इनसाइड स्टोरी: इसलिए 24 घंटे लंबा खिंचा आंदोलन: जाट आंदोलन और मंदसौर गोलीकांड में वादाखिलाफी से किसान आशंकित, केंद्र की केस वापसी पर शर्त से बिगड़ी बात

इनसाइड स्टोरी: इसलिए 24 घंटे लंबा खिंचा आंदोलन: जाट आंदोलन और मंदसौर गोलीकांड में वादाखिलाफी से किसान आशंकित, केंद्र की केस वापसी पर शर्त से बिगड़ी बात

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चंडीगढ़एक घंटा पहलेलेखक: मनीष शर्मा

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इनसाइड स्टोरी: इसलिए 24 घंटे लंबा खिंचा आंदोलन: जाट आंदोलन और मंदसौर गोलीकांड में वादाखिलाफी से किसान आशंकित, केंद्र की केस वापसी पर शर्त से बिगड़ी बात

दिल्ली बॉर्डर पर 7 दिसंबर को किसानों के आंदोलन को 376 दिन हो जाएंगे।

दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को मंगलवार को खत्म करने की सारी तैयारी हो चुकी थी मगर ऐन समय पर केंद्र सरकार के लिखित प्रस्ताव में शामिल एक शर्त से बात बिगड़ गई। किसान आंदोलन के 375वें दिन केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया कि आंदोलन वापसी के तत्काल बाद यूपी और हरियाणा में किसानों पर दर्ज सारे केस वापस ले लिए जाएंगे। यहीं से किसान संगठन बिफर गए। हरियाणा के जाट आंदोलन और मध्यप्रदेश के मंदसौर गोलीकांड में हुए कड़वे अनुभव का हवाला देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार से दोटूक कह दिया कि यह शर्त मंजूर नहीं है।

हरियाणा के जाट आंदोलन और मध्यप्रदेश के मंदसौर गोलीकांड में दर्जनों किसानों पर केस दर्ज हुए। तब दोनों राज्यों की सरकारों ने ये केस वापस लेने का एेलान किया था जिसके बाद किसानों ने अपने आंदोलन खत्म कर दिए। मगर हुआ उल्टा। एक भी केस वापस नहीं हुआ और किसान आज भी तारीखें भुगत रहे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों की मंगलवार को घर वापसी में भी सबसे बड़ा पेंच केस वापसी का ही फंसा।

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की मीटिंग पर इस पर घंटों मंथन हुआ और अंत में केंद्र सरकार को अपने प्रस्ताव में संशोधन के लिए 24 घंटे का समय देते हुए वापसी की घोषणा को बुधवार दोपहर तक के लिए टाल दिया गया। किसान नेताओं ने कहा कि पुलिस केस वापसी के लिए सरकार समय सीमा तय करे। सिर्फ सैद्धांतिक मंजूरी से बात नहीं बनेगी। इसी मांग पर प्रस्ताव पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा गया है।

जाट आंदोलन के बाद लड़ रहे देशद्रोह के मुकदमे
हरियाणा में वर्ष 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन हुआ। रोहतक में तोड़फोड़ और आगजनी हुई जिसके बाद कई लोगों पर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज हो गए। इनमें से 70 केस CBI के पास चल रहे हैं जबकि कई केस जिला कोर्ट में पेंडिंग हैं। कई लोगों की तो जमानत तक नहीं हुई। हरियाणा सरकार की ओर से गठित एक कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में जाट आंदोलन के दौरान दर्ज तकरीबन 3 हजार केस पेंडिंग है। सरकार के केस वापस लेने की घोषणा के बावजूद लोग तारीखें भुगत रहे हैं। हरियाणा के किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी स्पष्ट कहते हैं कि अभी केस वापस नहीं हुए तो जाट आंदोलन की तरह बाद में भुगतना पड़ेगा। तब तो सरकार भी सुनवाई नहीं करती।

मंदसौर गोलीकांड: मुआवजा और सरकारी नौकरी मिली लेकिन केस आज भी लड़ रहे
मध्यप्रदेश के मंदसौर में जून 2019 में गोलीकांड हुआ। वहां पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई। मध्यप्रदेश से ही ताल्लुक रखने वाले SKM नेता शिवकुमार कक्का ने कहा कि मंदसौर गोलीकांड में 12 किसानों को गोली लगी। उनमें से 6 शहीद हो गए। सरकार ने 7 दिन के अंदर एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया। परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी और घायलों को 25-25 हजार रुपए दिए। उस समय मध्यप्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार थी। मप्र विधानसभा के अंदर तत्कालीन गृहमंत्री ने घोषणा की कि सरकार सभी केस वापस लेती है मगर उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बदौलत वहां तख्तापलट हो गया और भाजपा की सरकार बन गई। किसान आज भी केस भुगत रहे हैं। आंदोलन खत्म होने के बाद सरकार का रवैया बदल जाता है।

मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग के बाद किसान नेता।

मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग के बाद किसान नेता।

यह चाहते हैं किसान

  • किसानों पर दर्ज केस वापस हों। केंद्र सरकार इसका ठोस आश्वासन दे। केंद्र राज्यों को लिखित हिदायत और केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दे।
  • MSP पर बनने वाली कमेटी में कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके संगठनों के प्रतिनिधि शामिल न हों।
  • आंदोलन में जान गंवाने वाले 700 से ज्यादा मृतक किसानों के परिवारों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा और परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। इसके लिए पंजाब मॉडल अडॉप्ट किया जाए।
सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार को हुई मीटिंग में तय हुआ कि आंदोलन पर अंतिम फैसला बुधवार दोपहर 2 बजे होगा।

सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार को हुई मीटिंग में तय हुआ कि आंदोलन पर अंतिम फैसला बुधवार दोपहर 2 बजे होगा।

वापसी के मुद्दे पर पंजाब के किसान संगठन भी एक राय

किसान आंदोलन में शामिल पंजाब के 32 में से अधिकांश संगठन चाहते थे कि तीन खेती कानूनों की वापसी के बाद आंदोलन खत्म किया जाए। इसे लेकर तैयारी भी शुरू हो गई। दिल्ली बॉर्डर से कुछ किसान लौट भी आए और ज्यादातर इसकी तैयारी में बैठे हैं। मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में हरियाणा के संगठनों का कहना था कि राज्य में 48 हजार किसानों पर केस दर्ज हैं। अगर आंदोलन सिर्फ भरोसे पर खत्म किया गया तो उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। मीटिंग में जब केस वापसी पर केंद्र सरकार का सशर्त वाला प्रस्ताव पहुंचा तो पंजाब के किसान संगठनों ने भी कह दिया कि केस वापसी के ठोस आश्वासन के बगैर उठना ठीक नहीं होगा।

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