कन्हैया के कांग्रेस में जाने की अटकलें: बिहार में कन्हैया के सहारे खोई जमीन पाना चाहती है कांग्रेस, प्रशांत किशोर के साथ दो बार राहुल गांधी से मिले

कन्हैया के कांग्रेस में जाने की अटकलें: बिहार में कन्हैया के सहारे खोई जमीन पाना चाहती है कांग्रेस, प्रशांत किशोर के साथ दो बार राहुल गांधी से मिले

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पटना9 मिनट पहले

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कन्हैया के कांग्रेस में जाने की अटकलें: बिहार में कन्हैया के सहारे खोई जमीन पाना चाहती है कांग्रेस, प्रशांत किशोर के साथ दो बार राहुल गांधी से मिले

कन्हैया को कांग्रेस में शामिल होने के लिए मनाने की जिम्मेदारी पूर्व विधायक मो. नदीम जावेद को मिली है।

कन्हैया कुमार के जल्द पाला बदलने की अटकलें हैं। उनके कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उनकी हाल में राहुल गांधी से दो बार मुलाकात हो चुकी है। बातचीत अंतिम दौर में है। दोनों मुलाकात के दौरान प्रशांत किशोर मौजूद रहे हैं। अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि कन्हैया 2024 में बिहार की तरफ से कांग्रेस के बड़े चेहरे बन सकते हैं।

कन्हैया के कांग्रेस में जाने की चर्चा तक हुई, जब उन्होंने CPI मुख्यालय में अपना दफ्तर खाली कर दिया। CPI के अंदर कन्हैया को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद से ही सवाल उठने लगे थे। यहां तक कि अनुशासनहीनता को लेकर CPI की हैदराबाद में हुई बैठक में उनके खिलाफ निंदा प्रस्‍ताव पारित किया गया था।

बताया जा रहा है कि कन्हैया को कांग्रेस में लाने की जिम्मेदारी जौनपुर सदर के पूर्व विधायक मो. नदीम जावेद को सौंपी गई है। नदीम जावेद NSUI के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय युवा कांग्रेस के पूर्व महासचिव, कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मीडिया पैनलिस्ट हैं। कन्हैया और नदीम की कई दौर की बात हो चुकी है।

बिहार में लगातार कमजोर हो रही कांग्रेस
कांग्रेस को पिछले 5 विधानसभा चुनावों में कोई खास सफलता नहीं मिली है। फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 10 सीट मिली थी, जो अक्टूबर 2005 में घटकर 9 रह गई। 2010 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस को महज 4 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।

2015 विधानसभा चुनाव में जब RJD और JDU के साथ कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा बनी तो पार्टी को 27 सीटों पर जीत मिली थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में रहने के बाद भी कांग्रेस महज 19 सीटें जीत सकी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2019 में तो कांग्रेस को बिहार में एक सीट मिली थी। अपने पुराने परिणाम को देखते हुए कांग्रेस अब बिहार में नए नेतृत्वकर्ता के रूप में कन्हैया को लाना चाहती है।

JNU में लगे देश विरोधी नारों के बाद कन्हैया चर्चा में आए थे
कन्हैया 2015 में JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे। JNU में लगे देश विरोधी नारों के बाद कन्हैया का नाम सभी की जुबान पर आ गया। 2019 में बेगूसराय से CPI के प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव में उतरे तो उनका सामना BJP के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह से हुआ।

गिरिराज ने उन्हें 4 लाख 22 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया। इसके बाद से पार्टी में उनको तरजीह देना कम कर दिया। इससे पहले कन्हैया बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मिले थे। इस साल भी CM नीतीश कुमार से मुलाकात हो चुकी है। तब अटकलें यह भी लगने लगीं थी कि कन्हैया JDU में शामिल हो जाएंगे, लेकिन BJP के साथ रहते JDU में कन्हैया की एंट्री मुश्किल है।

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