आज का इतिहास: 18 साल पहले हुई थी सबसे अनोखी शादी, अंतरिक्ष में दूल्हा तो टेक्सास में थी दुल्हन, वीडियो कॉल से पूरी हुई थी शादी की रस्में

आज का इतिहास: 18 साल पहले हुई थी सबसे अनोखी शादी, अंतरिक्ष में दूल्हा तो टेक्सास में थी दुल्हन, वीडियो कॉल से पूरी हुई थी शादी की रस्में

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  • Today History (Aaj Ka Itihas) 10 August | 1961 First Space Wedding And 1966 NASA First Satellite Launch

11 मिनट पहले

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आज का इतिहास: 18 साल पहले हुई थी सबसे अनोखी शादी, अंतरिक्ष में दूल्हा तो टेक्सास में थी दुल्हन, वीडियो कॉल से पूरी हुई थी शादी की रस्में

आपने डेस्टिनेशन वेडिंग, विंटेज स्टाइल वेडिंग और क्रूज वेडिंग के बारे में तो सुना होगा, लेकिन आज के दिन को एक अनोखी वेडिंग के लिए याद किया जाता है। 10 अगस्त 2003 को रूस के एस्ट्रोनॉट यूरी मालेन्चेंको ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में शादी की थी। ऐसा करने वाले वे दुनिया के पहले शख्स हैं।

12 अप्रैल 1961। इस दिन रूस के यूरी गागरिन अंतरिक्ष में कदम रखने वाले दुनिया के पहले इंसान बने थे। गागरिन की इस उपलब्धि की वर्षगांठ पर 2003 में एक पार्टी रखी गई थी। यहीं पर कॉस्मोनॉट यूरी मालेन्चेंको आखिरी बार अपनी प्रेमिका कैटरीना दमित्रिएव से मिले थे। अप्रैल 2003 में रूस ने एक्सपेडिशन-7 मिशन लॉन्च किया। इस मिशन में एडवर्ड लू के साथ यूरी मालेन्चेंको भी अंतरिक्ष में गए। इस पूरे मिशन की कमांड यूरी मालेन्चेंको के हाथ में ही थी।

ये मिशन अगस्त के पहले हफ्ते में पूरा होना था। मिशन से वापस आते ही यूरी मालेन्चेंको शादी करने वाले थे। मिशन पर जाने से पहले ही उनकी शादी की तारीख 10 अगस्त तय हो चुकी थी, लेकिन उनका मिशन अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया। शादी की सभी तैयारियां पहले से हो चुकी थीं, इसलिए यूरी मालेन्चेंको ने फैसला लिया कि वो स्पेस से ही अपनी प्रेमिका से शादी करेंगे।

इस फैसले में एक कानूनी अड़चन थी। रूस में कानूनी तौर पर शादी के लिए दूल्हा-दुल्हन दोनों को उपस्थित रहना जरूरी था। इसलिए रूस में ये शादी नहीं हो सकती थी, लेकिन अच्छी बात ये थी कि कैटरीना काफी समय से टेक्सास में ही रह रही थीं और टेक्सास में शादी के लिए दूल्हा-दुल्हन दोनों का उपस्थित रहना जरूरी नहीं था।

यूरी के कटआउट के साथ कैटरीना।

यूरी के कटआउट के साथ कैटरीना।

रूस और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों ने भी इस शादी पर आपत्ति जताई। नासा ने कहा कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का इस्तेमाल इस तरह के निजी कामों के लिए नहीं किया जा सकता। हालांकि तब तक ये खबर मीडिया में फैल चुकी थी। इस वजह से लोग इस शादी को लेकर काफी उत्साहित थे। लिहाजा नासा को भी सहमति देनी पड़ी।

शादी की तैयारियां शुरू होने लगीं। फैसला लिया गया कि वीडियो कॉल पर शादी की रस्में निभाई जाएंगीं। यूरी मालेन्चेंको शादी में उपस्थित नहीं हो सकते थे, इसलिए उनका एक आदमकद कटआउट बनवाया गया। कैटरीना ने इसी कटआउट के साथ सारी रस्में निभाईं। 25 मिनट तक वीडियो कॉल चलता रहा। कैटरीना ने सफेद रंग का खूबसूरत गाउन पहना। यूरी ने भी अपने स्पेस सूट के ऊपर टाई पहनी।

