिजनों को रोजगार मुहैया करवाने के लिए भी कह दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने वर्चुअल बैठक के दौरान कहा है कि वह चाहते हैं कि कृषि कानूनों के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में जान गंवाने वाले सभी किसानों के परिवारों को नौकरी दी जाए। सरकारी कर्मचारियों और देश की सुरक्षा के लिए लड़ते हुए जान कुर्बान करने वालों के लिए 21 नवंबर 2002 को बनाई गई नीति में बदलाव के लिए भी मंजूरी दे दी गई है। ताकि किसानों के परिजनों को नौकरी देने में आसानी हो सके। इस पर विचार विमर्श करने के लिए मुख्यमंत्री के आदेशों पर प्रमुख सचिव विन्नी महाजन की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। सरकार परिवारिक सदस्यों को माल विभाग और कृषि विभाग में नौकरी मुहैया करवा रहा है।

सभी 600 किसानों के परिवारों को मिले नौकरी

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता और किरती किसान यूनियन के उपाध्यक्ष रजिंदर सिंह दीप सिंह वाला का कहना है कि इसे सरकार का लॉलीपॉप ही माना जा सकता है। क्योंकि अभी तक एलानी गई 5 लाख रुपए की ग्रांट भी ज्यादातर परिवारों को नहीं मिली है। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 600 किसानों की मौत होने की पुष्टि की गई है। इसलिए उन सभी के पारिवारिक सदस्यों को नौकरी मिलनी चाहिए।

कृषि कानूनों के विरोध में 8 महीने से डटे हैं किसान

बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए गए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की तरफ से पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली में प्रदर्शन शुरू किया गया था। किसान करीब 8 माह से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर संघर्ष कर रहे हैं। इस दौरान अब तक 600 किसानों की मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर बीमारी के कारण या फिर सड़क हादसों में मारे गए हैं। किसानों के 31 संगठनों की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा बनाया गया है और इसके आदेश पर ही किसान गांवों में प्रचार के लिए आने वाले सभी नेताओं का विरोध कर रहे हैं। दूसरी तरफ राज्य में बड़े वोट बैंक किसानों को लुभाने के लिए प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।

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