आर्मी यूनिफॉर्म में मासूम का आखिरी सैल्यूट: शहीद गुरसेवक को 4 साल के बेटे ने दी सैन्य विदाई, पत्नी कहती रहीं- आखिरी बार चेहरा दिखा दो
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- The Body Of Naik Gursevak, Wrapped In The Tricolor In A Truck Decorated With Flowers, Left For Village Dode From Amritsar.
तरनतारन3 घंटे पहले
तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले नायक गुरसेवक सिंह का रविवार को अंतिम संस्कार किया गया। आर्मी की यूनिफॉर्म पहने 4 साल के गुरफतेह ने जब अपने शहीद पिता की अर्थी को आखिरी सैल्यूट किया तो वहां मौजूद सभी लोगों का कलेजा फट पड़ा। पूरा इलाका भारत माता की जय, गुरसेवक सिंह अमर रहें के नारों से गूंज उठा।
गुरफतेह को यह यूनिफॉर्म शहीद पिता ने डेढ़ महीने पहले दिलाई थी। उस समय वे छुट्टी पर आए थे। यही उनका बेटे के लिए आखिरी तोहफा था और यही आखिरी मौका भी था, जब बेटे ने पिता को देखा था। उसके बाद पिता अब आए, वो भी तिरंगे में लिपट कर।
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गुरफतेह सुबह से पिता की गिफ्ट की गई यूनिफॉर्म पहनकर घूम रहा था और जैसे ही गुरसेवक सिंह का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो बेटे ने उस ताबूत को सैल्यूट किया। इस दौरान गुरफतेह अपनी मां जसप्रीत कौर की गोद में था। जसप्रीत कौर ने भी शहीद पति को श्रद्धांजलि दी। जसप्रीत कौर आखिरी बार पति का चेहरा देखना चाहती थी। उसने सैन्य अधिकारियों से मिन्नत की, लेकिन वे बोले कि नहीं दिखा सकते, हालत ठीक नहीं है।
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नायक गुरसेवक के पार्थिव शरीर से लिपटकर शोक मनाते परिजन।
ताबूत से लिपट कर रोए भाई-बहन
गुरसेवक का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने के बाद ग्रामीण पीछे-पीछे दौड़ते रहे। घर में चीख-पुकार मच गई। पिता और भाई-बहन ताबूत से लिपट-लिपट कर रोए। वहीं शहीद के परिजनों का हाल देखकर ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं। वे शहीद गुरसेवक सिंह अमर रहें के नारे लगाते रहे।
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शहीद पति गुरसेवक सिंह को सैल्यूट करके श्रद्धांजलि देतीं जसप्रीत कौर।
आखिरी बार चेहरा नहीं देख पाए
शहीद गुरसेवक के भाई जसविंदर सिंह ने बताया कि हम भाई का चेहरा आखिरी बार देखना चाहते थे, लेकिन अधिकारियों ने प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए चेहरा दिखाने से मना कर दिया। गुरसेवक सिंह का पार्थिव शरीर आर्मी के प्लेन में अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचा था। एयरपोर्ट से आर्मी का काफिला पार्थिव शरीर को लेकर गांव दोदे पहुंचा। सुबह ही फोन पर यूनिट ने पार्थिव देह की पहचान होने की बात बताई थी।
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जिस भी रास्ते से शहीद को लेकर काफिला गुजरा, लोग रुक-रुक कर सलाम करते रहे।
पंचतत्व में विलीन हुए शहीद गुरसेवक सिंह
शहीद गुरसेवक सिंह का गांव के ही श्मशान घाट में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बेटे गुरफतेह ने शहीद पिता को मुखाग्नि दी। इससे पहले शहीद की शवयात्रा निकाली गई। बुजुर्ग पिता काबल सिंह अपनी बहू, बेटों और बेटियों को ढांढस बंधाते नजर आए। उन्होंने शहीद बेटे को हाथ जोड़कर आखिरी नमन भी किया।
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शहीद बेटे गुरसेवक सिंह को हाथ जोड़कर आखिरी नमन करते पिता काबल सिंह।
पति की शहादत पर गर्व है मुझे
शहीद गुरसेवक सिंह की पत्नी जसप्रीत कौर ने कहा कि वह फुर्सत मिलने पर हमें फोन करते थे। कई बार तो एक ही दिन में उनके कई कॉल आ जाते थे। सोमवार को गुरसेवक की परिवार से बात हुई थी, लेकिन इसके बाद 8 दिसंबर को उनकी शहादत की खबर आई। पति के चले जाने का गम है, लेकिन उससे ज्यादा उनकी शहादत पर गर्व है। मेरे लिए इससे बड़ी बात और क्या होगी कि मेरे पति देश के पहले CDS की सुरक्षा करते थे और अपना फर्ज निभाते हुए जान दे दी।
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2 बहन और 5 भाई, परिवार करता है खेती
दोदे गांव के लोगों ने बताया कि गुरसेवक सिंह ने 12वीं तक की पढ़ाई खालड़ा के सरकारी स्कूल से की। 12वीं पास करते ही वह आर्मी में भर्ती हो गए। सेना में नौकरी करते हुए गुरसेवक ने पढ़ाई जारी रखी और ग्रेजुएशन की डिग्री करते ही वह प्रमोट हो गए। इस समय भी वह पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे थे। गुरसेवक के परिवार में उनकी 2 बहन और 5 भाई हैं। पूरा परिवार खेतीबाड़ी से जुड़ा है।
24 दिन पहले छुट्टी से लौटे थे
गुरसेवक सिंह डेढ़ महीने पहले छुट्टी पर आए थे और 14 नवंबर को ही ड्यूटी पर लौटे थे। छुट्टियों के दौरान वह परिवार के साथ बाबा बुड्ढा साहिब भी गए थे। गुरसेवक के तीन बच्चों में से बड़ी बेटी सिमरन 9 साल और छोटी बेटी गुरलीन 7 साल की है। बेटा फतेह सिंह सिर्फ 4 साल का है। गुरसेवक अपने बच्चों से बहुत प्यार करते थे और ड्यूटी के दौरान चाहे जितना भी थके हों, लगभग रोजाना बच्चों से फोन पर बात जरूर करते थे।
लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह के अंतिम संस्कार में पहुंचे रक्षा मंत्री
लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह की बेटी को सांत्वना देते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हेलिकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह के अंतिम संस्कार में पहुंचे। दिल्ली के बराड़ चौक पहुंचकर रक्षा मंत्री ने उनके परिवार को सांत्वना दी।
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