आलोचना वाले लेख पर संघ की सफाई: RSS ने पांचजन्य में इन्फोसिस के खिलाफ छपे आर्टिकल से खुद को अलग किया, कहा- भारत की तरक्की में कंपनी का अहम योगदान
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एक घंटा पहले
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने ‘पांचजन्य’ में इन्फोसिस के खिलाफ छपे आर्टिकल से खुद को अलग कर लिया है। RSS की तरफ से ट्वीट कर कहा गया कि भारतीय कंपनी के नाते इन्फोसिस का भारत की उन्नति में अहम योगदान है। पांचजन्य के लेख में इन्फोसिस को टुकड़े-टुकड़े गैंग का हिस्सा बताया है। साथ ही लिखा है कि कंपनी राष्ट्रविरोधी ताकतों के साथ है।
RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारतीय कंपनी के नाते इन्फोसिस का भारत की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान है। इन्फोसिस के बनाए पोर्टल को लेकर कुछ मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन पांचजन्य में इस संदर्भ में प्रकाशित लेख, लेखक के अपने विचार हैं और पांचजन्य संघ का मुखपत्र नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को इस लेख में दिए विचारों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
लेख में ‘साख और आघात’ लिखा है
पांचजन्य ने बेंगलुरु स्थित IT सर्विस कंपनी इन्फोसिस पर 4 पेज की कवर स्टोरी छापी है। इसमें इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की फोटो लगा कर ‘साख और आघात’ लिखा है। आर्टिकल में लिखा गया कि इन्फोसिस की साख और कम बोली के आधार पर आयकर रिटर्न पोर्टल बनाने का दायित्व उसे दिया गया, लेकिन इस पोर्टल में इतनी खामियां हैं कि न सिर्फ रिटर्न भरने वाले लोगों को झटका लगा है बल्कि पूरी व्यवस्था को आघात लगा है।
आर्टिकल में इन्फोसिस को टुकड़े-टुकड़े गैंग का हिस्सा बताया
इस आर्टिकल में इन्फोसिस को नक्सल, वामपंथी और टुकड़े-टुकड़े गैंग का मददगार लिखा गया है। इसके अलावा लिखा गया है कि देश में चल रही कई विघटनकारी गतिविधियों को इन्फोसिस का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोग मिलने की बात सामने आ चुकी है। दुष्प्रचार वेबसाइट्स के पीछे भी इन्फोसिस की फंडिंग मानी जाती है। जातिवादी घृणा फैलाने में जुटे कई संगठन भी इन्फोसिस की चैरिटी के लाभार्थी हैं।
पांचजन्य के एडिटर हितेश शंकर ने ट्वीट किया।
क्यों निशाने पर है इन्फोसिस?
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए सरकार ने एक ई-फाइलिंग पोर्टल तैयार कराया है। ये पोर्टल इन्फोसिस ने तैयार किया है, लेकिन इस पोर्टल पर लोगों को लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसे लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 अगस्त को इन्फोसिस के CEO और MD सलिल पारेख को तलब भी किया था और सब कुछ 15 सितंबर तक सही करने की डेडलाइन दी है।
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