इस तरह स्पेस में रहते हुए दुनिया की पहली और आखिरी शादी हुई। आखिरी इसलिए क्योंकि इस शादी के बाद अंतरिक्ष एजेंसियों ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का इस्तेमाल शादी और इस तरह के निजी कामों के लिए करने पर रोक लगा दी।

1966: पहले अमेरिकी मून सैटेलाइट की लॉन्चिंग

नासा ने आज ही के दिन 1966 में ऑर्बिटर-1 लॉन्च किया था। चांद की ऑर्बिट में पहुंचने वाला ये दुनिया का पहला स्पेसक्राफ्ट था। इसी के साथ अमेरिका के नाम सोवियत संघ के खिलाफ स्पेस रेस में एक और उपलब्धि जुड़ गई थी।

1960 के दशक के शुरुआती सालों में अमेरिका ने अपोलो मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन का मकसद चांद पर मानव को पहुंचाना था, लेकिन वैज्ञानिकों के पास चांद की सतह की डिटेल्ड फोटो नहीं थी। मिशन के लिए ये जरूरी था कि चांद की सतह की डिटेल्ड फोटो हो, जिनका अध्ययन कर लैंडिंग साइट्स के बारे में स्टडी की जा सके।

23 अगस्त को ऑर्बिटर-1 द्वारा भेजी गई ये फोटो चांद के ऑर्बिट से खींची गई धरती की पहली बढ़िया क्वालिटी वाली फोटो है।

23 अगस्त को ऑर्बिटर-1 द्वारा भेजी गई ये फोटो चांद के ऑर्बिट से खींची गई धरती की पहली बढ़िया क्वालिटी वाली फोटो है।

इसके लिए नासा ने 3 स्पेसक्राफ्ट बनाए। हर स्पेसक्राफ्ट पर एक मेन इंजन, 4 सोलर प्लेट और 68 किलो के कोडक इमेजिंग सिस्टम को फिट किया गया। इसका काम अलग-अलग एंगल से चांद की सतह की फोटो लेना था। 10 अगस्त 1966 को तीन में से पहला ऑर्बिटर लॉन्च किया गया। ये लॉन्चिंग सफल रही और 28 अगस्त तक स्पेसक्राफ्ट ने 205 फोटो भेजे। इसी स्पेसक्राफ्ट ने 23 अगस्त को धरती की फोटो भी भेजी। ये चांद के ऑर्बिट से खींची गई धरती की पहली तस्वीर थी।

आज वर्ल्ड बायो फ्यूल डे

दुनियाभर में हर साल 10 अगस्त को वर्ल्ड बायो फ्यूल डे मनाया जाता है। दुनियाभर में बायो फ्यूल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए इसकी शुरुआत हुई। बायो फ्यूल यानी स्टार्च, शुगर और वेजिटेबल ऑयल के फर्मेन्टेशन से बनने वाला फ्यूल। ये सस्ता होने के साथ ही पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होता है।

फिलहाल पेट्रोलियम प्रोडक्ट में भी एक निश्चित अनुपात में बायो फ्यूल को मिक्स किया जाता है। भारत सरकार बायो फ्यूल को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग योजनाओं पर काम कर रही है। साल 2018 में सरकार ने बायोफ्यूल्स को लेकर एक नेशनल पॉलिसी को भी मंजूरी दी। इस पॉलिसी का लक्ष्य 2030 तक पेट्रोल में 20% और डीजल में 5% तक बायो फ्यूल के इस्तेमाल को बढ़ाना है।

साथ ही सरकार ने बायो फ्यूल की कीमतों में भी बढ़ोतरी की है। इससे किसानों को फायदा होगा। साल 2015 में सबसे पहले पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। हर साल अलग-अलग थीम पर इस दिन को मनाया जाता है।

10 अगस्त को इतिहास में इन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…

2013: मॉस्को में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की शुरुआत हुई।

1977: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने 11 साल के बाद उत्तरी ऑयरलैंड की यात्रा की।

1822: सीरिया में विनाशकारी भूकंप से 20 हजार लोगों की मौत।

1793: पेरिस के प्रसिद्ध लूवर म्यूजियम की स्थापना हुई।

खबरें और भी हैं…

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