आयोग vs कश्मीरी पार्टियां: गुपकार में शामिल ज्यादातर दल परिसीमन से पहले पूर्ण राज्य का दर्जा चाहते हैं, एक ने जम्मू और कश्मीर के बीच 50:50 सीटों का फॉर्मूला सुझाया
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कश्मीरएक घंटा पहलेलेखक: मुदस्सिर कुलू
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ज्यादातर कश्मीरी पार्टियां चाहती हैं कि यह प्रॉसेस पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही की जाए। -फाइल फोटो
चार दिन के जम्मू-कश्मीर दौरे पर पहुंचे परिसीमन आयोग ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि परिसीमन की प्रक्रिया मार्च 2022 तक पूरी कर ली जाएगी। यह भी कहा कि 7 सीटें बढेंगी और विधानसभा 90 सीटों की हो जाएगी। पर, इस प्रक्रिया में शामिल पार्टियों के अलावा ज्यादातर कश्मीरी पार्टियां चाहती हैं कि यह प्रॉसेस पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही की जाए।
आयोग ने बताया कि परिसीमन की प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया काफी जटिल है। यह टेबल पर बैठकर पूरी नहीं हो सकती है। तीन सदस्यों वाले परिसीमन आयोग का गठन फरवरी 2020 में किया गया था। रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश द्विवेदी इसकी अध्यक्ष हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील कुमार चंद्र और जम्मू-कश्मीर के चुनाव आयुक्त इसके सदस्य हैं।
अधिकतर क्षेत्रीय पार्टियों का मानना है कि परिसीमन से जम्मू में सीटें बढ़ने पर एक भाजपा को फायदा पहुंचेगा। जम्मू में हुए पिछले चुनावों में भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं। आपको बताते हैं कि क्षेत्रीय पार्टियों की इस बारे में क्या राय है।
8 पार्टियों का परिसीमन पर स्टैंड
1. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी
महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया पहले से निर्धारित है यानी प्री-प्लांड है। इसका फायदा एक विशेष राजनीतिक दल को होगा। पार्टी ने कहा कि हम ऐसी प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते हैं, जो बाद में कश्मीरियों के हितों को नुकसान पहुंचाए।
2. नेशनल कॉन्फ्रेंस
पार्टी के नेताओं ने आयोग से मुलाकात की और कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाएगी, लेकिन उससे पहले जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। पार्टी ने कहा कि इस प्रक्रिया को तब तक रोका जाना चाहिए, जब तक सुप्रीम कोर्ट धारा 370 को निरस्त किए जाने के फैसले के विरोध में दाखिल की गई याचिका पर जवाब नहीं दे देता।
3. कांग्रेस
पार्टी ने भी अपने मेमोरेंडम में परिसीमन से पहले जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने पर जोर दिया।
4. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस
पार्टी नेता खुर्शीद आलम ने कहा कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जो जम्मू-कश्मीर के लोगों को मुख्यधारा से और भी दूर कर दे। जमीन, रेगिस्तान और पत्थरों को प्रतिनिधित्व की जरूरत नहीं होती है। कोई भी फैसला आबादी के आधार पर लिया जाना चाहिए। परिसीमन की प्रक्रिया 2011 की जनगणना के आधार पर की जानी चाहिए।
5. अपनी पार्टी
जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के नेता अहमद मीर ने कहा कि पार्टी परिसीमन के फैसले से खुश नहीं है। हम चाहते हैं कि यह प्रक्रिया 2026 तक के लिए टाल दी जाए।
6. CPI (M)
पार्टी ने कहा कि किसी भी चुनावी प्रक्रिया से पहले जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना जरूरी है।
6. जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी
पार्टी ने मांग की है कि जम्मू और कश्मीर में सीटों का बंटवारा 50:50 के आधार पर किया जाए। ऐसा करने से दोनों जम्मू और कश्मीर को 45-45 सीटें मिल जाएंगी।
7. डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी
पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री लाल सिंह ने कहा कि जम्मू क्षेत्र को अधिक सीटें मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह परिसीमन 2011 की जनगणना पर आधारित है, जो कि फर्जी है। जमीन के बंटवारे के हिसाब से जम्मू को 20 सीटें अधिक मिलनी चाहिए।
8. भाजपा
भाजपा ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में आने वाली 24 असेंबली सीटों को मुक्त करने की मांग रखी है, ताकि POK से विस्थापित लोगों, कश्मीरी पंडितों, SCs और STs को रिजर्वेशन दिया जा सके। पार्टी ने असेंबली में जम्मू का रिप्रेजेंटेशन बढ़ाने की भी बात की।
परिसीमन से कैसे बदलेगा विधानसभा में सीटों का स्ट्रक्चर
5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 निरस्त होने से पहले जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस हासिल था। वहां केंद्र के अधिकार सीमित थे। राज्य में कुल 87 सीटें थी। इनमें जम्मू में 37, कश्मीर में 46 और लद्दाख में 4 सीटें आती थीं। 24 अन्य सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लिए आरक्षित थीं।
जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट (JKRA) 2019 के अनुसार, परिसीमन के बाद जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सात सीटें बढ़कर 90 हो जाएंगी। लद्दाख की चार सीटें इसमें नहीं जोड़ी जाएंगी क्योंकि उसे अलग यूनियन टेरिटरी घोषित किया गया है।
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