करतार सिंह सौंखले को मिला पद्मश्री: कलाकारी के शौक ने दिलाया पुरस्कार, कांच की बोतलों में बांस की कलाकृतियां उकेरने में भी महारत
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हमीरपुर32 मिनट पहले
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पद्मश्री पुरस्कार ग्रहण करते करतार सिंह सोंखले।
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के रहने वाले करतार सिंह सौंखले को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। हमीरपुर के कलाकार को मिले पुरस्कार से जिला और प्रदेश का नाम रोशन हुआ है। सौंखले अपनी पत्नी सुनीता देवी और बेटे केतन सौंखले के साथ दिल्ली पहुंचे। शीशे की बोतलों में बांस की कलाकृतियां बनाने वाले करतार सिंह ने सीधे तौर पर पद्मश्री अवॉर्ड के लिए वेदन किया था।
केंद्र सरकार ने इसी साल 25 जनवरी को उनके नाम का चयन पुरस्कार के लिए किया था। बता दें कि करतार सिंह सौंखले न केवल बांस की कारीगरी करते हैं, बल्कि उन्हें कांच की बोतलों के अंदर बांस की कलाकृतियां उकेरने में भी महारत हासिल है। करतार सिंह ने पद्मश्री को हिमाचल की जनता को समर्पित किया है।
पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ करतार सिंह सोंखले।
वहीं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने के बाद अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी करतार सिंह सौंखले को लोग जानने और पहचानने लगे हैं। उनकी कला की कदर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है। अमेरिका की एक महिला ने उनके द्वारा तैयार की गई कलाकृतियों को खरीदने की इच्छा जाहिर की है। यह महिला अमेरिका में इन अनूठी कलाकृतियों की ऐग्जीबिशन लगाना चाह रही है। करतार सिंह सौंखले कहा कि अमेरिका की एक महिला की तरफ से इन कलाकृतियों को खरीदने की इच्छा व्यक्त की गई है, लेकिन उनके पास व्यवसायिक स्तर पर इतनी कलाकृतियां तैयार नहीं हैं।
यदि भविष्य में व्यवसायिक स्तर पर इस काम को आगे बढ़ाया जा सका तो वह इस पर जरूर विचार करेंगे। करतार सिंह अब भावी पीढ़ी को भी बैंबू आर्ट की अनूठी कलाकारी और इसकी बारीकियां सिखाएंगे। यदि बैंबू आर्ट भावी पीढ़ी तक पहुंच पाती है तो यह किसी क्रांति से कम नहीं होगा। इससे हिमाचल में पर्यटन को पंख लगेंगे तो दूसरी ओर युवाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा।
पत्नी सुनीता के साथ करतार सिंह साेंखले।
कांच की बोतल में बनाई कलाकृतियां
1959 में हमीरपुर जिला की नारा पंचायत के रटेहड़ा गांव में जन्मे करतार सिंह सौंखले बचपन से ही बांस की कारीगरी में रुचि रखते थे। साल 2000 में उन्होंने कांच की बोतलों के अंदर बांस की कलाकृतियां बनानी शुरू कीं। उनकी इस बेजोड़ कारीगरी को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। उन्होंने कांच की बोतलों के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम की कलाकृतियां बनाई हैं। इसके अलावा एफिल टावर के साथ कई ऐतिहासिक धरोहरों और इमारतों की कलाकृतियां भी उन्होंने अपनी कारीगरी के माध्यम से कांच की बोतलों में बनाई हैं। वह एनआईटी हमीरपुर में चीफ फार्मासिस्ट के पद से मार्च 2019 में सेवानिवृत्त हुए।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा गलोड़ स्कूल से पूरी हुई और इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री कॉलेज बिलासपुर से ली। इसके बाद फैमिली एंड वेलफेयर विभाग के अंतर्गत उन्होंने डी फार्मा की पढ़ाई भी पूरी की, लेकिन बांस की कारीगरी के हुनर को उन्होंने अपने अंदर जिंदा रखा और नौकरी के दौरान ही वह कलाकृतियां बनाने में जुटे रहे। उन्हें अपने इन कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने उन्हें ग्रैंड मास्टर, इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड ने उन्हें एक्सीलेंसी अवॉर्ड से सम्मानित किया है।
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