काजा में खुला विश्व का सबसे ऊंचा चार्जिंग स्टेशन: 3720 मीटर की हाइट पर सभी तरह के वाहन होंगे चार्ज; एक बार की चार्जिंग में 75 किमी तक दौड़ेंगी गाड़ियां

काजा में खुला विश्व का सबसे ऊंचा चार्जिंग स्टेशन: 3720 मीटर की हाइट पर सभी तरह के वाहन होंगे चार्ज; एक बार की चार्जिंग में 75 किमी तक दौड़ेंगी गाड़ियां

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शिमलाएक घंटा पहले

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काजा में खुला विश्व का सबसे ऊंचा चार्जिंग स्टेशन: 3720 मीटर की हाइट पर सभी तरह के वाहन होंगे चार्ज; एक बार की चार्जिंग में 75 किमी तक दौड़ेंगी गाड़ियां

काजा मेंं खुला विश्व का सबसे ऊंचा इलेक्ट्रॉनिक चार्जिंग स्टेशन।

हिमाचल प्रदेश के काजा में 3720 मीटर की ऊंचाई पर चार्जिंग स्टेशन शुरू हो गया। मेक इन इंडिया के तहत बनी गो इगो नेटवर्किंग कंपनी ने यहां पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया। प्रशासन और कंपनी का दावा है कि यहा विश्व का सबसे ऊंचा चार्जिंग स्टेशन है। इस इलेक्ट्रॉनिक चार्जिंग स्टेशन पर टू व्हीलर समेत थ्री व्हीलर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वाहन भी चार्ज हो सकेंगे। एक बार चार्ज होने के बाद वाहन पहाड़ी इलाकों में 70 से 75 किलोमीटर तक चल पाएंगे। समुद्र तल से 3720 मीटर की ऊंचाई पर यह स्थापित हुआ। यह लद्दाख की राजधानी लेह से भी ऊंचा है।

ट्रायल के तौर पर कंपनी के दो सदस्य मनाली से काजा इलेक्ट्रिक स्कूटी पर पहुंचे। 250 किलोमीटर के सफर को तय करने के लिए इन्हें तीन जगहों पर स्कूटी को चार्ज करना पड़ा। खास बात यह रही कि यह स्कूटी घरेलू स्विच पॉइंट पर भी चार्ज हो गई। ऐसे में रास्ते में इन दो पहिया वाहन चालकों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हुई। कंपनी प्रबंधन का कहना है कि काजा में इलेक्ट्रॉनिक चार्जिंग स्टेशन का ट्रायल सफल रहा। अब प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। देशभर में भी मेक इन इंडिया के तहत चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं।

सैलानियों में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के प्रति बढ़ेगा क्रेज, पर्यावरण भी बचेगा
इलेक्ट्रॉनिक चार्जिंग स्टेशन के स्थापित होने के बाद हिमाचल घूमने आने वाले पर्यटकों में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को खरीदने का भी क्रेज बढ़ेगा। इससे पर्यावरण भी प्रदूषण मुक्त होगा। इलेक्ट्रॉनिक सब-स्टेशन पर एक स्कूटी 4 से 5 घंटे में चार्ज हो जाएगी। मैदानी क्षेत्रों में फुल चार्ज होने पर 95 किलोमीटर तक चल सकती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में 75 किलोमीटर चलेगी।

स्कूटी लेकर मनाली से काजा पहुंची टीम की सदस्य

स्कूटी लेकर मनाली से काजा पहुंची टीम की सदस्य

इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में स्पीति घूमने आने वाले पर्यटकों को नहीं रहेगी चार्जिंग की चिंता
काजा में चार्जिंग स्टेशन स्थापित हो जाने के बाद अब इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में स्पीति घूमने आने वाले लोगों को वाहनों को चार्ज करने की चिंता नहीं रहेगी और वह आसानी से यहां पर अपने वाहनों को चार्ज कर सकेंगे। बिना पर्यावरण को हानि पहुंचाए घूम सकेंगे। इस चार्जिंग स्टेशन पर एक साथ दो वाहनों को चार्ज किया जा सकेगा।

अभी प्रशासन ने तय नहीं किए रेट, ट्रायल बेस पर चल रहा काम
एसडीएम काजा महेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया कि यह विश्व का सबसे ऊंचा चार्जिंग स्टेशन है और यहां अभी प्रशासन की ओर से वाहनों को चार्ज करने को लेकर किसी भी तरह के रेट तय नहीं किए गए। ट्रायल बेस पर काम चल रहा है। जल्द ही रेट निर्धारित किए जाएंगे। 50 रुपए पर यूनिट से कम ही दाम हो इस तरह का विचार चल रहा है ताकि लोगों को भी ज्यादा दिक्कत ना आए।

स्कूटी को चार्ज करने के लिए तीन यूनिट, गाड़ी 7 यूनिट में फूल चार्ज
एसडीएम काजा ने बताया कि कंपनी के अधिकारियों से बात करने के बाद उन्हें जानकारी मिली है कि दोपहिया वाहन चालकों को चार्ज करने के लिए तीन यूनिट की खपत होगी, जबकि चार पहिया वाहन को चार्ज करने के लिए 7 यूनिट तक बिजली का खर्च आएगा। प्रशासन की ओर से यहां पर इलेक्ट्रॉनिक स्टेशन के लिए बिजली मुहैया कराई गई हैं स्कूटी को चार्ज करने में केवल 5 घंटे 5 घंटे लगेंगे।

शिमला के पुराना बस अड्‌डा में चार्ज होती बसें।

शिमला के पुराना बस अड्‌डा में चार्ज होती बसें।

दाे घंटें चार्ज, चलती हैं 100 किमी
शिमला में भी एचआरटीसी बिजली से चार्ज होने वाली बसें चला रहा है। दो घंटे चार्ज हाेने पर इलेक्ट्रॉनिक बस लगभग 100 किलाेमीटर तक चलती हैं। बसों से शोर भी नहीं हाेता है। यह बसें बिल्कुल धुआं रहित है। वहीं, इनकी सीटें भी आरामदायक है। एचआरटीसी की इन बसों को शिमला की सड़कों के अनुसार तैयार किया है। इस बस एक सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि यह बस छोटी है। बस शहर के तीखे मोड़ों पर आसानी से मुड़ रही है। जिससे आगे पीछे चलने वाले वाहनों को भी परेशानी नहीं हाे रही है।

डीजल बसों की कमाई सिर्फ 2000 रुपए
आंकड़ों काे देखें ताे डीजल की बसों की एक दिन कमाई महज 1700 रुपए हैं। अगर एक बस 200 किलाेमीटर का सफर तय करती है ताे उसमें लगभग 3000 रुपए का डीजल लगता है, जबकि कमाई पांच हजार की होती है। सिर्फ दाे हजार रुपए की कमाई निगम की हाे पाती है। जबकि इलेक्ट्रॉनिक बस की कमाई एक दिन की 4900 रुपए हैं। एक दिन का खर्चा 100 रुपए है।

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