कलह सुलझाने आए रावत खुद विवादों में फंसे: सिद्धू व चार कार्यकारी प्रधानों की पंज प्यारों से की तुलना, पंजाब कांग्रेस घमासान को समुद्र मंथन बता चुके, अकाली दल ने माफी मांगने को कहा

कलह सुलझाने आए रावत खुद विवादों में फंसे: सिद्धू व चार कार्यकारी प्रधानों की पंज प्यारों से की तुलना, पंजाब कांग्रेस घमासान को समुद्र मंथन बता चुके, अकाली दल ने माफी मांगने को कहा

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जालंधर20 मिनट पहले

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कलह सुलझाने आए रावत खुद विवादों में फंसे: सिद्धू व चार कार्यकारी प्रधानों की पंज प्यारों से की तुलना, पंजाब कांग्रेस घमासान को समुद्र मंथन बता चुके, अकाली दल ने माफी मांगने को कहा

हरीश रावत ने जब यह बात कही तो सिद्धू भी मुस्कुराते रहे।

पंजाब कांग्रेस में चल रही कलह सुलझाने आए पार्टी प्रभारी हरीश रावत खुद विवादों में फंस गए हैं। यह विवाद उन्होंने खुद खड़ा किया है। हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू व 4 कार्यकारी प्रधानों की तुलना पंज(5) प्यारों से कर दी है। सिख धर्म में पंज प्यारों का बड़ा महत्व है। रावत का बयान आते ही अकाली दल ने आक्रामक रुख अपनाते हुए उनसे माफी मांगते हुए अपने शब्द वापस लेने को कहा है।

रावत इससे पहले भी पंजाब कांग्रेस की कलह को समुद्र मंथन बताने का विवादित बयान दे चुके हैं। हरीश रावत मंगलवार शाम को चंडीगढ़ पहुंचे थे। यहां कांग्रेस भवन में उन्होंने नवजोत सिद्धू व संगठन महासचिव परगट सिंह से मीटिंग की। इसके बाद जब वे मीडिया से रूबरू हुए तो रावत कह बैठे कि नवजोत सिद्धू व उनके 4 कार्यकारी प्रधान हमारे पंज प्यारे हैं, जिनसे वे मिलना चाहते थे।

रावत समझें कि यह मजाक की बातें नहीं

अकाली दल के उपप्रधान व मुख्य प्रवक्ता डॉ. दलजीत चीमा ने हरीश रावत के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सिख धर्म में पंज प्यारों का बड़ा रुतबा है। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने शीश लेकर पंज प्यारे की उपाधि दी थी। मैं रावत को कहना चाहता हूं कि यह मजाक की बातें नहीं हैं। अपने नेताओं को खुश करने के लिए इस तरह की बातें कहना सिख धर्म की भावनाओं से खिलवाड़ है। उन्हें तुरंत अपने शब्द वापस लेकर सिख कौम से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की कि रावत के खिलाफ सिख धर्म की भावनाओं को आहत करने का केस दर्ज किया जाए।

अकाली नेता डॉ. दलजीत चीमा।

अकाली नेता डॉ. दलजीत चीमा।

समुद्र मंथन का विवादित बयान

दो महीने पहले हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस कलह की तुलना समुद्र मंथन से कर दी थी। रावत ने कहा था कि भगवान विष्णु जब मोहिनी रूप बनाकर अमृत बांट रहे थे, तब भी सब संतुष्ट नहीं थे। रावत का यह बयान नवजोत सिद्धू को प्रधान बनाने से जोड़ा गया था। उस वक्त भी सिद्धू के प्रधान बनने से कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई बड़े नेता नाखुश थे। हालांकि कांग्रेस हाईकमान तक रावत की लॉबिंग के चलते सिद्धू प्रधान बनने में कामयाब रहे।

सिद्धू व कैप्टन के बीच फंसे रावत

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत पंजाब में सिद्धू व कैप्टन के बीच फंस गए हैं। सिद्धू को प्रधान बनाने के लिए हाईकमान को राजी करने वाले रावत से कैप्टन खेमा नाराज था। हालांकि कैप्टन खेमे को खुश करने के लिए उन्होंने कह दिया कि पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में होंगे। इसके बाद वह सिद्धू ग्रुप के निशाने पर आ गए। सिद्धू ने उनकी ईंट से ईंट खड़काने की बात कह दी तो परगट सिंह ने रावत पर सवाल उठाए कि वे ऐसे फैसले लेने वाले कौन होते हैं?

जवाब लेने की जगह सफाई देनी पड़ रही, इसलिए पद छोड़ने की इच्छा

हरीश रावत की स्थिति पंजाब में काफी परेशानी वाली हो चुकी है। उनकी ड्यूटी हाईकमान की तरफ से पंजाब में कांग्रेस नेताओं से जवाबतलबी करने की है, लेकिन उलटा उन्हें सफाई देनी पड़ रही है। मंगलवार को रावत चंडीगढ़ पहुंचे तो पंजाब चुनाव की अगुवाई के मुद्दे पर पहले सिद्धू व परगट को सफाई दी और अब कैप्टन को देंगे। रावत उत्तराखंड में कांग्रेस कैंपेन कमेटी के प्रमुख हैं और राज्य कांग्रेस के बड़े चेहरे हैं। इसके बावजूद वह लगातार पंजाब की कलह में फंसते जा रहे हैं। इसी वजह से वे अब पंजाब इंचार्ज का जिम्मा छोड़ना चाहते हैं, लेकिन हाईकमान इसके लिए राजी नहीं है।

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