आज का इतिहास: 126 साल पहले नोबेल पुरस्कारों की स्थापना हुई, अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिए जाते हैं नोबेल पुरस्कार

आज का इतिहास: 126 साल पहले नोबेल पुरस्कारों की स्थापना हुई, अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिए जाते हैं नोबेल पुरस्कार

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25 मिनट पहले

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आज का इतिहास: 126 साल पहले नोबेल पुरस्कारों की स्थापना हुई, अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिए जाते हैं नोबेल पुरस्कार

आज ही के दिन 1895 में नोबेल पुरस्कारों की स्थापना हुई। इन पुरस्कारों को वैज्ञानिक और इन्वेंटर अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिया जाता है। शुरुआत में केवल फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में ही नोबेल दिया जाता था। बाद में इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में भी नोबेल दिया जाने लगा।

अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 21 अक्टूबर 1833 को हुआ था। पिता इमानुएल नोबल के दिवालिया होने के बाद 1842 में नोबल सिर्फ 9 साल की उम्र में अपनी मां आंद्रिएता एहल्सेल के साथ नाना के घर सेंट पीटर्सबर्ग चले गए। यहां उन्होंने रसायन विज्ञान और स्वीडिश, रूसी, अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन भाषाएं सीखीं।

नोबेल प्राइज की फ्रंट साइड कुछ इस तरह दिखती है।

नोबेल प्राइज की फ्रंट साइड कुछ इस तरह दिखती है।

अल्फ्रेड नोबेल के नाम आज 355 पेटेंट हैं, लेकिन लोग उन्हें डाइनामाइट की वजह से ज्यादा जानते हैं। डाइनामाइट के आविष्कार के बाद कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में इसका इतना ज्यादा इस्तेमाल होने लगा कि अल्फ्रेड ने 90 जगहों पर डाइनामाइट बनाने की फैक्ट्री खोली। 20 से ज्यादा देशों में ये फैक्ट्रियां थीं। वे लगातार फैक्ट्रियों में घूमते रहते थे। इस वजह से लोग उन्हें ‘यूरोप का सबसे अमीर आवारा’ कहते थे।

कहा जाता है कि डाइनामाइट का गलत इस्तेमाल होता देख अल्फ्रेड को अपने आविष्कार पर दुख हुआ। इसके लिए उन्होंने अपने वसीयत में मानवता को लाभ पहुंचाने वाले लोगों को अपनी संपत्ति में से पुरस्कार देने की इच्छा जताई। 27 नवंबर 1895 को अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी आखिरी वसीयत लिखी थी। इसी वसीयत के आधार पर नोबेल पुरस्कारों की स्थापना हुई। 1901 में पहली बार नोबेल पुरस्कार दिए गए। अब तक 975 शख्सियत और संस्थानों को 609 नोबेल पुरस्कार मिल चुके हैं।

2014: तेज बाउंसर ने ले ली थी 25 साल के क्रिकेटर की जान

घटना 25 नवंबर 2014 की है। सिडनी के ग्राउंड पर साउथ ऑस्ट्रेलिया और न्यू साउथ वेल्स के बीच मैच चल रहा था। क्रीज पर थे फिलिप और बॉलिंग कर रहे थे सीन एबॉट। एक तेज लेकिन शॉर्ट पिच गेंद सरसराती हुई आई, जो फिलिप के हैलमेट के पीछे सिर में जा लगी। वो वहीं गिर पड़े। दो दिन कोमा में रहने के बाद 27 नवंबर 2014 को सेंट विंसेंट अस्पताल में उनकी मौत हो गई। वह ‘इंड्यूस्‍ड कोमा’ में चले गए थे।

नेट में प्रैक्टिस करते फिलिप। फोटो 2010 की है।

नेट में प्रैक्टिस करते फिलिप। फोटो 2010 की है।

इस घटना ने पूरे क्रिकेट जगत को शॉक कर दिया था। बताते हैं कि खुद बॉलर सीन एबॉट इस घटना के बाद गहरे सदमे में थे। ह्यूज की मौत के बाद एबॉट भी हॉस्पिटल में थे और लगातार उनकी आंखों से आंसू आ रहे थे। इस घटना के बाद क्रिकेट जगत में बदलाव आया। बॉलर अपनी गेंदों से बल्लेबाजों को सीधा निशाना बनाने से बचने लगे।

बैटिंग हैलमेट को पहले से और मजबूत बनाया गया। उनमें सुधार किए गए। हैलमेट बनाने वाली कंपनियों ने हैलमेट में बदलाव किया। हैलमेट के बैक रिम के नीचे एक गार्ड जोड़ा गया। फिलिप की मौत के बाद सिडनी क्रिकेट ग्राउंड की सात नंबर पिच को भी रिटायर कर दिया गया।

2008: भारत के 8वें प्रधानमंत्री वीपी सिंह का निधन हुआ था

27 नवंबर 2008 को भारत के 8वें प्रधानमंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह का निधन हुआ था। 31 दिसंबर 1984 को वीपी सिंह राजीव गांधी सरकार में वित्तमंत्री थे। उन्होंने विदेशी बैंक में भारतीयों के जमा धन की जांच कराने के लिए फेयर फैक्स की मदद ली थी।

तस्वीर 7 नवंबर 1990 की है। जब वीपी सिंह की सरकार 11 महीने बाद गिर गई थी। वह सदन में विश्वास मत साबित नहीं कर पाए थे।

तस्वीर 7 नवंबर 1990 की है। जब वीपी सिंह की सरकार 11 महीने बाद गिर गई थी। वह सदन में विश्वास मत साबित नहीं कर पाए थे।

इसी बीच साल 1987 में स्वीडन ने बोफोर्स तोप सौदे में दलाली की खबर प्रकाशित की। इसमें उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम था। संसद में हंगामा हुआ। इस मुद्दे को खुद वीपी सिंह भी उठाने से पीछे नहीं हटे। नतीजा यह हुआ कि वीपी सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

इस घटना के बाद राजीव गांधी की सरकार भी ज्यादा नहीं चल सकी और गिर गई। 1989 के लोकसभा में बीजेपी और लेफ्ट की मदद से वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। वीपी सिंह का जन्म 26 जून 1931 को यूपी के इलाहाबाद में हुआ था। 11 महीने तक वह भारत के प्रधानमंत्री रहे। 9 जून 1980 से 28 जून 1982 तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे।

27 नवंबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2002: प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि शिवमंगल सिंह सुमन का निधन हुआ था।

1966: उरुग्वे ने संविधान अपनाया था।

1947: पेरिस में पुलिस ने कम्युनिस्ट समाचार-पत्र के कार्यालय पर कब्जा किया था।

1940: मार्शल आर्ट के महानायक ब्रूस ली का जन्म हुआ था।

1907: प्रसिद्ध कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन का जन्म हुआ था।

1881: प्रसिद्ध इतिहासकार काशी प्रसाद जायसवाल का जन्म हुआ था।

1888: प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर का जन्म हुआ था।

1795: पहले बांग्ला नाटक का मंचन हुआ था।

खबरें और भी हैं…

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